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'बढ़ते खुदकुशी के मामलों के लिए मीडिया भी है जिम्मेदार'

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Published : Jul 15, 2019, 7:42 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 7:47 PM IST

रायपुर प्रेस क्लब में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बढ़ते आत्महत्या को रोकने के लिए काफी गहनता से विचार विमर्श किया गया.

प्रेस क्लब में कार्यशाला का आयोजन

रायपुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों लगातार आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है. जिसको देखते हुए रायपुर प्रेस क्लब में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान कार्यशाला में मीडिया से प्रसारित होने वाले आत्महत्याओं की खबरों पर भी सवाल उठे, जिसको जानकारों ने चिंता का विषय बताया है.

वीडियो

कार्यशाला के दौरान आत्महत्या के कारणों की कई जानकारियां सामने आईं, जिसमें घरेलू समस्याएं, परीक्षाओं में सफलता न मिलना, नशे की आदत लग जाना समेत कई कारण शोध में सामने आए हैं. इतना ही नहीं इस शोध में मीडिया को भी जिम्मेदार बताया गया है, जिसमें शोधकर्ताओं का कहना है कि, 'लोग मीडिया की खबरों को देखकर उसी तरह से आत्महत्या करते हैं'.

प्रदेश के लिए चिंता का विषय आत्महत्या
एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में एक लाख लोगों में से प्रतिवर्ष 27.7% लोग आत्महत्या कर रहे हैं, जो देश में सर्वाधिक आत्महत्या की दर वाले राज्य में से एक है. वहीं 2 करोड़ 60 लाख जनसंख्या वाले इस प्रदेश के जिला दुर्ग भिलाई नगर में आत्महत्या की दर सर्वाधिक 34.9% एक लाख व्यक्तियों पर है, जो कि 10.6 के राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है. ये आंकड़ा प्रदेश के लिए चिंता का विषय है.

पढ़ें: सिर पर छत के लिए बुजुर्ग ने बेच दी अपनी बकरियां, सरपंच डकार गई रकम!

एसएसपी आरिफ शेख रहे मौजूद
बता दें कि इस कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर, एसएसपी आरिफ शेख, एडवोकेट आशीष सोनी, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. केआर सोनवानी और प्रेस क्लब के अध्यक्ष धामू अंबाडारे मौजूद रहे.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों लगातार आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है. जिसको देखते हुए रायपुर प्रेस क्लब में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान कार्यशाला में मीडिया से प्रसारित होने वाले आत्महत्याओं की खबरों पर भी सवाल उठे, जिसको जानकारों ने चिंता का विषय बताया है.

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कार्यशाला के दौरान आत्महत्या के कारणों की कई जानकारियां सामने आईं, जिसमें घरेलू समस्याएं, परीक्षाओं में सफलता न मिलना, नशे की आदत लग जाना समेत कई कारण शोध में सामने आए हैं. इतना ही नहीं इस शोध में मीडिया को भी जिम्मेदार बताया गया है, जिसमें शोधकर्ताओं का कहना है कि, 'लोग मीडिया की खबरों को देखकर उसी तरह से आत्महत्या करते हैं'.

प्रदेश के लिए चिंता का विषय आत्महत्या
एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में एक लाख लोगों में से प्रतिवर्ष 27.7% लोग आत्महत्या कर रहे हैं, जो देश में सर्वाधिक आत्महत्या की दर वाले राज्य में से एक है. वहीं 2 करोड़ 60 लाख जनसंख्या वाले इस प्रदेश के जिला दुर्ग भिलाई नगर में आत्महत्या की दर सर्वाधिक 34.9% एक लाख व्यक्तियों पर है, जो कि 10.6 के राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है. ये आंकड़ा प्रदेश के लिए चिंता का विषय है.

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एसएसपी आरिफ शेख रहे मौजूद
बता दें कि इस कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर, एसएसपी आरिफ शेख, एडवोकेट आशीष सोनी, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. केआर सोनवानी और प्रेस क्लब के अध्यक्ष धामू अंबाडारे मौजूद रहे.

Intro:रायपुर । आज के भागदौड़ की जिंदगी में सभी लोग व्यस्त होते जा रहे हैं साथ ही इस भागदौड़ के कारण कई लोग तनाव से ग्रसित हो रहे हैं कई बार इतना बढ़ जाता है आत्मघाती कदम उठाने से भी बाज नहीं आते हैं यही वजह है कि दिनोंदिन आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है वहीं इस आत्महत्या में मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि कई बार मीडिया में प्रसारित आत्महत्या की खबरों को देखकर भी लोग उसी तरीके से आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं




Body:ऐसे में आत्महत्या जैसी घटनाओं को प्रसारित करने के लिए मीडिया को कई बिंदुओं का ध्यान रखना जरूरी है इन्हीं सब बातों को लेकर आज रायपुर प्रेस क्लब में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिसमें आत्महत्या आत्महत्या के लिए प्रेरित करना और उसे कैसे रोका और उसे कैसे रोका जा सके इस विषय पर चर्चा की गई आत्महत्या मीडिया की क्या भूमिका होनी चाहिए उस पर भी गहन चर्चा की गई

इस कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर एसएसपी आरिफ शेख , एडवोकेट आशीष सोनी डॉ महेंद्र सिंह डॉक्टर केआर सोनवानी डॉ सुमित जैन और प्रेस क्लब के अध्यक्ष धामू अंबाडारे मौजूद रहे । यह आयोजन रायपुर प्रेस क्लब में रखा गया था

कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद सदस्यों ने आत्महत्या और मीडिया द्वारा उसके कवरेज पर प्रकाश डाला इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदु बताएं जो मीडिया कर्मियों को आत्महत्या की कवरेज के दौरान ध्यान रखने की जरूरत है

आज के इस कार्यक्रम के दौरान आत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास विभिन्न कारणों से किए जाने की बात सामने आई है जिसमें घरेलू समस्याएं परीक्षाओं में सफलता के नशे की आदत लेकिन शोध में यह पाया गया है कि मीडिया में आत्महत्या पर वाली खबरें बाकी लोगों को उन तरीकों की नकल कर वैसा ही कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है इसे कॉपी कैट इफेक्ट कहा जाता है इसी बिंदु पर आज की कार्यशाला के दौरान विचार-विमर्श किया गया

कार्यशाला के दौरान एसएसपी आरिफ शेख ने कहा कि कई बार लोग अपनी परेशानियों को दूसरों से चर्चा नहीं करते हैं और इस तरह का आत्मघाती कदम उठा लेते हैं जिसे रोका जा सकता है। साथ ही आत्महत्या जैसी घटनाओं को प्रसारित करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखने की बात भी कही जिससे लो ऐसी खबरें देखकर आत्महत्या करने के लिए प्रेरित ना हो






Conclusion:बतादे की एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में एक लाख लोग में से प्रतिवर्ष 27.7% लोग आत्महत्या कर रहे हैं जो देश में सर्वाधिक आत्महत्या की दर वाले राज्य में से एक है 2 करोड़ 60 लाख जनसंख्या वाले इस प्रदेश के जिला दुर्ग भिलाई नगर में आत्महत्या की दर सर्वाधिक 34.9% एक लाख व्यक्तियों पर है जो कि 10.6 के राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है यह आंकड़ा प्रदेश के लिए चिंता का विषय है
Last Updated : Jul 15, 2019, 7:47 PM IST
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