रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं. चुनाव से पहले टीएस सिंहदेव ने एक बयान देकर राजनीति हलकों की गर्मी बढ़ा दी है. इसमें ये कहा गया था कि सिंहदेव से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मुलाकात की थी, जिसके बाद बाबा का बयान आया कि वो फिलहाल कांग्रेस को छोड़ने की सोच भी नहीं सकते. वहीं दूसरी तरफ बाबा एक बार फिर भूपेश बघेल के साथ मंच साझा करते नजर आ रहे हैं. जबकि इससे पहले दोनों एक दूसरे के विरोधी माने जाते रहे. चुनाव से पहले कई ऐसे मौके देखने को मिले जब दोनों के समर्थक और कार्यकर्ताओं ने विरोध के स्वर ऊंचे किए. लेकिन चुनाव से पहले दोनों का मंच साझा करना कई इशारे कर रहा है.
मंत्री के बंगले में साथ पहुंचे सिंहदेव और भूपेश : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुधवार को कुमारी शैलजा और मोहन मरकाम के साथ रायपुर के शंकर नगर में मंत्री रविन्द्र चौबे के बंगले पर पहुंचे. इनके साथ स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी मौजूद थे. यहां पर सभी ने मंत्री रविन्द्र चौबे से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना. चौबे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं. इस मुलाकात के दौरान एक बैठक भी हुई, जिसमें आगामी चुनाव को लेकर रणनीति बनीं. बैठक की खास बात ये रही कि सीएम बघेल और सिंहदेव भी एक साथ नजर आए. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्या वजह है कि एक बार फिर भूपेश बघेल और सिंहदेव साथ नजर आ रहे हैं. जबकि ढाई ढाई साल के फार्मूले को लेकर इन दोनों के बीच कुछ दिन पूर्व काफी दूरियां बढ़ गई थी.
कई पार्टियों से ऑफर का दावा : टीएस सिंहदेव ने दावा किया है कि चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी अपनी रणनीति बना रही है. लेकिन वो रणनीति क्या है वो सार्वजनिक नहीं की जा सकती. वहीं ऑपरेशन लोटस की आशंका को लेकर टीएस सिंहदेव ने कहा कि मैंने सारी बातें बताई. मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में नहीं जाऊंगा. किसी पार्टी में नहीं आऊंगा, जो जिम्मेदारी मिलेगी उसमें काम करूंगा. मुझे कई पार्टी ने संपर्क किया था, लेकिन मैं नहीं गया.
बीजेपी ने सिंहदेव को दी नसीहत : जैसे ही सिंहदेव ने किसी दूसरी पार्टी में नहीं जाने की बात कही. वैसे ही बीजेपी के दिग्गज नेता अजय चंद्राकर ने टीएस सिंहदेव को किसी भी दल को बदनाम ना करने की सलाह दे डाली. पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने एक ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि "माननीय T. S. BABA स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ (कांग्रेस शोषित) तथाकथित सीएम इन वेटिंग. राजनीतिक शुचिता के प्रतीक थे, पर अब चुनाव आते ही राजनीतिक शगूफा छोड़ने लगे. उन्हें किसी को बदनाम करने का अधिकार नहीं है. उनसे कौन-कौन कब मिले थे नाम सार्वजनिक करना चाहिए."
जय-वीरू की जोड़ी ने दिलाई थी ऐतिहासिक जीत : वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे बताया कि ''साल 2018 के पहले की बात की जाए तो उस दौरान भूपेश बघेल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और टीएस सिंहदेव नेता प्रतिपक्ष थे. पार्टी ने इन दोनों के कंधे पर ही सरकार बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. इसे इन दोनों ने बखूबी निभाते हुए न सिर्फ एकतरफा जीत हासिल की बल्कि रिकॉर्ड बहुमत भी हासिल किया और सरकार बनाई. वर्तमान की बात की जाए तो कांग्रेस का संभागीय सम्मेलन चल रहा है. उस दौरान समीक्षा की जा रही है कि पार्टी किस संभाग में मजबूत है और किसमें कमजोर. हर विधानसभा सीट की समीक्षा की जा रही है.''
साथ मिलकर लड़ेंगे विधानसभा चुनाव : अनिरुद्ध दुबे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में चंद महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके पहले एक बार फिर भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच गहरा तालमेल देखने को मिल रहा है. कुछ दिन पहले की बात की जाए तो रायपुर में स्वास्थ्य विभाग का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम था, जिसमें भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दोनों एक दूसरे की जमकर तारीफ कर रहे थे. अब देखने में आ रहा है कि यह दोनों मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
क्या है टीएस सिंहदेव की नजदीकी का कारण : अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ऐसी क्या बात हुई कि टीएस सिंहदेव चुनाव से पहले एक्टिव मोड में आ गए. अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीएस सिंहदेव ने पैरा जंपिंग करके ये साबित किया उनके अंदर अब भी दमखम और खतरों का सामना करने का जज्बा बाकी है. जो लोग उन्हें उम्र दराज मानकर रिटायरमेंट लेने की सलाह दे रहे हैं. ये जंप उनके लिए बड़ा जवाब था. वहीं कयास ये भी लग रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर टीएस सिंहदेव को किसी बड़ी जिम्मेदारी का आश्वासन आलाकमान से मिला है. यही कारण है कि उनका मन एक बार फिर अपने पुराने साथियों के बीच रमने लगा है.