रायपुर: पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का शुभारंभ किया. यह महोत्सव 3 तीन दिन तक चलेगा. आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा यह आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया उपस्थित रहीं.
प्रशासनिक लोगों को सिखाई जाएगी भाषा: इस दौरान मीडिया से बात करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, पहली बार छत्तीसगढ़ में इस तरह का आयोजन हुआ है. आदिवासी क्षेत्रों में जो साहित्य की रचना हुई वह मुख्यधारा की रचनाओं और समाज को जोड़ने का काम करेगी. मैं समझता हूं कि, यह हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी. इस तरह का आयोजन, मुख्यधारा के साहित्य और आदिवासी क्षेत्र के साहित्य की रचना को जोड़ने के लिए पुल का काम करेगा.
सीएम बघेल ने बताया कि, जनजातीय साहित्य ने हर वर्ग के लोगों को जोड़ने का काम किया है. छत्तीसगढ़ में 16 प्रकार की भाषा बोली जाती है. जिन्हें पहली से पांचवी के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. प्रशासनिक लोगों को गोंडी और हलबी भाषा के साहित्य भी उपलब्ध कराए गए हैं. उन्हें बोली बोलने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसका मुख्य कारण यही है कि प्रशासनिक अधिकारियों को लोगों से संवाद में कोई दिक्कत ना हो.
कवि एवं पद्मश्री डॉ. हलधर नाग सम्मानित: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रख्यात कवि एवं पद्मश्री डॉ. हलधर नाग को सम्मानित करते हुए गले लगाया. राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव के उद्घाटन समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने जनजातीय साहित्य और संस्कृति पर गहराई से लिखने वाले साहित्यकार ओडिशा के कोसली भाषा के कवि एवं लेखक पद्मश्री हलधर नाग का आत्मीय स्वागत किया.
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तीन दिवसीय कार्यक्रम: 19 अप्रैल से 21 अप्रैल तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजन कार्यक्रम में 104 शोध पत्रों का वाचन किया जाएगा. कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन होगा. इसके साथ ही जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति होगी. तीन दिवसीय कार्यक्रम में शाम 5 बजे से 8 बजे तक जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुतियां की जाएगी.