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टोकन बांटने वाली सरकार के आरोप पर बोले सीएम, अफवाह फैलाने वाली फैक्ट्री है बीजेपी - धान खरीदी के लिए टोकन वितरण

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू करने जा रही है. जिसके लिए 27 नवंबर से टोकन वितरण का काम शुरू किया जाएगा. इसे लेकर बीजेपी ने भूपेश सरकार पर निशाना साधा है.

CM Bhupesh Baghel couter attack at BJP
सीएम भूपेश का बीजेपी पर पलटवार
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Published : Nov 26, 2020, 7:34 PM IST

रायपुर: धान खरीदी में हुई देरी को लेकर बीजेपी ने एक बार फिर भूपेश सरकार पर आरोप लगाया. बीजेपी का कहना है कि ये सरकार टोकन बांटने वाली सरकार बन कर रह गई है. पिछले साल भी किसानों को टोकन बांटे गए थे, लेकिन उनसे धान खरीदी नहीं की गई. इस साल भी सरकार टोकन बांटने का अभियान शुरू करने वाली है.

धान खरीदी पर आमने-सामने पक्ष विपक्ष

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि देर से धान खरीदी शुरू होने के कारण प्रदेश के किसान ओने पौने दाम पर अपना धान बेचने को मजबूर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि आज किसानों को जब पैसों की जरुरत थी तो सरकार धान नहीं खरीद रही है. अब सरकार टोकन बांटने का काम कर रही है.

ICU में भर्ती हो जाएगी सरकार: संजय श्रीवास्तव

संजय श्रीवास्तव ने कहा कि अगर सरकार सर्वे करा लें कि 1 महीने में कितने किसानों ने मजबूरी में व्यापारियों को औने पौने दाम में धान बेचा है, तो सरकार के सामने पूरी सत्यता आ जाएगी. जिसके बाद यह सरकार ICU में भर्ती हो जाएगी.

अफवाह फैलाने वाली फैक्ट्री है BJP: सीएम

बीजेपी के आरोप पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अफवाह फैलाने की फैक्ट्री है. पिछले साल जो धान खरीदी का समय था उस समय खरीदी की गई. सीएम भूपेश ने कहा कि समय सीमा खत्म होने के बाद भी उनकी सरकार ने धान खरीदी की थी.

पढ़ें: गरियाबंद: ओडिशा से आ रहा 60 बोरा धान जब्त, साइकिल में नदी से पार कर रहे थे धान

किसानों को हम पर विश्वास: सीएम

सीएम ने कहा कि बीजेपी के राज में तो 12 लाख किसानों से ही धान खरीदी की जाती थी, लेकिन उनके शासनकाल में 19 लाख किसानों से धान खरीदा जा रहा है. सीएम ने कहा कि रकबा भी बढ़ा है और किसानों की संख्या भी बढ़ी है. लोगों का विश्वास कांग्रेस सरकार पर है, बीजेपी पर तो जनता का विश्वास ही नहीं था, इस वजह से किसान उस समय धान नहीं बेचते थे.

धान खरीदी की तैयारी पूरी

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू किए जाने को लेकर सारी तैयारी पूरी किए जाने का दावा कर रही है. अब देखने वाली बात है कि किसानों को टोकन बांटने के बाद सरकार उनका कितना धान खरीद पाती है, या फिर किसानों को पिछली बार की तरह इस बार फिर धान बेचने के लिए मंडियों के चक्कर काटने पड़ेंगे.

रायपुर: धान खरीदी में हुई देरी को लेकर बीजेपी ने एक बार फिर भूपेश सरकार पर आरोप लगाया. बीजेपी का कहना है कि ये सरकार टोकन बांटने वाली सरकार बन कर रह गई है. पिछले साल भी किसानों को टोकन बांटे गए थे, लेकिन उनसे धान खरीदी नहीं की गई. इस साल भी सरकार टोकन बांटने का अभियान शुरू करने वाली है.

धान खरीदी पर आमने-सामने पक्ष विपक्ष

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि देर से धान खरीदी शुरू होने के कारण प्रदेश के किसान ओने पौने दाम पर अपना धान बेचने को मजबूर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि आज किसानों को जब पैसों की जरुरत थी तो सरकार धान नहीं खरीद रही है. अब सरकार टोकन बांटने का काम कर रही है.

ICU में भर्ती हो जाएगी सरकार: संजय श्रीवास्तव

संजय श्रीवास्तव ने कहा कि अगर सरकार सर्वे करा लें कि 1 महीने में कितने किसानों ने मजबूरी में व्यापारियों को औने पौने दाम में धान बेचा है, तो सरकार के सामने पूरी सत्यता आ जाएगी. जिसके बाद यह सरकार ICU में भर्ती हो जाएगी.

अफवाह फैलाने वाली फैक्ट्री है BJP: सीएम

बीजेपी के आरोप पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अफवाह फैलाने की फैक्ट्री है. पिछले साल जो धान खरीदी का समय था उस समय खरीदी की गई. सीएम भूपेश ने कहा कि समय सीमा खत्म होने के बाद भी उनकी सरकार ने धान खरीदी की थी.

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किसानों को हम पर विश्वास: सीएम

सीएम ने कहा कि बीजेपी के राज में तो 12 लाख किसानों से ही धान खरीदी की जाती थी, लेकिन उनके शासनकाल में 19 लाख किसानों से धान खरीदा जा रहा है. सीएम ने कहा कि रकबा भी बढ़ा है और किसानों की संख्या भी बढ़ी है. लोगों का विश्वास कांग्रेस सरकार पर है, बीजेपी पर तो जनता का विश्वास ही नहीं था, इस वजह से किसान उस समय धान नहीं बेचते थे.

धान खरीदी की तैयारी पूरी

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू किए जाने को लेकर सारी तैयारी पूरी किए जाने का दावा कर रही है. अब देखने वाली बात है कि किसानों को टोकन बांटने के बाद सरकार उनका कितना धान खरीद पाती है, या फिर किसानों को पिछली बार की तरह इस बार फिर धान बेचने के लिए मंडियों के चक्कर काटने पड़ेंगे.

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