रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर वनमंडल के तेंदूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण की मजदूरी की राशि का नकद भुगतान करने की स्वीकृति दी है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने मंगलवार को सीएम बघेल को तेंदूपत्ता संग्राहकों को मजदूरी की राशि के नगद भुगतान के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया है. जिस पर उन्होंने स्वीकृति दी है. बीजापुर में करीब 2 हजार आदिवासियों ने कैश भुगतान की मांग को लेकर शासन और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
सीएम को भेजे गए पत्र में मंत्री लखमा ने लिखा है कि वनमंडल सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर तीनों घोर संवेदनशील और नक्सल प्रभावित जिले हैं. इन जिलों के तेंदूपत्ता संग्राहकों और जनप्रतिनिधियों ने तेंदूपत्ता राशि का नकद भुगतान किया जाए. मंत्री लखमा ने पत्र में लिखा है कि इन तीनों जिलों में भी तेंदूपत्ता का भुगतान बैंक के जरिए से करने का प्रावधान है. लेकिन संग्राहकों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता नहीं होने के कारण बैंक के जरिए से भुगतान में काफी दिक्कत होती है.
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इलाके से बहुत दूर हैं बैंक
एक तो यह क्षेत्र संवेदनशील है और अंदरूनी गांवों से बैंक की दूरी 70 से 80 किलोमीटर तक है. मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को बैंक से मजदूरी से भुगतान के आदेश को निरस्त करते हुए सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर तीनों वनमंडलों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को मजदूरी की राशि का नगद भुगतान कराने के निर्देश दिए हैं.
गंगालूर थाना क्षेत्र के 8 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता की रकम के नकद भुगतान को लेकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर 25 किलोमीटर पैदल चलकर जिला मुख्यालय पहुंचे और आरोप लगाया कि प्रशासन ने 2018 से तेंदूपत्ता का बोनस भी नहीं दिया है. जिसके बाद प्रशासन और विधायक की तरफ से दो दिन के अंदर नकद राशि के भुगतान का आश्वासन दिया गया था.