रायपुर: छत्तीसगढ़ वन विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना देंगे. अगस्त 2022 में वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने अपनी मांग को लेकर 34 दिनों का आंदोलन किया था. सरकार से मिले आश्वासन के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था. हालांकि साल भर बीतने के बाद भी कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हुई है.
आश्वासन के बाद भी नहीं पूरी हुई मांगें: आश्वासन मिलने के साल भर बाद भी मांग पूरी न होने पर ये कर्मचारी फिर से आंदोलन करने वाले हैं. वन विभाग के कर्मचारियों की मानें तो कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था. लेकिन सरकार बनने के 4 साल बाद भी इन्हें नियमित नहीं किया गया है. सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने को ये मजबूर हैं.
वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करते हुए कर्मचारियों को 2 साल से लेकर 17 साल पूर्ण कर लिए हैं. बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ना तो स्थाईकरण रही है और ना ही नियमित कर रही है. सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में फिर एक बार 14 जुलाई को प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन करेंगे. - रामकुमार सिन्हा, प्रदेश महामंत्री, छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ
2 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन: छत्तीसगढ़ वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के तौर पर में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग है. पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है. जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूरी कर लिए हैं,उन्हें स्थाई किया जाए. जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए. बता दें कि पूरे छत्तीसगढ़ में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 है. इन कर्मचारियों को वेतन के तौर पर हर माह महज 9 हजार रुपया ही मिलता है.
संवेदनशील इलाकों में भी लगती है इनकी ड्यूटी: वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की मानें तो सुबह 8 बजे से ही इनकी ड्यूटी शुरू हो जाती है. वन विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर जंगल जाकर अवैध कटाई, आगजनी की घटना और रेत खनन जैसी चीजों की देखरेख करनी होती है. जंगल जाने से इन कर्मचारियों को जंगली जानवरों का भी भय बना रहता. ऐसे हालात में नौकरी करना इनकी मजबूरी है.वन विभाग की नौकरी 24 घंटे की होती है. अधिकारियों के निर्देश पर कभी भी कहीं भी जाना होता है. चाहे वह गर्मी, ठंड या बरसात का दिन हो फिर भी उनको ड्यूटी करनी होती है. अधिकारियों के निर्देश का पालन करना दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की मजबूरी है. संवेदनशील इलाकों में भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है.