रायपुर: भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशों में से एक है. देश में 25 जनवरी 2021 को 10वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जा रहा है. यह मतदाताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया में प्रभावी भागीदारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी मनाया जाता है.
मुख्यमंत्री ने बताए मतदाता के कर्तव्य
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में से एक है. हम अपने लोकतंत्र की मजबूती में भागीदारी निभाएं. राष्ट्रीय मतदाता दिवस हमें प्रजातांत्रिक मूल्यों और परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए अपने अधिकारों और कर्तव्यों का बोध कराता है. हमें इसका प्रयोग पूरी जिम्मेदारी और भेदभाव के बिना निर्भीक होकर करना चाहिए. संविधान ने सभी वयस्क नागरिकों को मत का अधिकार दिया है.
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राष्ट्रीय मतदाता दिवस : इतिहास
25 जनवरी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का स्थापना दिवस है, जो 1950 को अस्तित्व में आया था. इस दिन को पहली बार 2011 में मनाया गया था, ताकि युवा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. इसमें कोई संदेह नहीं कि यह वोट के अधिकार और भारत के लोकतंत्र मनाने का भी दिन है. चुनाव आयोग का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं, विशेष रूप से पात्र लोगों के नामांकन में वृद्धि करना है.
युवाओं से मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का आह्वान
मुख्यमंत्री ने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके सभी युवाओं से मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने और मतदान प्रकिया में शामिल होकर गौरवशाली परंपरा का हिस्सा बनने का आह्वान किया है. रायपुर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देशन में इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर में राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ लोक आयोग न्यायमूर्ति टीपी शर्मा समारोह के मुख्य अतिथि हैं. समारोह की अध्यक्षता राज्य निर्वाचन आयुक्त ठाकुर राम सिंह कर रहे हैं. समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. एसके पाटिल भी उपस्थित रहेंगे.
भारतीय राष्ट्रीय चुनाव 2019 में मतदाताओं का महत्व :
- लोकसभा चुनाव या भारत के संसद के निचले सदन के लिए आम चुनाव को सही मायने में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास माना जाता है.
- लोकसभा चुनाव 2019 में लगभग 90 करोड़ लोगों ने मतदान किया था. मतदाता में कुछ हजार भारतीय मूल के दूसरे देशों में रहने वाले मतदाता भी शामिल थे, जो देश की भौगोलिक सीमाओं से बाहर के थे.
- 'देश का महा त्योहार' के रूप में नामित, इस मतदान में ग्रामीण, पहाड़ी और दूर-दराज के इलाकों सहित देश में बने लगभग 10 करोड़ मतदान केंद्रों में मतदाताओं ने वोट किया.
- 39 दिनों से अधिक चलने वाले और 7 चरणों में आयोजित किए गए चुनाव में इलेक्टोरल रोल 16 भाषाओं में तैयार किया गया था और चुनाव प्रबंधन में लगभग 12 मिलियन मतदान अधिकारी तैनात किए गए थे. 23 मई 2019 को परिणाम घोषित किए गए थे.
- लोकसभा चुनाव 2019 में चिलचिलाती गर्मी के बावजूद 613 मिलियन से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले. बुजुर्ग नागरिकों और दिव्यांगों ने भी बड़ी संख्या में वोट डाले कुल मतदाताओं में से 292.4 मिलियन महिला मतदाता थी.
- 17 प्रांतों में पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ और 11 प्रांतों में ऐतिहासिक मतदान हुआ. 18 प्रांतों में महिला मतदान पुरुषों के मतदान प्रतिशत से अधिक था. इससे जेंडर गैप औसतन 0.10 प्रतिशत कम हो गया.
- चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए हर पोलिंग स्टेशन पर इवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था. मतदान के दौरान 2.33 मिलियन बैलट यूनिट, 1.635 मिलियन कंट्रोल यूनिट और 1.74 मिलियन वीवीपैट मशीनें लगाई गई थीं.
- इस चुनाव में सबसे अधिक 67.47% मतदान हुआ था, जो 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले 1.03% अधिक था.
विश्व में महामारी के बीच चुनाव
21 फरवरी 2020 से 27 दिसंबर 2020 : जानकारी के अनुसार दुनिया भर में कम से कम 75 देशों में कोविड-19 के कारण राष्ट्रीय और उप राष्ट्रीय चुनाव स्थगित करने का निर्णय लिया गया. कम से कम 101 देशों ने कोरोना महामारी के बीच राष्ट्रीय या उप राष्ट्रीय चुनाव कराने का निर्णय लिया, जिनमें से कम से कम 79 देशों में राष्ट्रीय चुनाव या जनमत संग्रह कराए गए.
भारत में आगामी चुनाव
चुनाव आयोग के लिए चिंता का एक बड़ा कारण पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी के आगामी विधानसभा चुनाव हैं. सभी चुनाव कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करते हुए करवाए जाएंगे. चुनाव आयोग ने भी इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.