रायपुर: दिल्ली और आस-पास के राज्य प्रदूषण से परेशान हैं. देश की राजधानी में तो हेल्थ इमरजेंसी तक लगा दी गई. दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में स्मॉग की सबसे बड़ी वजह पराली को माना जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस परेशानी से निपटने का तरीका सुझाया है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पराली जलाने से साल दर साल बढ़ रही प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कृषि को मनरेगा से जोड़ने और पराली को जैविक खाद में बदलने का सुझाव दिया है.
किसान पराली को लगा देते हैं आग
सितंबर-अक्टूबर महीने में हर साल पंजाब और हरियाणा राज्य को मिला दे तो तकरीबन 35 मिलियन टन पराली या पैरा जलाई जाती है. किसान धान की फसल के बाद तुरंत ही गेंहू बोना चाहते हैं. इसके लिए खेतों में बचे ठूंठ को ठिकाने लगाना जरूरी होता है. किसान खेतों में बचे ठूंठ और पराली में आग लगा देते हैं, जो सबसे सस्ता माध्यम है. लेकिन, इससे वायु प्रदूषण में लगातार इज्जाफा देखने को मिल रहा है.
मुख्यमंत्री भूपेश ने बताया कि यदि मनरेगा के नियोजन से इस पराली और ठूंठ को जैविक खाद में बदलने के लिए केन्द्र सरकार निर्देश दे तो न केवल भारी मात्रा में खाद बनेगा, बल्कि पराली जलाई नहीं जाएगी. 100 किलो पराली से तकरीबन 60 किलोग्राम शुद्ध जैविक खाद बनाई जा सकती है. यानी कि 35 मिलियन टन पराली से तकरीबन 21 मिलियन टन (2 करोड़ 10 लाख टन) जैविक खाद बनाई जा सकती है.
छत्तीसगढ़ में पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में 2000 गांवों में गौठान बनाए हैं. यहां जन-भागीदारी से पराली (पैरा) दान करने का कार्यक्रम जारी है. सरकार पराली को गौठान तक लाने की व्यवस्था कर रही है. गांव के युवा उद्यमी इन परालियों को जैविक खाद में बदल रहे हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि ये पराली का सबसे अच्छा निपटान है.