रायपुर: छत्तीसगढ़ी भाषा को ग्लोबल स्टेज मिलना छत्तीसगढ़ के लिए किसी गौरव से कम नहीं है. क्योंकि अक्सर अन्य राज्य के लोग छत्तीसगढ़ी भाषा से अनजान रहते हैं. लोग कहीं ना कहीं इसे पिछड़ा हुआ भी समझते हैं. इतिहास के पन्नों पर जाया जाए, तो अंग्रेज शासन के दौरान छत्तीसगढ़ को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था. यदि किसी को उस वक्त पर सजा देनी होती थी, तो छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भेज दिया जाता था. लेकिन समय के साथ इस क्षेत्र में विकास होता गया.
छत्तीसगढ़ी को ग्लोबल स्तर पर भी मिलेगा सम्मान: सन 2000 में राज्य गठन के साथ छत्तीसगढ़ और इसकी भाषा को एक अलग पहचान मिली. अब इस भाषा को ग्लोबल स्तर पर भी सम्मान मिलने जा रहा है. छत्तीसगढ़ी स्पीच टेक्स्ट बुक भी कलेक्ट कर लिया गया है. इस काम के लिए केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान मैसूर और भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु की टीम एक साथ मिलकर डाटा इकट्ठा कर रही है.
11 हजार घंटे की वॉइस ओवर कराई जा रही रिकॉर्ड: राज्य की भाषा के लिए लगभग 11 हजार घंटे की वॉइस ओवर रिकॉर्ड कराई जा रही है. छत्तीसगढ़ के हर जिले पर छत्तीसगढ़ी भाषा में थोड़ा ना थोड़ा बदलाव देखने को मिलता है. शायद यही वजह है कि बिलासपुर, कवर्धा, रायगढ़, सरगुजा जैसे जिलों में बोले जाने वाली छत्तीसगढ़ी के लिए 10 घंटे का वॉइसओवर अलग अलग रिकॉर्ड कराया जा रहा है. इसके साथ ही 10 हजार से ज्यादा टॉपिक पर भी काम किया जा रहा है.
भारतीय भाषाओं के डिजिटलाइजेशन की योजना: इस प्रोजेक्ट के एसोसिएट रिसर्च डॉ हितेश कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि "भारतीय भाषाओं के डिजिटलाइजेशन के लिए एक महत्वपूर्ण योजना चलाई जा रही है. भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर प्रशांत कुमार घोष के नेतृत्व में यह कार्य किया जा रहा है. सौभाग्य की बात है मेरी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में मुझे कार्य करने का मौका मिला है. 9 भाषाओं का डिजिटलाइजेशन हो रहा है. जिसमें एक भाषा छत्तीसगढ़ी भी है.
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क्षेत्रीय भाषाओं में मिलेगी लोगों को जानकारी: एसोसिएट रिसर्च डॉ हितेश कुमार ने बताया कि "यह पहला काम होगा, जब दो लाख से ज्यादा सेंटेंस छत्तीसगढ़ी में लिखे गए होंगे.यह आपको मिलेगा. साथ ही इस सेंटेंस को वॉइस आर्टिस्ट द्वारा रिकॉर्ड भी कराया जाएगा. इससे वह लोग, जिन्हें केवल छत्तीसगढ़ी भाषा समझने और लिखनी आती है. ऐसे लोगों को हमारे इस योजना से नेशनल और ग्लोबल लेवल के प्लेटफार्म में छत्तीसगढ़ी भाषा सुनने-पढ़ने को मिलेगा. केवल छत्तीसगढ़ी भाषा ही नहीं अन्य 8 क्षेत्रीय भाषाओं का भी इसी तरह पर डेवलपमेंट किया जाएगा."
गूगल पर छत्तीसगढ़ी में भी मिलेगी जानकारी: एसोसिएट रिसर्च डॉ हितेश कुमार ने बताया कि "छत्तीसगढ़ी भाषा के डिजिटलाइजेशन में 2 लाख सेंटेंस का हमारा टारगेट है, जिसमें हमने अलग अलग विषयों का चयन किया है. इन विषयों में एग्रीकल्चर, फाइनेंस, लोकल, चिकित्सा आदि शामिल हैं. छत्तीसगढ़ी विषयों में छत्तीसगढ़ की जलवायु, यहां के साहित्यकार, यहां की राजनीति इत्यादि विषयों को केंद्रित करके हमने एक अलग विषय बनाया है. आधुनिकता के इस दौर में इंग्लिश में सभी जानकारी मिल जाती है. हिंदी में भी लगभग पूरी तरह जानकारी मिल जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ी में जानकारी नहीं मिल पाती है."
अलग-अलग क्षेत्र की छत्तीसगढ़ी भाषा भी मिलेगी: एसोसिएट रिसर्च डॉ हितेश कुमार ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में हर जिले में अलग-अलग तरह की छत्तीसगढ़ी बोली जाती है. जिस वजह से शैली में बदलाव आता है. इसलिए हमने अलग-अलग क्षेत्रों का भी चुनाव किया है. जिसमें 2 लाख सेंटेंस में इन्हीं अलग-अलग शैलियों पर छत्तीसगढ़ी बोली जाएगी. जिसकी रिकॉर्डिंग शुरू भी हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अभी एक एप्लीकेशन बनाया गया है, जिसमें सभी 963 भाषाओं पर काम किया जाएगा. इस एप्लीकेशन के बाद इसे गूगल को हैंड ओवर कर दिया जाएगा."