रायपुर: छत्तीसगढ़ में सत्ता सरकार संभालने के साथ ही कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफी जैसे बड़े निर्णय लिए थे. जिसमें किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान का समर्थन मूल्य देने का प्रावधान रखा गया था. लेकिन इन वादों को पूरा करने में बजट की कमी सामने आ रही है. केंद्र सरकार की मनाही के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए राजीव गांधी किसान न्याय योजना बनाकर किसानों को धान के बोनस की राशि का भुगतान कर रही है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार ने पशुपालकों से गोबर खरीदी करने का फैसला लिया. इन दोनों योजनाओं के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर बजट की जरूरत पड़ रही है. सरकार अब फिर से कर्ज लेने की तैयारी कर रही है.
किसानों को भुगतान के लिए कर्ज लेना ही पड़ेगा: कृषि मंत्री
सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किस्त किसानों को देने जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार को 1200 करोड़ रुपए का कर्ज लेना होगा. उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार हमारी जीएसटी की राशि का 21 हजार करोड़ रुपए नहीं दे रही है, जो उनको देना है. ऐसे में हमें कहीं ना कहीं पैसे का इंतजाम तो करना होगा.
कांग्रेस सरकार ने केंद्र से पूछ कर नहीं किए थे वादे : बीजेपी
सरकार के कर्ज लेने को लेकर बीजेपी ने निशाना साधा है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि सरकार ने किसानों के हितैषी होने के लिए बड़े-बड़े वादे तो अपने घोषणापत्र में कर दिए. लेकिन यह सारे वादे केंद्र सरकार के भरोसे में तो नहीं किए गए थे. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए प्रदेश सरकार बार-बार केंद्र सरकार पर दोष मढ़ देते हैं. कर्ज लेकर प्रदेश सरकार पूरे छत्तीसगढ़ को दिवालिया कर देना चाहती है
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'कर्ज का बोझ आम जनता पर ही पड़ता है '
आर्थिक व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार जिस तरह से कर्ज ले रही है, इसे आर्थिक विशेषज्ञों ने सही नहीं माना है. छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने बताया कि कर्ज का बोझ कहीं ना कहीं आम आदमी पर ही पड़ता है. सत्ता सरकार संभालने के साथ ही कांग्रेस को 40 हजार करोड़ का कर्ज का भार पहले ही मिला था. इतने भारी भरकम कर्ज के बाद भी सरकार के सामने अपने किसानों के किए वादे को पूरा करना एक चुनौती रहा है. बावजूद सरकार अपने वादे को निभा रही है. हालांकि इसका बोझ आम जनता पर ही पड़ता है.
'आर्थिक व्यवस्था में कर्ज अच्छा नहीं'
अर्थशास्त्री डॉ. विनोद जोशी की मानें तो बजट आधारित कार्य वर्ष के आरंभ में किया जाते हैं. इसको यदि देखे तो किसानों से किया वादा को पूरा करने के लिए विशाल धनराशि की जरूरत हो रही है. इसकी प्रतिपूर्ति दो ही तरह से हो सकती है या तो हमारे संसाधन पर्याप्त मात्रा में हो या फिर केंद्र सरकार से या फिर अन्य माध्यम से लोन के रूप में धन प्राप्त करें. राज्य भी अपनी ओर से आर्थिक व्यवस्था को अपने स्तर पर सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. किसी भी तरह से आर्थिक व्यवस्था में कर्ज को अच्छा नहीं माना गया है. कर्ज को कहीं ना कहीं आने वाले समय में वित्तीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है.
चौथी किस्त के रूप में 1104 करोड़ का होगा भुगतान
राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों को चार किस्तों में धान का भुगतान किया जा रहा है. चौथी किस्त के रूप में सरकार को 1104. 27 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा. अब तक इस योजना की तीन किस्तों में धान उत्पादक 18.43 लाख किसानों को 4500 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. चारों किस्त मिलाकर यह राशि 5702. 13 करोड़ रुपए की होगी. वहीं गोधन न्याय योजना की 15वीं और 16वीं किस्त के रूप में सात करोड़ 55 लाख रुपए की राशि का भुगतान भी पशुपालकों के खातों में किया जाना है.