नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ अपनी अनोखी संस्कृति और कला के लिए जाना जाता है. यहां सभी त्योहारों के लिए अलग-अलग गीत, संगीत और नृत्य हैं. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से आदिवासी जनजातियों का नृत्य यहां सबसे ज्यादा विख्यात है और वही प्रदेश की पहचान भी है. ऐसे ही एक लोकनृत्य की प्रस्तुति छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में आयोजित भारत रंग महोत्सव 2020 में दी है.
रंग महोत्सव में अलग-अलग राज्यों के कलाकारों ने हिस्सा लिया. सभी कलाकारों ने अपने राज्य का लोकनृत्य इस महोत्सव में प्रस्तुत किया है. छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने इस नृत्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य 'सुआ' नृत्य की प्रस्तुति दी.
![chhattisgarhi suwa dance performed in delhi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/del-ndl-01-chattisgarh-dance-vis-7206778_17022020160539_1702f_01537_1077.jpg)
लोकनृत्य को जीवित रखना उद्देश्य
कलाकारों से ETV भारत ने खास-बात की. इस दौरान कलाकारों ने बताया कि 'छत्तीसगढ़ का लोकनृत्य लुप्त होता जा रहा है. बहुत से लोग इस नृत्य के बारे में नहीं जानते हैं. इसे जीवित रखने के लिए इतने बड़े मंच पर हमलोगों इस नृत्य की प्रस्तुति दी है.'
![chhattisgarhi suwa dance performed in delhi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/del-ndl-01-chattisgarh-dance-vis-7206778_17022020160539_1702f_01537_180.jpg)
एक महीने में सीखा नृत्य
कलाकरों ने बताया कि इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी थी. एक-एक बारीकी पर ध्यान देते हुए उन्होंने करीब एक महीने की कड़ी मेहनत के बाद ये नृत्य सीखा है. साथ ही कॉस्ट्यूम को लेकर भी काफी तैयारी की गई है.
![chhattisgarhi suwa dance performed in delhi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/del-ndl-01-chattisgarh-dance-vis-7206778_17022020160539_1702f_01537_299.jpg)
दिवाली के समय होता है सुआ नृत्य
छत्तीसगढ़ में दीवाली के समय सुआ नृत्य किया जाता है. इसमें महिलाएं, युवतियां और बच्चियां एक टोकरी में मिट्टी का तोता बनाते हैं. जिसे छत्तीसगढ़ी भाषा में सुआ कहा जाता है. उसे बीच में रखकर उसके चारों तरफ युवतियां और महिलाएं नृत्य करती हैं.