रायपुर : रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है. उसे हर दुख तकलीफ और बाधाओं से बचाने का वादा करता है.लेकिन आज हम आपको ऐसे भाई के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी बहन ने उसकी जीवन की रक्षा करने का फैसला किया है. रक्षाबंधन के बाद ये बहन अपने भाई को जीवनदान देगी. जिसकी तैयारी पूरी की जा चुकी है.
बहन बचाएगी भाई की जिंदगी (Raipur woman donate kidney for brother) : रायपुर में रहने वाले ओमप्रकाश धनगर को किडनी से जुड़ी समस्या है. ओमप्रकाश को अपनी बीमारी का पता मई 2022 में चला. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.ओमप्रकाश की दोनों ही किडनियां इंफेक्शन के कारण खराब हो गई थी.डॉक्टरों ने ओमप्रकाश की जिंदगी बचाने के लिए डायलिसिस का सहारा लिया.लेकिन दोनों किडनियों में इंफेक्शन इतना ज्यादा था कि डायलिसिस करने से भी फायदा नहीं हो रहा था. लिहाजा गुजरात में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने ओमप्रकाश को किडनी बदलने की सलाह दी.जिसके बाद ओमप्रकाश की बड़ी बहन ने किडनी दान करने का फैसला किया. आगामी तीन सितंबर को ओमप्रकाश की गुजरात में सर्जरी है.
शीला के फैसले का परिवार ने किया स्वागत : किडनी की बीमारी से जूझ रहे ओम प्रकाश धनगर की बड़ी बहन शीलाबाई पाल का निर्णय काफी साहसी है.क्योंकि शीला की उम्र ओमप्रकाश से ज्यादा है.इसलिए किडनी दान करने के बाद उन्हें भी कई तकलीफों से जूझना पड़ेगा.बावजूद इसके शीला को अपना भाई जान से ज्यादा प्यारा है.रक्षाबंधन में भले ही भाई अपनी बहनों को गिफ्ट देते हैं.लेकिन शीला ने इस त्यौहार में अपने भाई को गिफ्ट के तौर पर नया जीवन दे रही है.
गुजरात में होगी किडनी बदलने की प्रक्रिया :गुजरात के नाडियाड में दोनों ही भाई और बहन हेल्थ चेकअप के बाद ऑब्जर्वेशन में है.आगामी 3 सितंबर को डॉक्टरों की टीम ओमप्रकाश का किडनी ट्रांसप्लांट करेगी.ओमप्रकाश की बहन शीलाबाई की माने तो वह ऐसा अपने भाई की जान बचाने के लिए कर रही हैं. क्योंकि उन्हें भाई जान से ज्यादा प्यारा है. इसलिए भाई की लंबी आयु और स्वस्थ जिंदगी जीने के लिए शीला ने अपनी एक किडनी देने का फैसला किया है.
किडनी प्रत्यारोपण के लिए क्या है सबसे जरुरी चीज : किडनी प्रत्यारोपण कराने के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम है अपने लिए किडनी डोनर को तलाशना. मुख्य तौर पर किडनी डोनर दो तरह से मिलते हैं- जीवित और मृत
जीवित किडनी दाता : मनुष्य केवल एक किडनी के सहारे भी स्वस्थ जीवन जी सकता है. ऐसे में यदि परिवार का कोई सदस्य अपनी किडनी मरीज को दे सकता है तो आसानी से उसे बदला जा सकता है.क्योंकि ब्लड रिलेशन में किडनी लेने का फायदा ये होता है कि ये शरीर में आसानी से मेल खा जाती है.ऐसी किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा कम होता है.
मृत किडनी दाता : यह किडनी किसी ऐसे व्यक्ति की होती है जो स्वस्थ होते हैं लेकिन किसी दुर्घटना में घायल होकर मर जाते हैं. इनमें से कई लोग ऐसे होते हैं जो मरने से पहले अंग दान का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते. इसी वजह से भारत में मृत लोगों की किडनी मिलने की संख्या बहुत कम होती है.