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मकर संक्रांति: सीएम भूपेश और राज्यपाल अनुसुइया उइके ने दी बधाई

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुइया उइके ने प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति, पोंगल और लोहड़ी पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.

Chief Minister and Governor wishes for Makar Sankranti
स्नान-दान के साथ शुरू हुआ मकर संक्रांति का पर्व
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Published : Jan 14, 2021, 9:47 AM IST

रायपुर: देशभर में आज मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रदेश में भी इसकी रौनक देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुइया उइके ने प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति, पोंगल और लोहड़ी पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. सीएम बघेल ने लोगों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूर्य को अन्न, धन और समस्त ऊर्जा का आधार माना गया है. यह पर्व देश, प्रदेश सहित सभी लोगों के जीवन में भी सुखद परिवर्तन लेकर आए. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि देश के विभिन्न प्रान्तों में अलग-अलग नामों से मनाई जाने वाली मकर संक्रांति, पोंगल, माघ, बीहू जैसे पर्व भारत की सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करते हैं. हमें एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं.

स्नान-दान का होता है महत्व

हर साल 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. सभी पंतग उड़ाकर मकर संक्रांति सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. स्नान-दान शुभ मुहूर्त में करें, तो फल और शुभदायी होता है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की प्रक्रिया को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण होते हैं, इसे सूर्य का राशि परिवर्तन भी कहा जाता है. गुरुवार को पड़ने वाली इस बार की मकर संक्रांति कई मायनों में विशेष है.

8ः14 बजे शुरू होगा शुभ मुहूर्त

संक्रांति इस साल बेहद खास संयोग में आ रहा है. इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन भी नहीं है. इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे देश में मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य पंडित बृजेंद्र मिश्र के अनुसार इस साल ग्रहों के राजा सूर्य का मकर राशि में आगमन गुरुवार 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है. गुरुवार को संक्रांति होने की वजह से यह नंदा और नक्षत्रानुसार महोदरी संक्रांति मानी जाएगी. जो ब्राह्मणों, शिक्षकों, लेखकों, छात्रों के लिए लाभप्रद और शुभ रहेगी.

पूजा की विधि

सूर्य देव को मकर संक्रांति के दिन अर्घ्य के दौरान जल, लाल पुष्प, फूल, वस्त्र, गेहूं, अक्षत, सुपारी आदि अर्पित की जाती है. सूर्य के बीज मंत्र का आज जाप करें. श्रीमद्भागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का विशेष महत्व होता है. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

पढ़ें: देशभर में मकर संक्रांति आज, प्रधानमंत्री ने दी बधाई

2ः38 बजे तक धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम

शास्त्रों का मत है कि संक्रांति के 6 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जात है. इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से संक्रांति का स्नान-दान पुण्य किया जा सकेगा. इस दिन दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक संक्रांति से संबंधित धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम रहेगा. वैसे पूरे दिन भी स्नान दान किया जा सकता है.

सूर्य की चाल से मकर संक्रांति की तारीख का रहस्य

मकर संक्रांति की तिथि का यह रहस्य इसलिए है, क्योंकि सूर्य की गति एक साल में 20 सेकंड बढ़ जाती है. इस हिसाब से 5000 साल के बाद संभव है कि मकर संक्रांति जनवरी में नहीं बल्कि फरवरी में मनाई जाएगी. वैसे इस साल मकर संक्रांति पर सूर्य का आगमन 14 तारीख को सुबह में ही हो रहा है.

ग्रहों का बहुत ही दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार मकर संक्रांति के दिन सबसे खास बात यह है कि सूर्य के पुत्र शनि स्वयं अपने घर मकर राशि में गुरु महाराज बृहस्पति और ग्रहों के राजकुमार बुध एवं नक्षत्रपति चंद्रमा को साथ लेकर सूर्यदेव का मकर राशि में स्वागत करेंगे. ग्रहों का ऐसा संयोग बहुत ही दुर्लभ माना जाता है. ग्रहों के इस संयोग में स्वयं ग्रहों के राजा, गुरु, राजकुमार, न्यायाधीश और नक्षत्रपति साथ रहेंगे. सूर्य का प्रवेश श्रावण नक्षत्र में होगा, जिससे ध्वज नामक शुभ योग बनेगा. ग्रहों के राजा सूर्य सिंह पर सवार होकर मकर में संक्रमण करेंगे. ऐसे में राजनीति में सत्ता पक्ष का प्रभाव बढ़ेगा और देश में राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है.

पढ़ें: तिल और गुड़ में छुपा सेहत का खजाना

धार्मिक पुस्तकों का करें दान

संक्रांति पर तिल और गुड़ का दान सबसे ज्यादा किया जाता है. तिल इसलिए कि भगवान विष्णु के अंग से उत्पन्न हुआ था. गुड़ लक्ष्मी को प्रिय है. संक्रांति के दिन वस्त्र, अन्न, गुड़, तिल, श्रद्धा के साथ दान करना लाभकारी है. इस बार महोदरी संक्रांति होने के कारण धार्मिक पुस्तकों का दान करना सबसे ज्यादा लाभकारी है.

रायपुर: देशभर में आज मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रदेश में भी इसकी रौनक देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुइया उइके ने प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति, पोंगल और लोहड़ी पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. सीएम बघेल ने लोगों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूर्य को अन्न, धन और समस्त ऊर्जा का आधार माना गया है. यह पर्व देश, प्रदेश सहित सभी लोगों के जीवन में भी सुखद परिवर्तन लेकर आए. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि देश के विभिन्न प्रान्तों में अलग-अलग नामों से मनाई जाने वाली मकर संक्रांति, पोंगल, माघ, बीहू जैसे पर्व भारत की सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करते हैं. हमें एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं.

स्नान-दान का होता है महत्व

हर साल 14 और 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. सभी पंतग उड़ाकर मकर संक्रांति सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. स्नान-दान शुभ मुहूर्त में करें, तो फल और शुभदायी होता है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की प्रक्रिया को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण होते हैं, इसे सूर्य का राशि परिवर्तन भी कहा जाता है. गुरुवार को पड़ने वाली इस बार की मकर संक्रांति कई मायनों में विशेष है.

8ः14 बजे शुरू होगा शुभ मुहूर्त

संक्रांति इस साल बेहद खास संयोग में आ रहा है. इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन भी नहीं है. इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे देश में मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य पंडित बृजेंद्र मिश्र के अनुसार इस साल ग्रहों के राजा सूर्य का मकर राशि में आगमन गुरुवार 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है. गुरुवार को संक्रांति होने की वजह से यह नंदा और नक्षत्रानुसार महोदरी संक्रांति मानी जाएगी. जो ब्राह्मणों, शिक्षकों, लेखकों, छात्रों के लिए लाभप्रद और शुभ रहेगी.

पूजा की विधि

सूर्य देव को मकर संक्रांति के दिन अर्घ्य के दौरान जल, लाल पुष्प, फूल, वस्त्र, गेहूं, अक्षत, सुपारी आदि अर्पित की जाती है. सूर्य के बीज मंत्र का आज जाप करें. श्रीमद्भागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का विशेष महत्व होता है. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

पढ़ें: देशभर में मकर संक्रांति आज, प्रधानमंत्री ने दी बधाई

2ः38 बजे तक धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम

शास्त्रों का मत है कि संक्रांति के 6 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जात है. इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से संक्रांति का स्नान-दान पुण्य किया जा सकेगा. इस दिन दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक संक्रांति से संबंधित धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम रहेगा. वैसे पूरे दिन भी स्नान दान किया जा सकता है.

सूर्य की चाल से मकर संक्रांति की तारीख का रहस्य

मकर संक्रांति की तिथि का यह रहस्य इसलिए है, क्योंकि सूर्य की गति एक साल में 20 सेकंड बढ़ जाती है. इस हिसाब से 5000 साल के बाद संभव है कि मकर संक्रांति जनवरी में नहीं बल्कि फरवरी में मनाई जाएगी. वैसे इस साल मकर संक्रांति पर सूर्य का आगमन 14 तारीख को सुबह में ही हो रहा है.

ग्रहों का बहुत ही दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार मकर संक्रांति के दिन सबसे खास बात यह है कि सूर्य के पुत्र शनि स्वयं अपने घर मकर राशि में गुरु महाराज बृहस्पति और ग्रहों के राजकुमार बुध एवं नक्षत्रपति चंद्रमा को साथ लेकर सूर्यदेव का मकर राशि में स्वागत करेंगे. ग्रहों का ऐसा संयोग बहुत ही दुर्लभ माना जाता है. ग्रहों के इस संयोग में स्वयं ग्रहों के राजा, गुरु, राजकुमार, न्यायाधीश और नक्षत्रपति साथ रहेंगे. सूर्य का प्रवेश श्रावण नक्षत्र में होगा, जिससे ध्वज नामक शुभ योग बनेगा. ग्रहों के राजा सूर्य सिंह पर सवार होकर मकर में संक्रमण करेंगे. ऐसे में राजनीति में सत्ता पक्ष का प्रभाव बढ़ेगा और देश में राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है.

पढ़ें: तिल और गुड़ में छुपा सेहत का खजाना

धार्मिक पुस्तकों का करें दान

संक्रांति पर तिल और गुड़ का दान सबसे ज्यादा किया जाता है. तिल इसलिए कि भगवान विष्णु के अंग से उत्पन्न हुआ था. गुड़ लक्ष्मी को प्रिय है. संक्रांति के दिन वस्त्र, अन्न, गुड़, तिल, श्रद्धा के साथ दान करना लाभकारी है. इस बार महोदरी संक्रांति होने के कारण धार्मिक पुस्तकों का दान करना सबसे ज्यादा लाभकारी है.

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