रायपुर: नीति आयोग ने राज्यों की प्रगति संबंधी सतत विकास लक्ष्यों (sustainable development goals) के लिए इंडिया इंडेक्स 2020-21 (India Index 2020-21) रिपोर्ट जारी की है. जिसमें लैंगिक समानता में छत्तीसगढ़ टॉप पर है. बता दें कि नीति आयोग की एसडीजी इंडिया इंडेक्स (sustainable development goals India Index) में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में राज्यों की प्रगति के आधार पर उनके प्रदर्शन को आंका जाता है और उनकी रैंकिंग की जाती है.
इस सूचकांक में ओवर आल रैकिंग में छत्तीसगढ़ ने पिछली बार के मुकाबले अपने अंकों में भी सुधार किया है. वहीं, 16 लक्ष्यों में से एक लैंगिक समानता में सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए छत्तीसगढ़ ने बाजी मारी है.
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने कई अहम योजनाएं
छत्तीसगढ़ में महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. यहीं वजह है कि लिंगानुपात में भी छत्तीसगढ़ देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव, हिंसा को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है. प्रदेश में महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नेतृत्व के समान अवसर और सहभागिता प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है.
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छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सखी-वन स्टॉप सेंटर, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, नोनी सुरक्षा योजना, नवा बिहान योजना, सक्षम योजना, स्वावलंबन संबंधी योजनाएं चलाई जा रही है. वहीं, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. राज्य में भूमि, संपत्ति आदि पर कानून के अनुसार महिलाओं का स्वामित्व और नियंत्रण सुनिश्चित कराया जा रहा है.
जागरूकता के लिए किए जा रहे कई काम
महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और पोषण की स्थिति में सुधार लाने, उनके संवैधानिक हितों की रक्षा और उन्हें योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सक्षम, जागरूक बनाने की दिशा में कई काम किए जा रहे हैं.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी समाज में मातृ-शक्ति को और सशक्त बनाने के लिए वनोपजों के कारोबार से महिला समूहों की 50 हजार से अधिक सदस्यों को जोड़ने का फैसला लिया है. राज्य के11 जिलों में ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और जागरूकता के लिए महिला शक्ति केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है.छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बराबर हिस्सेदारी रही है. छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना और सक्षम योजना भी राज्य की महिलाओं को सक्षम बनाने में सफल रही है.
महिला कोष के माध्यम से स्व-सहायता समूहों और जरूरतमंद महिलाओं को ऋण उपलब्ध करवाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. महिलाओं के कौशल विकास और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए स्वालंबन और सक्षम जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं.
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महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति सजगता
सशक्तिकरण के साथ ही छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर भी खास फोकस किया जा रहा है. इसके तहत महिलाओं के कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीड़न अधिनियम 2013, लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून, घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण कानून और छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम-2005 लागू हैं.
महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार
महिलाओं और बालिकाओं की आपातकालीन सहायता के लिए प्रदेश में महिला हेल्पलाइन-181 की सेवा संचालित है. पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए प्रदेश के 27 जिलों में सखी सेंटर संचालित हैं. जहां एक ही जगह पर सभी आवश्यक सुविधाएं दी जा रही है. इसके अलावा सरकार कई योजनाओं में महिला स्व सहायता समूहों की अहम भूमिका है. इन योजनाओं से महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है.
'छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सम्मान की पुरानी परंपरा'
छत्तीसगढ़ कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं के सम्मान की बहुत पुरानी परंपरा है. छत्तीसगढ़ का समाज भी कई मामलों में महिलाओं को आगे करके चलता है. छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की धरती, छत्तीसगढ़ शबरी माता की धरती है. छत्तीसगढ़ में हमेशा लैंगिक अनुपात में महिलाओं की संख्या और पुरुषों की संख्या में बेहतर संतुलन पाया गया है. छत्तीसगढ़ में भ्रूण हत्या और इस तरीके की घटनाएं नहीं होती है. छत्तीसगढ़ में जो संवेदनशीलता, जो सोच और नारियों का जो सम्मान है, उसी का परिणाम है कि आज इस स्थिति में छत्तीसगढ़ है.