रायपुर\दिल्ली: छत्तीसगढ़ में चुनावों से पहले, केंद्र सरकार राज्य के दो उप समुदायों को एससी सूची में लाने की तैयारी कर रही है. छत्तीसगढ़ के महरा और महार उप समूहों को एक कानून के माध्यम से एससी सूची में शामिल किया जाएगा. जिसे संसद के मानसून सत्र में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से पेश किया जाएगा. भारत के रजिस्ट्रार जनरल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा भूपेश बघेल सरकार की सिफारिश पर अपनी सहमति देने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मई को अपनी बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
अनुसूचित जाति में शामिल होगी महारा और महरा: महारा, महरा जाति को 'महार, मेहरा, मेहर' के पर्यायवाची के रूप में शामिल किया जाएगा. वे छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जाति की सूची में पहले से मौजूद नामों के ध्वन्यात्मक रूप मात्र हैं. इस कदम से एक लंबे समय से चली आ रही शिकायत का समाधान हो जाएगा. जिसके तहत छत्तीसगढ़ में महार आबादी का लगभग आधा हिस्सा दलित वर्ग से वंचित था. इससे उन्हें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लिए उपलब्ध अन्य सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा था. इस कदम से लंबे समय से चली आ रही विसंगति दूर हो जाएगी. जिसके तहत आधे महार समुदाय को "ध्वन्यात्मक भिन्नता" के कारण दलित के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी.
सूत्रों के अनुसार 2002 में केंद्र ने 1989 में अविभाजित मध्य प्रदेश की तरफ से भेजे गए एक प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की, और एससी की सूची में एमपी की "महारा" जाति को शामिल करने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की. चूंकि छत्तीसगढ़ को 2000 में मध्य प्रदेश से अलग कर बनाया गया था, इसलिए केंद्र ने नए राज्य के रायपुर और बस्तर क्षेत्रों में मौजूद समुदाय को छोड़ दिया.
बस्तर में जीत हार का फैसला करती है महार जाति: महार, माहरा, महरा का चुनावी महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि वे बस्तर क्षेत्र के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में मौजूद हैं और चुनावों में जीत हार का निर्णय कर सकते हैं. जैसे ही विधेयक संसद में पारित हो जाएगा, अनुसूचित जाति के बीच महार समुदाय की आबादी लगभग दोगुनी हो जाएगी.
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या 32.74 लाख है, जो राज्य की जनसंख्या का 12.82 प्रतिशत है. जबकि "महार, मेहरा, मेहर" की आबादी 2.45 लाख है, "महारा, महरा", जिन्हें अब एससी सूची में शामिल किया जाना है, उनकी संख्या लगभग 2 लाख है.