जगदलपुर: सरकार और पुलिस प्रशासन का दावा है कि बीजापुर एनकाउंटर में नक्सलियों का बड़ा नुकसान हुआ है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि नक्सली 4 ट्रैक्टर में अपने मारे गए और घायल साथियों को लेकर गए हैं. इससे स्पष्ट हो जाता है कि नक्सलियों को भारी क्षति हुई है. रविवार को बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने भी दावा किया था कि नक्सली 3 ट्रैक्टर में अपने घायल और मारे गए नक्सलियों के शव लाद कर ले गए हैं.
हम नहीं छोड़ेंगे कैंप लगाना: सीएम बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सली अंदरूनी इलाकों में कैंप स्थापित करने से बौखलाए हुए हैं. सीएम ने कहा कि मिनपा में नया कैंप स्थापित हो रहा था, जो नक्सलियों को खल रहा था. उसके बाद वहां हमला हुआ था. बघेल ने कहा कि तर्रेम में कैंप स्थापित करना था इसलिए यहां भी अटैक किया. सीएम ने कहा कि जवान बहुत बहादुरी से लड़े.
'नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ पर, हमारी जीत होगी'
'नक्सलियों की मांद में घुसे जवान'
बस्तर आईजी सुंदरराज पी बताया था कि पहली बार जवानों ने नक्सलियों के सबसे सेफ जोन माने जाने वाले कोर इलाकों में ऑपरेशन किया है. आने वाले समय में फिर से इस इलाके में ऑपरेशन लॉन्च किया जाएगा. नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.
बीजापुर-सुकमा की सीमा पर हुए एनकाउंटर के बारे में डिटेल देते हुए आईजी ने दावा किया कि नक्सलियों को बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि प्लाटून नंबर 1 नक्सलियों की सबसे बड़ी कंपनी है. जिसमें सभी नक्सली अत्याधुनिक हथियार से लैस होते हैं. ऐसे में जवानों ने बहादुरी के साथ उनका सामना किया. पुलिस ने सर्चिंग के दौरान एक महिला नक्सली का शव बरामद किया है. उसकी पहचान एलजीएस कमांडर माड़वी के रूप में की गई है. नक्सली 3 ट्रैक्टर में अपने घायल और मारे गए नक्सलियों के शव लाद कर ले गए हैं.
मुठभेड़ की कहानी, घायल जवानों की जुबानी
मुठभेड़ में शामिल था हिड़मा: IG
आईजी ने कहा कि यह इलाका नक्सलियों का कोर इलाका माना जाता है. यहां नक्सलियों का नेटवर्क और सूचनातंत्र काफी मजबूत है, इसलिए जवानों के सामने चुनौतियां बढ़ जाती हैं. आईजी ने कहा कि इन इलाकों में जब भी जवान जाते हैं तो नक्सलियों के साथ जोरदार मुठभेड़ होती है. ताड़मेटला, मीनपा और कसालपाड़ में हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में भी जवानों का पीएलजीए प्लाटून नंबर एक के ही नक्सलियों के साथ सामना हुआ था.
उन्होंने बताया कि इस मुठभेड़ में हिड़मा भी शामिल था. हमेशा से ही ऐसे इलाकों में जवान और नक्सलियों के बीच लड़ाई बराबर की होती है. लेकिन नक्सलियों का नेटवर्क तगड़ा होने की वजह से इस बार के मुठभेड़ में जवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.