रायपुर: निजी स्कूल प्रबंधन और पैरेंट्स के बीच विवाद जारी है. छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने फीस और ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. निजी स्कूलों ने यह फैसला लिया है कि अगर अभिभावक स्कूल की फीस नहीं जमा करेंगे, तो स्कूल प्रबंधन भी ऑनलाइन क्लासेस नहीं लेगा.
निजी स्कूल संगठन का कहना है कि उनके लिए स्कूल संचालित करना अब मुश्किल होता जा रहा है. जो परिजन सक्षम नहीं हैं वो फीस नहीं दे रहे हैं, लेकिन अब परेशानी यह है कि जो अभिभावक आर्थिक रूप से सक्षम हैं वो भी फीस का भुगतान नहीं कर रहे हैं. अभी तक सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत पैरेंट्स ने ही फीस जमा की है. पालकों के इस रवैये की वजह से प्राइवेट स्कूलों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
'निजी स्कूलों के खर्च की भरपाई सिर्फ ट्यूशन फीस से नहीं हो पाएगी'
संगठन से लगभग 8 हजार निजी स्कूल जुड़े हुए हैं, जिनमें ढाई लाख से ज्यादा शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं. इन सभी को वेतन देने के लिए निजी स्कूल बच्चों की फीस पर ही निर्भर हैं. इस संबंध में निजी स्कूलों का कहना है कि कोर्ट से आदेश है कि स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस ले सकता है, लेकिन निजी स्कूलों के खर्च की भरपाई सिर्फ ट्यूशन फीस से नहीं हो पाएगी. इसके बाद भी अभिभावक फीस जमा करने में आनाकानी कर रहे हैं. निजी स्कूलों ने जानकारी देते हुए बताया कि अब जो पैरेंट्स फीस नहीं जमा करेंगे, उनके बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस की सुविधा नहीं दी जाएगी.
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निजी स्कूलों ने अभिभावकों को 8 सिंतबर तक का वक्त दिया है. इस अवधि में ही उन्हें फीस जमा करने को कहा गया है. अगर किसी पैरेंट्स को वास्तव में आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ रहा है, तो आवश्यक दस्तावेज के साथ स्कूल में संपर्क कर सकते हैं. उन्हें छूट सहित फीस जमा करने का वक्त दिया जाएगा. ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करते हुए निजी स्कूलों को पांच महीने का वक्त हो चुका है. फीस नहीं मिलने की स्थिति में भी अब तक किसी भी बच्चे को ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित नहीं किया गया है. बड़ी संख्या में ऐसे पालक भी हैं, जिन्होंने पिछले सत्र की भी फीस जमा नहीं की है.