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20 वर्षों में छत्तीसगढ़ को अरबों का नुकसान

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Published : Jan 6, 2021, 9:43 PM IST

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने मुख्य सचिव सहित अन्य जिम्मेदार ब्यूरोक्रेसी पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने पेंशनरों की समस्याओं को देखते हुए यह मांग की है. उन्होंने बताया है कि 20 वर्षों में छत्तीसगढ़ को अरबों का नुकसान हुआ है.

Chhattisgarh State Joint Pensioners Federation
छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन

रायपुर: राज्य के पेंशनरों की समस्याओं को लेकर भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने मुख्य सचिव सहित अन्य जिम्मेदार ब्यूरोक्रेसी पर कार्रवाई की मांग की है. अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने कहा कि पेंशनरों के मामले में मध्यप्रदेश सरकार पर आर्थिक निर्भरता के बाध्यता के लिए ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, ब्यूरोक्रेसी द्वारा राज्य विभाजन के इन 20 वर्षो में मध्यप्रदेश के लगभग 5 लाख पेंशनरों को छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने से भुगतान में अरबों रुपये खर्च हुए हैं.

Chhattisgarh State Joint Pensioners Federation  President of Virendra Namdev
छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव

वीरेंद्र नामदेव ने पेंशनरों की आर्थिक दुर्दशा पर ब्यूरोक्रेसी के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को चिंता नहीं होने को दुर्भाग्यजनक बताया है. वीरेंद्र नामदेव ने छत्तीसगढ़ निर्माण के 20 वर्षों बाद भी राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को हटाने और सेंट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल को रायपुर लाने में आज तक ध्यान नहीं देने पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इन सभी मामलों में मुख्य सचिव और ब्यूरोक्रेसी ही मुख्यरूप से जिम्मेदार है.

पढ़ें: रमन दिल्ली में किसान आंदोलन का समर्थन क्यों नहीं करते: CM बघेल

आपसी सहमति नहीं होने से भुगतान नहीं

वीरेन्द्र नामदेव ने बताया है कि दोनों राज्यों के बीच पेंशनरी दायित्व का बंटवारा नहीं होने से पेंशनरों को मिलने वाली आर्थिक मामले मध्यप्रदेश के सहमति के बिना लटकी हुई है. चाहे महंगाई राहत का मामला हो या 6वें और 7वें वेतनमान का एरियर हो या सेवानिवृत्त उपादान की रकम, ये सभी दोनों राज्यों में आपसी सहमति नहीं होने से भुगतान नहीं हो रहा है. इसी तरह पेंशनर प्रकरण में कोष लेखा एवं पेंशन से पीपीओ जारी होने के बाद अंतिम जांच के लिए सेंट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल स्टेट बैंक गोविंदपुरा भोपाल शाखा को भेजा जाता है, जहां दोनों राज्यों के प्रकरणों की अधिकता होने के कारण कई महीनों के बाद जांच प्रक्रिया पूरी होती है. जिसके कारण परेशानियां होती है.

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की बेरुखी

उन्होंने कहा कि पेंशनरों की समस्याओं पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की बेरुखी है, क्योंकि जब भाजपा की सरकार रही तो उन्हें बार-बार अवगत कराने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया. अब लगभग 2 साल से राज्य के सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और जिम्मेदार अधिकारियों से लगातार चर्चा, ज्ञापन और धरना-प्रदर्शन आदि के माध्यम अवगत कराने बाद भी स्थिति जस के तस बनी हुई है.

रायपुर: राज्य के पेंशनरों की समस्याओं को लेकर भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने मुख्य सचिव सहित अन्य जिम्मेदार ब्यूरोक्रेसी पर कार्रवाई की मांग की है. अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने कहा कि पेंशनरों के मामले में मध्यप्रदेश सरकार पर आर्थिक निर्भरता के बाध्यता के लिए ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, ब्यूरोक्रेसी द्वारा राज्य विभाजन के इन 20 वर्षो में मध्यप्रदेश के लगभग 5 लाख पेंशनरों को छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने से भुगतान में अरबों रुपये खर्च हुए हैं.

Chhattisgarh State Joint Pensioners Federation  President of Virendra Namdev
छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव

वीरेंद्र नामदेव ने पेंशनरों की आर्थिक दुर्दशा पर ब्यूरोक्रेसी के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को चिंता नहीं होने को दुर्भाग्यजनक बताया है. वीरेंद्र नामदेव ने छत्तीसगढ़ निर्माण के 20 वर्षों बाद भी राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को हटाने और सेंट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल को रायपुर लाने में आज तक ध्यान नहीं देने पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इन सभी मामलों में मुख्य सचिव और ब्यूरोक्रेसी ही मुख्यरूप से जिम्मेदार है.

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आपसी सहमति नहीं होने से भुगतान नहीं

वीरेन्द्र नामदेव ने बताया है कि दोनों राज्यों के बीच पेंशनरी दायित्व का बंटवारा नहीं होने से पेंशनरों को मिलने वाली आर्थिक मामले मध्यप्रदेश के सहमति के बिना लटकी हुई है. चाहे महंगाई राहत का मामला हो या 6वें और 7वें वेतनमान का एरियर हो या सेवानिवृत्त उपादान की रकम, ये सभी दोनों राज्यों में आपसी सहमति नहीं होने से भुगतान नहीं हो रहा है. इसी तरह पेंशनर प्रकरण में कोष लेखा एवं पेंशन से पीपीओ जारी होने के बाद अंतिम जांच के लिए सेंट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल स्टेट बैंक गोविंदपुरा भोपाल शाखा को भेजा जाता है, जहां दोनों राज्यों के प्रकरणों की अधिकता होने के कारण कई महीनों के बाद जांच प्रक्रिया पूरी होती है. जिसके कारण परेशानियां होती है.

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की बेरुखी

उन्होंने कहा कि पेंशनरों की समस्याओं पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की बेरुखी है, क्योंकि जब भाजपा की सरकार रही तो उन्हें बार-बार अवगत कराने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया. अब लगभग 2 साल से राज्य के सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और जिम्मेदार अधिकारियों से लगातार चर्चा, ज्ञापन और धरना-प्रदर्शन आदि के माध्यम अवगत कराने बाद भी स्थिति जस के तस बनी हुई है.

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