रायपुर: छत्तीसगढ़ में कैंसर के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं. राज्य के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर के कैंसर विभाग में आए दिन मरीजों की संख्या में बढ़त देखी जा रही है. अस्पताल में आने वाले 100 मरीजों में 10 बच्चे है, जिनकी उम्र 15 वर्ष से कम है. खास बात यह है कि इन बच्चों में माता-पिता से मिले जीन्स की वजह से ये बच्चे कैंसर पीड़ित हो रहे हैं. इसमें जरूरी नहीं कि उनके माता-पिता को कैंसर हो, लेकिन उनके जीन में किसी विकृति की वजह से हुए जेनेटिक बदलाव से बच्चे कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं, जो डॉक्टरों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है. (Children suffering from cancer in Chhattisgarh )
बच्चों में ल्यूकेनिया: इस विषय में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर कहते हैं कि अंबेडकर अस्पताल में लोगों को फैसिलिटी मिल रही है. अवेयरनेस भी बढ़ रहा है. जिसकी वजह से केसेस ज्यादा आ रहे हैं. लोगों को लग रहा है कि यहां आने से जल्दी ठीक हो सकते हैं. इसलिए मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. बच्चों के कैंसर में सबसे ज्यादा ल्यूकेमिया देखने को मिलता है. इसमें लंबे समय तक बुखार आना या कमजोरी लगना. कहीं पर गांठ आ जाना. ये सारी तकलीफें होती है. कोई भी बुखार लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहा है या सामान्य जो छिद्र होते हैं जैसे मुख हो गया या कहीं से ब्लीडिंग हो रहा है. इस तरह के कंप्लेन आ रहे हैं.
जन्मजात बच्चे हो रहे कैंसर के शिकार: डॉक्टर चंद्रकार कहते हैं कि बच्चों में कहीं ना कहीं अनुवांशिक कारण है, जो पहले जनरेशन में माता-पिता को किसी हार्मफुल करिसिनोजल केमिकल एक्सपोजर हुआ है. जिसकी वजह से उसमें जेनेटिक बदलाव हुए हैं. जिसके चलते जन्मजात बच्चों में यह बीमारी जेनेटिक आ रही है. इसके कुछ दिनों बाद बच्चों में कैंसर देखने को मिल रहा है. बच्चों के कैंसर में यह कहा जा सकता है कि वेट जीन्स हैं, जो मुख्य कारण है. चूंकि पॉपुलेशन सर्वे नहीं हुआ है तो यह नहीं कहा जा सकता कि इसकी संख्या बढ़ रही है. लेकिन हम जिस कैंसर इंस्टीट्यूट में काम कर रहे हैं. यहां समय के अंतराल में बहुत अच्छा केयर हुआ है. जिसकी वजह से ज्यादा लोग आ रहे हैं. दूसरा कारण हो सकता है कि केस बढ़ रहा हो, लेकिन जब तक पॉपुलेशन सर्वे न हो तब तक ये बता पाना असंभव है.
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नजरअंदाज किया तो होगी यह समस्या: डॉक्टरों की मानें तो सिम्टम्स को नजरअंदाज करना नुकसानदेह है. सिम्टम्स बढ़ने के बाद हमें रिजल्ट दे पाना संभव नहीं होता है. हालांकि बच्चों के कैंसर में रिजल्ट ज्यादा अच्छा आ रहा है. यदि उनका प्रॉपर केयर किया जाए. पहले अर्ली स्टेज में पता कर लिया जाए तो ऐसे केसेस में सुधार भी जल्दी होता है. उन्होंने बताया कि यदि किसी की आंखों में सफेद धब्बा हो तो तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए. बहुत से लोग देरी से आते हैं. जिसकी वजह से आंखे निकालनी पड़ती है. यदि ऐसे मरीज समय रहते इलाज कराते हैं तो उसकी आँखों की रक्षा की जा सकती है.
कैंसर से ऐसे बचेंः कैंसर रोग विशेषज्ञ की मानें तो लोगों को अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाना होगा. क्योंकि बच्चे-बड़े में अक्सर देखने को मिलता है कि 90 फीसद कैंसर हमारे लाइफस्टाइल से रिलेटेड है. लाइफस्टाइल में जैसे टोबेको का सेवन, हमारे डाइट में किसी न किसी तरीके से कैमिकल्स का होना. जिसकी वजह से हमारे अनुवांशिकी में बदलाव हो रहे हैं. यही वजह है कि कैंसर के लोग शिकार हो रहे हैं. ऐसे में हमें लाइफस्टाइल को बदलकर ज्यादा एक्सरसाइज करना चाहिए. हेल्दी डाइट लेने की जरूरत है. वहीं, केमिकल्स वाले फूड को अवॉइड करके कैंसर से बचा जा सकता है.
70 फीसद तम्बाकू के सेवन वाले: मेकाहारा संस्थान में बच्चों के अलावा सबसे अधिक मुंह और गले के कैंसर के मरीज आ रहे हैं. इसमें से 70 फीसद मरीज तंबाकू के हैबिट की वजह से आ रहे है. इसके साथ ही गुड़ाखु या गुटखा के सेवन करने वाले हैं. इस वजह से भी कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं. यदि हम गुटका या किसी भी तरीके के तंबाकू के सेवन को रोके तो इस बीमारी को रोका जा सकता है.
4 साल में 174 बच्चों की मौत
साल | पंजीयन | ल्यूकेमिया | अन्य कैंसर | मौत |
23 जून | 50 | 7 | 43 | 0 |
2021 | 126 | 32 | 94 | 38 |
2020 | 142 | 24 | 118 | 51 |
2019 | 195 | 51 | 144 | 44 |
2018 | 255 | 70 | 185 | 41 |