रायपुर : केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दल लहर बनाना चाहते हैं. इसके लिए पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक हो रही है. इस बैठक में आने वाले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष रणनीति बनाएगा. लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि विधानसभा चुनाव में जो दल आपस में लड़ते हैं. क्या वे लोकसभा में सिर्फ बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए एक साथ आएंगे. यदि एक साथ आ भी गए तो क्या उनके समर्थक समेत जनता बीजेपी के खिलाफ दो विरोधियों को स्वीकारेगी.
"हमारी पार्टी की तरफ से डिमांड चल रही है कि वे अध्यादेश के ऊपर समर्थन करें. इसके साथ ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और विपक्षी दल का चेहरा कौन होगा इस संबंध में भी चर्चा होनी है. इसके साथ सीटों का बंटवारा भी है. मैं अभी इतना अधिकृत नहीं हूं कि इन सभी चीजों के बारे में बता सकूं. लेकिन उम्मीद है कि इस बैठक से कुछ सकारात्मक चीजें निकल कर आएंगी. यह जो बैठक हो रही है वह एनडीए वर्सेस विपक्षी दल (Nda Vs Opposition Party) की बात है. जिस तरह से केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई के जरिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग कर रही है. इन सारी चीजों को रोकना पड़ेगा.'' विजयगुरु बख्शानी, आम आदमी पार्टी के रायपुर लोकसभा प्रभारी
विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कई बार हुआ है. आज विपक्ष जिन्हें जनता नापसन्द कर रही है. वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इससे पहले भी 2019 में इन्होंने प्रयास किया था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 चुनाव से ज्यादा सीटें मिली थी. एक बड़ी अजीब सी विडंबना है.उत्तर प्रदेश में जहां समाजवादी पार्टी है. वहां कांग्रेस की नगण्य स्थिति है. बिहार में जहां कांग्रेस की नगण्य स्थिति है. बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी है. लेकिन दूसरे राज्यों में उनका वजूद नहीं है" : अनुराग अग्रवाल, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया सह प्रभारी
चुनाव में दिख जाएगी विपक्षी दलों की एकता: भारतीय जनता पार्टी के मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने कहा" अरविंद केजरीवाल हर जगह अपना अलग एजेंडा लेकर चलते हैं. ऐसा सुनने में आया है कि अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं. पहले दिल्ली की बात करिए, फिर हम देश की बात करेंगे. भारतीय जनता पार्टी यह कहती है. सब विपक्षी दलों के अपने-अपने निजी एजेंडे हैं. उसे छुपा कर अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए एकजुट हुए हैं. विपक्षी दलों की एकता आने वाले समय में जनता को दिख जाएगी."
विपक्षी दलों के एक साथ आने से बीजेपी घबराहट में है. राहुल जी शुरू से मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे थे. अब बीजेपी वालों को लग रहा है कि अब हमारे पैर के नीचे की जमीन खिसकती जा रही है. : भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़
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क्या है विपक्षी दलों की परेशानी : राज्यों में जहां क्षेत्रीय दल विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ कांटे की लड़ाई करते हैं. कट्टर दुश्मनों सा व्यवहार करते हैं. क्या वह एक हो पाएंगे. जहां विपक्ष मजबूत है. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बजाय समाजवादी पार्टी मजबूत है. क्या वह कांग्रेस को टिकट देगी या अपनी सीटें छोड़ेगी? ये बड़ा सवाल है.