ETV Bharat / state

SPECIAL: लॉकडाउन ने किया अकेला, घर की चारदीवारी में कैद होकर रह गए बुजुर्ग

घर की चारदीवारी में कैद होकर बुजुर्ग अपने और अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने कर रहे हैं. कोई अपने मन को अखबार पढ़कर बहलाता है, कोई टीवी चैनल देखकर या फिर धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हुए मन बहला रहा है. लेकिन लॉकडाउन ने सभी की मानसिक अवस्था पर असर डाला है.

elders problem in lockdown
कोरोनाकाल बना बुजुर्गों के लिए परेशानी
author img

By

Published : Jun 11, 2020, 1:22 PM IST

रायपुर: कोविड-19 ये महामारी आने वाले कई साल और आने वाली कई पीढ़ियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगी. इस बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया और सख्त हिदायत दी गई थी कि जब तक बेहद जरूरी न हो कोई घर से बाहर न निकलें. ये पाबंदी बुजुर्गों और बच्चों के लिए और भी जरूरी थी क्योंकि इन दोनों के लिए संक्रमण का खतरा ज्यादा है. इसका नतीजा ये हुआ है कि घर के बड़े-बुजुर्ग लॉकडाउन में कमरों में कैद हो गए. दिनचर्या भी प्रभावित हुई लेकिन सबसे ज्यादा असर उनकी मानसिक अवस्था पर पड़ा है. चारदीवारी में रहकर बुजुर्ग टेंशन और डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं.

कोरोनाकाल बना बुजुर्गों के लिए परेशानी

बुजुर्गों के बाहर निकलने पर पाबंदी

सरकारी एडवाइजरी के मुताबिक 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग घरों से बाहर नहीं निकल सकते और 10 वर्ष से कम के बच्चों को भी घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है. सामान्य दिनों में बुजुर्ग अपने घरों से बाहर निकलकर हम उम्र लोगों के साथ अपना समय व्यतीत करने पार्क या फिर बाजार की ओर घूमने चले जाते थे, लेकिन लॉकडाउन और कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना भी पूरी तरह से बंद हो गया है. सामान्य दिनों में बुजुर्ग ट्रेन या फिर बसों से अन्य रिश्तेदारों के घर अपना समय व्यतीत करने चले जाते थे लेकिन अब इन सब चीजों पर पाबंदी लगा दी गई.

chhattisgarh veterans during lockdown
प्रशासन ने लगाया निर्देश बोर्ड
chhattisgarh veterans during lockdown
कंटेनमेंट जोन सील

बुजुर्गों में मानसिक तनाव

इन सबकी वजह से बुजुर्ग मानसिक तनाव भी झेलने को मजबूर हैं. ऐसे समय में घर की चारदीवारी में कैद होकर बुजुर्ग अपने और अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने कर रहे हैं. हर बुजुर्गों की अपनी अलग-अलग सोच और विचार है. कोई अपने मन को अखबार पढ़कर बहलाता है, कोई टीवी चैनल देखकर या फिर धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हुए मन बहला रहा है. ऐसे में बुजुर्गों के बारे में यह कहा जा सकता है कि इनकी मनोदशा और स्वास्थ्य दोनों को लॉकडाउन ने प्रभावित किया है. कई बुजुर्ग ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी में थे और रिटायरमेंट के बाद उन्हें आज भी दफ्तर और बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ऐसे समय में बुजुर्गों के मन में यह बात भी सामने आती है कि किसी और के संपर्क में आने से कहीं खुद भी कोरोना संक्रमित ना हो जाएं.

chhattisgarh veterans during lockdown
सूना पड़े पार्क

पढ़ें- COVID-19 UPDATE: प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 1250 के पार

बच्चों के साथ घर के बड़े-बुजुर्ग भी यही प्रार्थना कर रहे हैं कि कब ये संकट कम हो और सामान्य दिनचर्या शुरू हो जाए, जिससे वे फिर से अपने दोस्तों के मिल पाएं, पार्क में घूम पाएं और अपने नाती-पोतों को लेकर बाहर खेल पाएं.

रायपुर: कोविड-19 ये महामारी आने वाले कई साल और आने वाली कई पीढ़ियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगी. इस बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया और सख्त हिदायत दी गई थी कि जब तक बेहद जरूरी न हो कोई घर से बाहर न निकलें. ये पाबंदी बुजुर्गों और बच्चों के लिए और भी जरूरी थी क्योंकि इन दोनों के लिए संक्रमण का खतरा ज्यादा है. इसका नतीजा ये हुआ है कि घर के बड़े-बुजुर्ग लॉकडाउन में कमरों में कैद हो गए. दिनचर्या भी प्रभावित हुई लेकिन सबसे ज्यादा असर उनकी मानसिक अवस्था पर पड़ा है. चारदीवारी में रहकर बुजुर्ग टेंशन और डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं.

कोरोनाकाल बना बुजुर्गों के लिए परेशानी

बुजुर्गों के बाहर निकलने पर पाबंदी

सरकारी एडवाइजरी के मुताबिक 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग घरों से बाहर नहीं निकल सकते और 10 वर्ष से कम के बच्चों को भी घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है. सामान्य दिनों में बुजुर्ग अपने घरों से बाहर निकलकर हम उम्र लोगों के साथ अपना समय व्यतीत करने पार्क या फिर बाजार की ओर घूमने चले जाते थे, लेकिन लॉकडाउन और कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना भी पूरी तरह से बंद हो गया है. सामान्य दिनों में बुजुर्ग ट्रेन या फिर बसों से अन्य रिश्तेदारों के घर अपना समय व्यतीत करने चले जाते थे लेकिन अब इन सब चीजों पर पाबंदी लगा दी गई.

chhattisgarh veterans during lockdown
प्रशासन ने लगाया निर्देश बोर्ड
chhattisgarh veterans during lockdown
कंटेनमेंट जोन सील

बुजुर्गों में मानसिक तनाव

इन सबकी वजह से बुजुर्ग मानसिक तनाव भी झेलने को मजबूर हैं. ऐसे समय में घर की चारदीवारी में कैद होकर बुजुर्ग अपने और अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने कर रहे हैं. हर बुजुर्गों की अपनी अलग-अलग सोच और विचार है. कोई अपने मन को अखबार पढ़कर बहलाता है, कोई टीवी चैनल देखकर या फिर धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हुए मन बहला रहा है. ऐसे में बुजुर्गों के बारे में यह कहा जा सकता है कि इनकी मनोदशा और स्वास्थ्य दोनों को लॉकडाउन ने प्रभावित किया है. कई बुजुर्ग ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी में थे और रिटायरमेंट के बाद उन्हें आज भी दफ्तर और बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ऐसे समय में बुजुर्गों के मन में यह बात भी सामने आती है कि किसी और के संपर्क में आने से कहीं खुद भी कोरोना संक्रमित ना हो जाएं.

chhattisgarh veterans during lockdown
सूना पड़े पार्क

पढ़ें- COVID-19 UPDATE: प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 1250 के पार

बच्चों के साथ घर के बड़े-बुजुर्ग भी यही प्रार्थना कर रहे हैं कि कब ये संकट कम हो और सामान्य दिनचर्या शुरू हो जाए, जिससे वे फिर से अपने दोस्तों के मिल पाएं, पार्क में घूम पाएं और अपने नाती-पोतों को लेकर बाहर खेल पाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.