रायपुर: कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कार्यकारिणी की वेब बैठक सम्पन्न हुई. जिसमें AICC के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया, प्रभारी सचिव डॉ चंदन यादव, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्रिमंडल के सदस्य, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम भी विशेष रूप से उपस्थित रहे. बैठक का उद्घाटन भाषण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने दिया और बताया कि AICC के निर्देशों के मुताबिक आंदोलन की तैयारियों पर विचार करने के लिए यह बैठक बुलाई गई.
पीएल पुनिया ने कहा कि सभी राज्यों में प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी की बैठक होनी है. छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में है, जहां यह बैठक हो रही है. यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है. पुनिया ने कहा कि देश के किसान खतरे में हैं. बैठक में पीएल पुनिया ने सभी को चरणबद्ध आंदोलन की जानकारी दी.
चरणबद्ध आंदोलन की जानकारी
- आंदोलन के क्रम में 24 सितंबर को पत्रकार वार्ता होगी. जिसमें एआईसीसी (AICC) के प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम उपस्थित रहेंगे.
- 26 सितंबर को सभी कांग्रेस जन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्पीकर फॉर फार्मर का कैंपेन चलाएंगे.
- 28 सितंबर तक लॉकडाउन होने के कारण 29 सितंबर को राजभवन जाकर राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा. जिसमें कांग्रेस के सभी सांसद और विधायक उपस्थित रहेंगे.
- 10 अक्टूबर को रायपुर में किसान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.
- 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच प्रदेश में घर-घर जाकर कांग्रेस जन कृषि बिल के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे.
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ये कानून केंद्र और राज्य के संबंधों पर हमला: सीएम
बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह कृषि बिल एक तरह से काला कानून है. जो केंद्र और राज्य के संबंधों और हमारे संविधान की संघ व्यवस्था पर हमला है. जिस तरीके से 3 किसान विरोधी बिल लाए गए हैं वह सीधे-सीधे किसानों पर हमला है. एक तरफ हम लोग कोरोना संक्रमण से लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब किसान विरोधी काले कानून लाने वाली केंद्र सरकार के खिलाफ भी लड़ने की घड़ी आ गई है.
जनता के बीच जाने की जरुरत: सीएम
सीएम ने कहा कि आंदोलन को किसानों तक सीमित न रखते हुए आम लोगों तक भी ले जाने की जरूरत है. सीएम ने कहा कि जिस तरीके से आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म करके जमाखोरी को बढ़ावा देने की छूट दी जा रही है, उससे महंगाई भी बढ़ेगी और आम आदमी भी प्रभावित होगा. उपभोक्ताओं को भी अब जागरूक करने की जरुरत है. आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को लेकर भी अब हमें आम जनता के बीच जाने की जरूरत है.