रायपुर: पूरा विश्व इन दिनों कोरोना संकट से जूझ रहा है. अपनी शक्तियों का दावा ठोकने वाले बड़े-बड़े देश भी इस वैश्विक महामारी से लड़ नहीं पा रहे हैं. कुछ वैश्विक महामारी के आगे उन सभी ने घुटने तक टेक दिए हैं. देश में अब अनलॉक चल रहा है. लेकिन कोरोना के चलते बच्चों के लिए ये अनलॉक, लॉकडाउन जैसा ही है. क्योंकि बच्चे पहले के जैसे ना तो घर से निकल पा रहे हैं और ना ही बाहर खेल पा रहे है. यहां तक कि उनका स्कूल भी बंद है. जिससे घर में रहकर बच्चे चिड़चिड़े हो रहे है.
टीवी या मोबाइल बना टाइमपास का साधन
पहले बच्चे स्कूल जाते थे, ट्यूशन और इसी के साथ दूसरी कई एक्टिविटीज भी चलती रहती थी, लेकिन कोरोना के कारण बच्चों की सभी एक्टिविटी बंद हो चुकी है. जिससे बच्चे दिनभर घर में ही रह रहे हैं. इस दौरान वे या तो टीवी देख रहे हैं या फिर मोबाइल. इससे बच्चे अपना टाइमपास तो कर ले रहे हैं, लेकिन क्वॉलिटी टाइम नहीं बिता पा रहे है. जिससे छोटे-छोटे बच्चों में गुस्सा भी देखने को मिल रहा है.
बच्चों के साथ माता-पिता भी हो रहे परेशान
बच्चों के साथ माता-पिता भी परेशान हो रहे हैं. क्योंकि स्कूल जाने और गार्डन में खेलने के दौरान घर में माता-पिता के पास घर के दूसरे काम करने के लिए टाइम मिल जाता था. लेकिन घर के बाहर कोरोना का खतरा होने के कारण बच्चे दिनभर घर में ही रहते हैं जिससे माता-पिता भी परेशान हो रहे हैं. उनके सामने बच्चों को दिन भर घर में संभालना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.
बच्चे हो रहे चिड़चिड़े
ETV भारत से बात करते हुए मानवी रेंगवानी ने बताया कि उनकी बच्ची 4 साल की है. लॉकडाउन के दौरान घर में रहकर उनकी बच्ची ज्यादा चिड़चिड़ी हो गई है, और हर बात पर रोने लगती है. इसके साथ ही काफी जिद्दी भी हो गई है. मानवी बताती है कि ढाई महीने पहले ऐसा कुछ नहीं था. पहले हर रोज शाम को वो अपनी बेटी को पार्क ले जाया करती थी. इसके साथ ही वीकेंड पर बाहर घूमने के लिए भी जाया करते थे, लेकिन पिछले ढाई महीने से घर में ही रहने के कारण बच्चे ज्यादा चिड़चिड़े हो रहे हैं.
'अब नहीं जाते क्रिकेट खेलने'
अंकित सिंह, जो कि आठवीं क्लास के छात्र हैं वह बताते हैं कि अब हम ज्यादा वक्त घर पर रहते हैं. पहले हम बाहर क्रिकेट खेलते थे. दोस्तों के साथ गार्डन जाया करते थे. लेकिन अब ज्यादातर समय घर पर रहते हैं, कार्टून देखते हैं.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट की राय
चाइल्ड स्पेशलिस्ट अशोक भट्ट ने ETV से चर्चा में बताया कि बच्चे जब बाहर जाते हैं या स्कूल जाते हैं तो उनमें ना केवल शैक्षणिक ज्ञान आता है, बल्कि वे सामाजिक भी होते हैं. लेकिन इन दिनों बच्चे घर पर हैं, माता-पिता भी घर पर हैं. तो कहीं ना कहीं बच्चों और माता-पिता में दिनभर आनाकानी होती रहती है. जिससे माता-पिता भी परेशान हो रहे हैं और बच्चे भी परेशान हो रहे हैं. ऐसे समय में माता-पिता को घर में बच्चों के लिए एक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत हैं. इसके साथ ही पैरेंट्स भी बच्चों के साथ गेम खेले या फिर उनकी मनपसंद की चीजों में शामिल हो. अशोक भट्ट ने कहा कि बच्चों को महंगे गेजेट्स के भरोसे छोड़े जाने की बजाय कैरम, लूड़ो खेलना ज्यादा फायदेमंद है. इसके साथ ही बच्चों की मनपसंद खाने-पीने की चीजें भी बच्चों को खुश रख सकती है.