रायपुर: छत्तीसगढ़ में आम के कई किस्मों की खेती होती है. आम की खेती करके छत्तीसगढ़ के किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसे आम हैं जिसको सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. इन आमों में बैंगन पल्ली, लंगड़ा और दशहरी आम प्रमुख है. इन आमों में मिठास के साथ-साथ इसकी सेल्फ लाइफ भी होती है. छत्तीसगढ़ में आम की खेती पहले बिलासपुर में ज्यादा होती थी, लेकिन अब कोरिया और बलरामपुर भी इस कैटेगरी में आ गए हैं.
इस आम की सेल्फ लाइफ होती है अच्छी: आम की किस्म में बैगन पल्ली सबसे मीठा होने के कारण ज्यादा पसंद किया जाता है. इसके अलावा लंगड़ा आम भी लोगों की पसंद है. मई माह के बाद लंगड़ा आम में मिठास आने लगती है. बैगन पल्ली और लंगड़ा आम में खास बात यह है कि बैगन पल्ली की सेल्फ लाइफ अच्छी है. यह आम पकने के बाद जल्दी खराब नहीं होता. मई माह में लंगड़ा आम में मिठास पाया जाता है. यह देर से फलने वाली किस्म है. प्रदेश के अधिकांश किसान दशहरी, लंगड़ा और बैंगन पल्ली आम की खेती करते हैं.
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बिलासपुर में होती है अधिक खेती: पहले आम की सबसे अधिक खेती बिलासपुर में होती थी. लेकिन वर्तमान समय में कोरिया और बलरामपुर जिले में सर्वाधिक आम की खेती होती है. दुर्ग, राजनांदगांव, महासमुंद और गरियाबंद के कुछ क्षेत्रों में पुराने ट्रेडीशन के मुताबिक नाले या तालाब के किनारे आम का बगीचा देखने को मिलता है. दशहरी, लंगड़ा, मल्लिका जैसी आम की किस्म की खेती यहां के किसान कर रहे हैं.
इन किस्मों पर भी देना चाहिए ध्यान: दशहरी आम की किस्म 1 साल अच्छी फलने के बाद अगले साल कम फलती है. ऐसे में प्रदेश के किसानों को हर साल फल देने वाली आम की किस्म को लगाना चाहिए. इसमें आम्रपाली, मल्लिका, अरका पुनीत, अरका स्वर्ण रेखा, पूसा पीतांबर जैसी किस्म को किसानों को लगाना चाहिए. फजली, बैंगन पल्ली जैसी किस्म भी लगा सकते हैं. हापुस आम सर्वाधिक मीठा होता है. इसकी खेती भी प्रदेश के अधिकांश किसान कर रहे हैं.