रायपुर: केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में लंबे समय से चल रहे किसानों के प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार पर दबाव बनाते हुए फैसला दिया है कि कृषि कानून में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए कमेटी बनाकर इसका तत्काल निराकरण किया जाए. यही नहीं इसमें विषय विशेषज्ञों और किसान संगठनों से बात कर बीच का रास्ता भी निकाले जाने की बात कही गई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप को लेकर किसानों में नाराजगी है.
किसान संगठनों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह फैसला किसानों के आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार के दबाव में लिया गया है. किसान अपनी मांगों को लेकर डटे रहेंगे. किसानों की 1 सूत्रीय मांग है कि तीनों कानून सरकार वापस लेले. कानूनों के पूर्ण वापसी के बाद ही आंदोलन खत्म किए जाएंगे.
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छत्तीसगढ़ में किसान संगठन नाराज
छत्तीसगढ़ में कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप को लेकर किसान संगठनों में नाराजगी है. छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले रायपुर में लंबे समय से केंद्र के इस कानून को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा है. लगातार किसान संगठनों के पदाधिकारी और किसान धरना देकर क्रमिक भूख हड़ताल कर अपना आंदोलन कर रहे हैं. यही नहीं छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के कई सदस्य दिल्ली में भी आंदोलन में शामिल हुए हैं. ऐसे में आंदोलन को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई जा रही कमेटी को लेकर भी किसानों ने नाराजगी जताई है.
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्य डॉ संकेत ठाकुर ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार उनकी है, और सुप्रीम कोर्ट सरकार के बचाव में फैसला सुना रहा है. ऐसे में आने वाले समय में भी बनाई जा रही कमेटी को लेकर किसी तरह की कोई विश्वसनीयता नजर नहीं आती है.
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किसान अपनी मांगों पर अड़े रहेंगे
किसान नेता रुपन चंद्राकर कहते हैं कि सरकार की ओर से किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानून को रद्द किया जाए. केंद्र की सरकार इसका समाधान करने में असफल साबित हुई है. इस असफलता को छुपाने के लिए ही न्यायालय का सहारा लिया गया है. कानून पर रोक लगाना केंद्र सरकार की नैतिक हार जरूर है. लेकिन इसके लक्ष्य के पीछे का लक्ष्य किसान आंदोलन जो अब एक जन आंदोलन बन चुका है उसे कमजोर करना भी है.