रायपुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों जीएसटी को लेकर राज्य सरकार नई रणनीति बनाने में जुटी हुई है. जानकारों की मानें तो राज्य सरकार जल्द ही कोई प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजने वाली है. जिसके तहत जीएसटी लागू होने के पहले की कर प्रणाली को फिर से बहाल करने मांग की जा सकती है. हो सकता है कि आगामी 27 अगस्त को होने वाले जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य सरकार की ओर से इसका प्रस्ताव रखा जाए.
कोरोना संकट में छत्तीसगढ़ सरकार वस्तु और सेवा कर जीएसटी प्रणाली से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने में लगी हुई है. पिछले दिनों हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में भी इस पर गंभीरता से चर्चा हुई है. कहां गया कि कोरोना काल से निपटने में सरकार को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद की आवश्यकता है. ऐसे समय केंद्र सरकार ने जीएसटी कलेक्शन से राज्य का हिस्सा देने पर रोक लगा रखी है.
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जानकारी के अनुसार अप्रैल में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक की जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि 1554 करोड़ 50 लाख रुपए की मांग की थी. जुलाई में केंद्र सरकार ने 418 करोड़ 1 लाख रुपए जारी किए थे. इसके बाद भी राज्य के हिस्से की जीएसटी की राशि केंद्र सरकार ने नहीं दी है. जिसे लेकर सरकार लगातार केंद्र सरकार से पत्राचार कर रही है.
केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप
राज्य सरकार का कहना है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो सरकार की व्यवस्था चरमरा जाएगी. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि जीएसटी लागू करने के दौरान केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से वादा किया था कि नुकसान होगा तो राज्य सरकार को क्षतिपूर्ति दी जाएगी. दुर्भाग्य से आज तक केंद्र सरकार क्षतिपूर्ति नहीं दे पाई है. छत्तीसगढ़ को मार्च के बाद से जीएसटी का हिस्सा होता है वह नहीं दिया गया है. कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भी केंद्र सरकार ने 6 महीने का जीएसटी का हिस्सा रोक कर रखा है.
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो राज्यों को बड़ा नुकसान होने वाला है. ऐसे में राज्य में हमारी टैक्समैन की जो नीति थी उसे लागू करने की अनुमति दी जाए या फिर जीएसटी और क्षतिपूर्ति का पूरा हिस्सा छत्तीसगढ़ सरकार को दिया जाए.
आर्थिक पैकेज की भी मांग
रविंद्र चौबे ने कहा 'हमें जीएसटी का हिस्सा, हमारा टैक्स कलेक्शन और माइनिंग सेल्स का हिस्सा भी नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कोरोना संकट से निपटने के लिए 30 हजार करोड़ के आर्थिक पैकेज की भी मांग की है. यदि उसकी भी किस्त सरकार को मिल जाएगी तो इससे भी काफी मदद मिल सकती है.
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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि 'क्या राज्य की सारी गतिविधियां जीएसटी से ही चलती है. इसी के बल पर कांग्रेस सरकार चला रही हैं. प्रदेश के अपने आय के साधन होते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी की राशि भेजने के लिए समय सीमा निर्धारित की है और उसी के अनुसार सभी राज्यों को जीएसटी की राशि भेजी जाती है.
कांग्रेस सरकार पर कसा तंज
इस दौरान उपासने ने यह भी कहा कि यदि सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही होती तो आए दिन बड़े-बड़े विज्ञापन नहीं चलाए जाते. ना ही विभिन्न आयोजन किए जाते. विधायकों की तनख्वाह बढ़ाई जा रही हैं. पूर्व विधायकों का पेंशन बढ़ाया जा रहा है. संसदीय सचिवों की सुविधाएं बढ़ रही है. ऐसे में सरकार जीएसटी के मामले को उठाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि वह इस तरीके से अपनी खामियों को छिपाना चाहती है.