रायपुर : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया. जिसमें अतिरिक्त महानिदेशक विवेकानंद सिन्हा को राष्ट्रपति पुलिस पदक सम्मान मिला.
कब पुलिस सेवा की ज्वाइन ? : अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विवेकानंद सिन्हा 1997 में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त हुए. अपने सेवा कल के 5 साल बस्तर रेंज में बिताएं. नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में आम लोगों को साथ जोड़ने के लिए बल दिया. नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा, राजनांदगांव, बस्तर और दो औद्योगिक जिला जांजगीर चांपा और बिलासपुर में पुलिस अधीक्षक के रूप में उन्होंने सेवाएं दी हैं.
कई जिलों में दे चुके हैं सेवाएं : साल 2016 में बिलासपुर रेंज और वर्ष 2017 में बस्तर रेंज के पुलिस महा निरीक्षक के पद पर विवेकानंद सिन्हा रहे. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एसपीजी में रहते हुए विवेकानंद सिन्हा ने नक्सल विरोधी लड़ाई की रणनीति बनाने में भी सहायता की.वर्तमान में विवेकानंद सिन्हा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नक्सल अभियान,विशेष सूचना शाखा एसटीएफ पुलिस मुख्यालय के पद पर सेवाएं दे रहे हैं.
विवेकानंद सिन्हा ने स्वतंत्रता दिवस की सभी को बधाई दी और ईटीवी भारत से अपने अनुभव साझा किए
"आज मुझे विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक 2023 मिला है. 25 साल की जब सेवा पूर्ण होती है और सेवाओं के दौरान जो उत्कृष्ट कार्य किए जाते हैं. उसे देखते हुए यह पदक दिया जाता है. विशिष्ट सेवा के लिए यह पदक दिया गया. मुझे जो पदक मिला है. मुझे बहुत खुशी है. इसके लिए मैं सभी लोगों को शुभकामनाएं देता हूं." विवेकानंद सिन्हा, ADG, नक्सल ऑपरेशन
झीरम कांड की जांच का जिम्मा भी उठा चुके हैं : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद 2019 में झीरम घाटी नक्सल हमले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. जिसमें आईपीएस विवेकानंद सिन्हा को एसआईटी का प्रमुख नियुक्त किया गया था.
कौन है विवेकानंद सिन्हा ? : आईपीएस विवेकानंद सिन्हा का जन्म 16 जनवरी 1972 को बिहार के समस्तीपुर में हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल पुरुलिया से पूरी की. विवेकानंद सिन्हा 1997 बैच के आईपीएस हैं. उन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला था. सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ कैडर चुना.बिलासपुर में आईजी रहने के दौरान अंधविश्वास को खत्म करने के लिए स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता का अभियान चलाया. उस दौरान क्षेत्र में महिलाओं को डायन और टोनही बताकर प्रताड़ित किया जाता था. लोगों के बीच अंधविश्वास को दूर करने के लिए खुद विवेकानंद सिन्हा जलते कोयले के अंगारों को नंगे पांव चलकर पर किया था.