ETV Bharat / state

कार्तिक पूर्णिमा पर सीएम भूपेश बघेल खारून नदी में लगाएंगे आस्था की डुबकी

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के मौके पर सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) रायपुर के खारुन नदी (Kharun river) में स्नान करेंगे और प्रदेश वासियों की सुख समृद्धि की कामना करेंगे.

author img

By

Published : Nov 18, 2021, 7:25 PM IST

सीएम भूपेश बघेल
सीएम भूपेश बघेल

रायपुर: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) रायपुर के महादेव घाट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. इसके बाद मुख्यमंत्री ऐतिहासिक हटकेश्वर महादेव का दर्शन (Historical Hatkeshwar Mahadev Darshan) कर आरती करेंगे और छत्तीसगढ़ की सुख-समृद्धि के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करेंगे. 19 नवंबर से रायपुर के महादेव घाट पर पुन्नी मेला की शुरुआत हो रही है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महादेवघाट (Mahadevghat) पहुंचकर स्नान करते हैं और पूजा अर्चना और प्रदेश की खुशहाली के लिए दीपदान में करते हैं.

यह भी पढ़ें: पेट्रोल-डीजल में VAT रेट कम करने को लेकर BJYM का प्रदर्शन, रस्सी बांधकर खिंचा ट्रैक्टर

ये है पुन्नी मेले का इतिहास

पुन्नी मेले के इतिहास को लेकर यह बताया जाता है कि लगभग 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव ने हटकेश्वर नाथ महादेव से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी.मन्नत पूरी होने पर सन 1428 में खारुन नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ने अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया. वहां हवन-पूजन और यज्ञ के बाद ग्रामीणों ने खेल तमाशा का आनंद लेते हुए भोजन ग्रहण किया था. इसके पश्चात हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ग्रामीणों को आमंत्रित करते थे. कालांतर में यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हो गई जिसे पुन्नी मेले के नाम से जाना जाता है.

रायपुर: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) रायपुर के महादेव घाट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. इसके बाद मुख्यमंत्री ऐतिहासिक हटकेश्वर महादेव का दर्शन (Historical Hatkeshwar Mahadev Darshan) कर आरती करेंगे और छत्तीसगढ़ की सुख-समृद्धि के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करेंगे. 19 नवंबर से रायपुर के महादेव घाट पर पुन्नी मेला की शुरुआत हो रही है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महादेवघाट (Mahadevghat) पहुंचकर स्नान करते हैं और पूजा अर्चना और प्रदेश की खुशहाली के लिए दीपदान में करते हैं.

यह भी पढ़ें: पेट्रोल-डीजल में VAT रेट कम करने को लेकर BJYM का प्रदर्शन, रस्सी बांधकर खिंचा ट्रैक्टर

ये है पुन्नी मेले का इतिहास

पुन्नी मेले के इतिहास को लेकर यह बताया जाता है कि लगभग 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव ने हटकेश्वर नाथ महादेव से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी.मन्नत पूरी होने पर सन 1428 में खारुन नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ने अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया. वहां हवन-पूजन और यज्ञ के बाद ग्रामीणों ने खेल तमाशा का आनंद लेते हुए भोजन ग्रहण किया था. इसके पश्चात हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ग्रामीणों को आमंत्रित करते थे. कालांतर में यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हो गई जिसे पुन्नी मेले के नाम से जाना जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.