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मुख्यमंत्री बघेल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- नगरनार स्टील प्लांट का न करें निजीकरण - CM Baghel wrote a letter to PM Modi

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर विचार करने का अनुरोध किया है. साथ ही नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने के फैसले को छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

CM Bhupesh Baghel wrote a letter to PM  Narendra Modi
सीएम बघेल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
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Published : Aug 27, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 7:19 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि NMDC की ओर से लगभग 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बस्तर स्थित निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट का निकट भविष्य में शुरू होना संभावित है. इस स्टील प्लांट के शुरू होते ही बस्तर की बहुमूल्य खनिज सम्पदा का दोहन किया जाएगा. बस्तर स्थित NMDC के नगरनार स्टील प्लांट में उपयोग से राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट सहयोग प्रदान होने और इस औद्योगिक इकाई के शुभारंभ होने से क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की संभावना है, जिससे बस्तरवासी गौरान्वित महसूस कर रहे थे, लेकिन बीते दिनों कुछ समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि केन्द्र सरकार बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी लोगों के हाथों में बेचने की तैयारी में है.

पत्र में कही गई है ये बात

सीएम ने लिखा है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाए. केन्द्र सरकार के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा. नगरनार स्टील प्लांट का इस प्रकार के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है.

बढ़ सकती है नक्सल गतिविधि

भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे हैं. साथ ही इसकी वजह से आदिवासियों के मन में शासन-प्रशासन के खिलाफ असंतोष की भावना पैदा हो रही है. सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए बताया है कि राज्य सरकार के कई तरह की कोशिशों की वजह से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लग रहा है. इन परिस्थितियों में नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण होने से नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के असंतोष का अनुचित लाभ उठाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

शासकीय जमीन पर छत्तीसगढ़ शासन का है स्वामित्व

सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए बताया है कि नगरनार स्टील प्लांट के लिए लगभग 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है, जो 'सार्वजनिक प्रयोजन' के लिए ली गई है. इसके साथ ही नगरनार स्टील प्लांट में लगभग 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन आज भी छत्तीसगढ़ शासन की है. इसमें से सिर्फ 27 हेक्टेयर जमीन 30 सालों के लिए सशर्त NMDC को दी गई है. बाकी पूरी शासकीय जमीन छत्तीसगढ़ शासन के स्वामित्व की है. वहीं राज्य सरकार ने जो जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित की है. उसकी पहली शर्त यहीं है कि उद्योग विभाग की ओर से भूमि का उपयोग सिर्फ NMDC द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किए जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जाएगा.

बस्तर में 1996 से लागू पेसा कानून

सीएम ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हितों और उनके नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिए पेसा कानून (PESA Act) 1996 से लागू है. राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हितों की सुरक्षा के लिए हमेशा संकल्पित है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आगे बढ़ाया था और उनके महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन हमेशा उनकी प्रगति में अपना सहयोग देगा.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ विधानसभा: जानिए मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने किन मुद्दों पर घेरा सरकार को

सीएम ने पत्र में यह भी लिखा है कि बीते महीने ही राज्य सरकार की ओर से NMDC का बैलाडिला स्थित 4 लौह अयस्क के खदानों को आगामी 20 साल की अवधि के लिए विस्तारित किया गया है, जिससे कि बस्तर क्षेत्र में लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलते रहे. इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा मिले और बस्तर की जनता विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर फिर से विचार करे और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में पहले जैसे ही शुरू कर कार्यरत रहने दें. ताकि बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में आधारभूत मदद मिल सके.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि NMDC की ओर से लगभग 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बस्तर स्थित निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट का निकट भविष्य में शुरू होना संभावित है. इस स्टील प्लांट के शुरू होते ही बस्तर की बहुमूल्य खनिज सम्पदा का दोहन किया जाएगा. बस्तर स्थित NMDC के नगरनार स्टील प्लांट में उपयोग से राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट सहयोग प्रदान होने और इस औद्योगिक इकाई के शुभारंभ होने से क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की संभावना है, जिससे बस्तरवासी गौरान्वित महसूस कर रहे थे, लेकिन बीते दिनों कुछ समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि केन्द्र सरकार बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी लोगों के हाथों में बेचने की तैयारी में है.

पत्र में कही गई है ये बात

सीएम ने लिखा है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाए. केन्द्र सरकार के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा. नगरनार स्टील प्लांट का इस प्रकार के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है.

बढ़ सकती है नक्सल गतिविधि

भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे हैं. साथ ही इसकी वजह से आदिवासियों के मन में शासन-प्रशासन के खिलाफ असंतोष की भावना पैदा हो रही है. सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए बताया है कि राज्य सरकार के कई तरह की कोशिशों की वजह से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लग रहा है. इन परिस्थितियों में नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण होने से नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के असंतोष का अनुचित लाभ उठाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

शासकीय जमीन पर छत्तीसगढ़ शासन का है स्वामित्व

सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए बताया है कि नगरनार स्टील प्लांट के लिए लगभग 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है, जो 'सार्वजनिक प्रयोजन' के लिए ली गई है. इसके साथ ही नगरनार स्टील प्लांट में लगभग 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन आज भी छत्तीसगढ़ शासन की है. इसमें से सिर्फ 27 हेक्टेयर जमीन 30 सालों के लिए सशर्त NMDC को दी गई है. बाकी पूरी शासकीय जमीन छत्तीसगढ़ शासन के स्वामित्व की है. वहीं राज्य सरकार ने जो जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित की है. उसकी पहली शर्त यहीं है कि उद्योग विभाग की ओर से भूमि का उपयोग सिर्फ NMDC द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किए जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जाएगा.

बस्तर में 1996 से लागू पेसा कानून

सीएम ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हितों और उनके नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिए पेसा कानून (PESA Act) 1996 से लागू है. राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हितों की सुरक्षा के लिए हमेशा संकल्पित है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आगे बढ़ाया था और उनके महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन हमेशा उनकी प्रगति में अपना सहयोग देगा.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ विधानसभा: जानिए मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने किन मुद्दों पर घेरा सरकार को

सीएम ने पत्र में यह भी लिखा है कि बीते महीने ही राज्य सरकार की ओर से NMDC का बैलाडिला स्थित 4 लौह अयस्क के खदानों को आगामी 20 साल की अवधि के लिए विस्तारित किया गया है, जिससे कि बस्तर क्षेत्र में लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलते रहे. इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा मिले और बस्तर की जनता विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर फिर से विचार करे और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में पहले जैसे ही शुरू कर कार्यरत रहने दें. ताकि बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में आधारभूत मदद मिल सके.

Last Updated : Aug 27, 2020, 7:19 PM IST
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