रायपुर: बेरोजगारी इस वक्त देश की बड़ी समस्याओं में से एक है. युवाओं को रेजगार देने के लिए स्टार्टअप जैसी कई योजनाएं केंद्र सरकार चला रही है. वैसे पकौड़ा बेचने वाले बयान पर प्रधानमंत्री की खिंचाई भी लोगों ने की थी. अब छत्तीसगढ़ सरकार युवाओं को जूते सिलने, कपड़े धुलने, घड़ा बनाने, कारपेंटर, खाट बुनने, बाल काटने जैसे कामों की ट्रेनिंग देने की योजना बना रही है.
प्रदेश सरकार ने इस योजना का पौनी-पसारी योजना का नाम दिया है. इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार गांव और छोटे कस्बों में हाट-बाजार का लगाएगी. इससे पहले मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार बैंड-बाजा योजना ला चुकी है.
केंद्र सरकार की पकौड़ा योजना के बाद इस योजना पर प्रमुख विपक्षी दल ने तो कोई सवाल नहीं उठाये हैं, लेकिन इस योजना को लेकर प्रदेशवासियों में मिली जुली प्रतिक्रिया है. रायपुर के पास लोहार का काम करने वाले चिंता राम को इस योजना को लेकर चिंता जताते हुए कहते हैं, योजना तो ठीक है, लेकिन अब ग्राहक ग्रामीण इलाके के हाट बाजार से शहरी क्षेत्र के मॉल्स में शिफ्ट होने लगे हैं. ऐसे में ये योजना कितनी कारगर होता है पता नहीं.
हालांकि रायपुर में ही एक सैलून में काम करने वाले कालू सेन कहते हैं, सरकारी की ये योजना ग्रामीण युवाओं के लिए वरदान साबित होगा. कालू सेन कहते हैं, आज देश का हर युवा अपने गांव-घर में रहकर ही दो पैसे कमाना चाहते हैं. ऐसे में इस योजना से उन्हें एक रोजगार के साथ एक बड़ा बाजार मिल सकता है, जो इन युवाओं की किस्मत बदलने में कारगर साबित होगा.
छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के 168 नगरीय निकायों में पौनी पसारी बाजार शुरू करने जा रही है. इसके तहत शेड बनाकर बेरोजगारों युवाओं को दुकान के लिए जगह दी जाएगी. इस योजना में महिला सशक्तीकरण को भी ध्यान में रखते हुए 50 फिसदी शेड महिलाओं के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे. महिलाओं को लिए सब्जी बेचने के साथ ब्यूटी पार्लर के गुर सिखाये जाएंगे. नगरीय प्रशासन मंत्री कहते हैं इस योजना को देसी मॉल माना जा सकता है. जहां सभी एक ही जगह लोगों की जरूरत की तमाम चीजें उपलब्ध होंगी. अब देखना है, मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार की बैंड-बाजा योजना के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की पौनी पसारी योजना कितनी कारगर होती है.