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अन्नदान का महापर्व है छेरछेरा: CM सुपोषण अभियान को करेंगे समर्पित

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Published : Jan 10, 2020, 8:40 AM IST

प्रदेश में आज महत्वपूर्ण अन्नदान का महापर्व छेरछेरा त्योहार मनाया जाएगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर्व को मनाने के लिए राजधानी के प्राचीन मंदिर दूधाधारी मठ पहुंचेंगे, जहां वे छेरछेरा पर्व के परंपरा अनुसार दान लेकर सुपोषण अभियान में समर्पित करेंगे.

Chher-chhera festival
छेरछेरा त्योहार

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छेरछेरा पुन्नी के दिन प्राचीन और ऐतिहासक दूधाधारी मठ में जाकर पूजा-अर्चना करेंगे और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना करेंगे. इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल अन्नदान लेकर मंदिर के आस-पास के घरों में जाकर दान लेंगे.सीएम दान में प्राप्त अन्न को प्रदेश के सुपोषण अभियान के लिए समर्पित करेंगे.

ऐतिहासिक दूधाधारी मंदिर में वर्षों पूर्व से छेरछेरा पुन्नी मनाया जा रहा है. मंदिर में भगवान को भोग लगाकर सभी उपस्थित लोगों को प्रसाद वितरण किया जाता है. छेरछेरा पुन्नी के अवसर पर मंदिर परिसर में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी की झांकी, चटकुला नर्तक दल, बैलगाड़ी और कृषि उपकरण का प्रदर्शन किया जाएगा. चिंहारी लोक कला मंच द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा. इस मौके पर राउत नाचा और डंडा नाच का भी आयोजन किया गया है.

अन्नदान का महापर्व है छेरछेरा
छेरछेरा पुन्नी अन्नदान का महापर्व है. यह छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण लोक पर्व है. छेरछेरा पुन्नी का पौराणिक महत्व है. मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पर अनाज दान करने से दरिद्रता दूर होती है और अनाज का भंडार हमेशा भरा रहता है. मान्यता के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा पर अनाज दान करने से धन और वैभव भी बढ़ता है. किसान इस दिन सुबह अन्नपूर्णा देवी की पूजा- अर्चना कर नये अनाज से बने पकवानों का भोग लगाते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.

  • छत्तीसगढ़ में पौष महीने की पूर्णिमा तिथि को प्रति वर्ष छेरछेरा का त्यौहार खुशी से मनाया जाता है.
  • छेरछेरा पुन्नी के दिन युवक-युवतियां लोगों के घरों में जाकर छेर छेरा - माई कोठी के धान ल हेर हेरा की आवाज लगाते हैं.
  • इन युवक-युवतियों को अवाज लगाने पर उन्हें टोकरी या सुपा में धान दिया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दिन डंडा नांच मड़ई आदि का भी आयोजन किया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दिन दिया गया धान का दान समाज को सम्पन्न बनाता है.
  • जहां एक ओर दान देने वाला खुशी से धान का दान करता है, वहीं लेने वाला भी प्रसन्न होता है.
  • छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांववासी और किसान अतिथि सत्कार के साथ-साथ अपनी कमाई का अंश दान देने में पीछे नहीं रहते हैं.
  • गांव के लोग मंदिरों, धार्मिक स्थलों में चावल चढ़ाते हैं. इसके पीछे भी दान की भावना निहित है.
  • समाज के कोई भी वर्ग भूखा ना रहे यही भावना के साथ छेरछेरा पुन्नी त्योहार मनाया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दिन बच्चे और युवक-युवतियां टोली बनाकर डंडा नृत्य और महिलाएं सुवा नृत्य करती हैं.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छेरछेरा पुन्नी के दिन प्राचीन और ऐतिहासक दूधाधारी मठ में जाकर पूजा-अर्चना करेंगे और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना करेंगे. इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल अन्नदान लेकर मंदिर के आस-पास के घरों में जाकर दान लेंगे.सीएम दान में प्राप्त अन्न को प्रदेश के सुपोषण अभियान के लिए समर्पित करेंगे.

ऐतिहासिक दूधाधारी मंदिर में वर्षों पूर्व से छेरछेरा पुन्नी मनाया जा रहा है. मंदिर में भगवान को भोग लगाकर सभी उपस्थित लोगों को प्रसाद वितरण किया जाता है. छेरछेरा पुन्नी के अवसर पर मंदिर परिसर में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी की झांकी, चटकुला नर्तक दल, बैलगाड़ी और कृषि उपकरण का प्रदर्शन किया जाएगा. चिंहारी लोक कला मंच द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा. इस मौके पर राउत नाचा और डंडा नाच का भी आयोजन किया गया है.

अन्नदान का महापर्व है छेरछेरा
छेरछेरा पुन्नी अन्नदान का महापर्व है. यह छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण लोक पर्व है. छेरछेरा पुन्नी का पौराणिक महत्व है. मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पर अनाज दान करने से दरिद्रता दूर होती है और अनाज का भंडार हमेशा भरा रहता है. मान्यता के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा पर अनाज दान करने से धन और वैभव भी बढ़ता है. किसान इस दिन सुबह अन्नपूर्णा देवी की पूजा- अर्चना कर नये अनाज से बने पकवानों का भोग लगाते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.

  • छत्तीसगढ़ में पौष महीने की पूर्णिमा तिथि को प्रति वर्ष छेरछेरा का त्यौहार खुशी से मनाया जाता है.
  • छेरछेरा पुन्नी के दिन युवक-युवतियां लोगों के घरों में जाकर छेर छेरा - माई कोठी के धान ल हेर हेरा की आवाज लगाते हैं.
  • इन युवक-युवतियों को अवाज लगाने पर उन्हें टोकरी या सुपा में धान दिया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दिन डंडा नांच मड़ई आदि का भी आयोजन किया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दिन दिया गया धान का दान समाज को सम्पन्न बनाता है.
  • जहां एक ओर दान देने वाला खुशी से धान का दान करता है, वहीं लेने वाला भी प्रसन्न होता है.
  • छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांववासी और किसान अतिथि सत्कार के साथ-साथ अपनी कमाई का अंश दान देने में पीछे नहीं रहते हैं.
  • गांव के लोग मंदिरों, धार्मिक स्थलों में चावल चढ़ाते हैं. इसके पीछे भी दान की भावना निहित है.
  • समाज के कोई भी वर्ग भूखा ना रहे यही भावना के साथ छेरछेरा पुन्नी त्योहार मनाया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दिन बच्चे और युवक-युवतियां टोली बनाकर डंडा नृत्य और महिलाएं सुवा नृत्य करती हैं.
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