रायपुर : छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार अरविंद सिंह रिमांड अवधि पूरी होने के बाद शुक्रवार विशेष न्यायालय में पेश किया गया. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अरविंद सिंह को 20 जून तक ईडी रिमांड पर भेजा है. अरविंद सिंह ने अपील की थी कि उनके माता के सत्कर्म में शामिल होने की इजाजत दी जाए . न्यायालय ने 18 जून को अरविंद को उनके माता के सत्कर्म में शामिल होने की अनुमति दी है.जिसके लिए सुबह 10 से दोपहर 1 बजे का समय निर्धारित किया गया है. ईडी की टीम अरविंद सिंह को उनके माता के सत्कर्म कार्यक्रम में उनके घर लेकर जाएगी.
क्या था शराब घोटाले में अरविंद का रोल : ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि " जांच में बहुत सारे तथ्य सामने आए हैं, शराब घोटाले का जो सिंडिकेट चल रहा था.इसमें पैसों का कलेक्शन अनवर ढेबर के द्वारा किया जाता था, अरविंद भी एक सहयोगी था. अरविंद सिंह का मुख्य काम पैसे को कलेक्शन करना और इधर उधर पहुंचाने का था. अरविंद सिंह का काम परिवहन का सपोर्ट देना था.
घोटाला करने के लिए नया लाइसेंस बनाया जाता था : ईडी के मुताबिक शराब घोटाले मामले में नए FL10A लाइसेंस को बनाया गया था. यह लाइसेंस अंग्रेजी शराब की खरीदारी करने के लिए जारी किया गया था. अंग्रेजी शराब की डिमांड ज्यादा है और उसमें कमीशन कमाना थोड़ा कठिन कार्य था, उसके लिए यहां पर इंटरमीडिएरी बनाई गई, जिसमें अंग्रेजी शराब की मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बिचौलियों को शराब बेचेगी और ये बिचौलिये सरकार को शराब बेचेंगे, उसमें 10 प्रतिशत कमीशन ये सरकार को दे रहे थे, अंगेजी शराब खरीदने का FL10A लाइसेंस अरविंद सिंह के भतीजे अभिषेक सिंह के नाम था. अरविंद सिंह की पत्नी पिंकी सिंह शराब की बोतलें सप्लाई करती थी.इन सभी लोगों ने मिल जुलकर शराब घोटाले को सपोर्ट किया.
कहां गया घोटाले का पैसा : घोटाले में से जो पैसा का अर्जित किया गया. उसको कलेक्ट करके अनवर ढेबर को पहुंचाया गया.अनवर ढेबर ने पैसे को अलग-अलग जगह पर डिस्ट्रीब्यूट किया. अभी तक इन्वेस्टिगेशन में यह चीजें सामने आईं हैं. आपको बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान अनवर ढेबर की ओर से जमानत याचिका लगाई गई थी, मंगलवार और बुधवार दो दिन तक हुई सुनवाई के बाद न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने अनवर ढेबर की जमानत याचिका खारिज कर दी.