रायपुर: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने किसानों के बंद को समर्थन दिया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता, मोर्चा संगठनों और प्रकोष्ठ विभागों के लोगों को जिम्मेदारी दी है. साथ ही लोगों से किसानों को समर्थन देने की अपील की है.
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बताया कि कांग्रेस किसानों के बंद में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देगी. अस्पताल, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, दवा दुकान जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद से मुक्त रखा गया है. बंद का आयोजन आक्रामक, लेकिन शांतिपूर्ण, अहिंसक और गांधीवादी तरीके से होगा. किसानों की मांगों का कांग्रेस पूर्ण समर्थन करती है.
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किसानों की मांग को कांग्रेस का पूरा समर्थन
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि तीनों काले किसान कानून तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाएं. किसानों की मांग को कांग्रेस का पूरा समर्थन है. इन मांगों को लेकर भारत बंद किए जाने का कांग्रेस समर्थन करती है.
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8 दिसंबर को भारत बंद में समर्थन की अपील
शैलेश ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून पूरी तरीके से किसानों के हित के खिलाफ हैं. किसान मांग कर रहे हैं कि इन कानून रद्द किया जाए. कांग्रेस अपील करती है, सभी लोगों से समाज के सभी वर्गों से कि वे किसानों का साथ दें. अन्नदाताओं का साथ दें. 8 दिसंबर को आहूत किए गए भारत बंद को सफल बनाएं.
किसान संगठनों के प्रदर्शन का 12वां दिन
बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के प्रदर्शन का 12वां दिन है. शनिवार को किसान संगठनों के प्रमुखों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सका. अब किसान यूनियन के प्रमुखों का कहना है कि सरकार हां या ना में जवाब दे. हालांकि, बतौर किसान नेता सात घंटों तक चली बातचीत में सरकार का रुख सकारात्मक रहा और किसान संगठनों की मांग पर सरकार ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा.
कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसान
किसान नेता कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे, लेकिन सरकार लगातार कानून के फायदे और किसानों की आशंकाओं को दूर करने पर जोर देती रही. इस तरह से चर्चा आगे बढ़ती रही और बैठक के दौरान एक समय ऐसा आया, जब सभी किसान मौन हो गए और कानून वापस लेने के सवाल पर सरकार से दो टूक जवाब 'हां' या 'ना' में मांगा. बैठक के दौरान हाथ में 'Yes' या 'No' की तख्ती दिखाते हुए किसानों ने मौन प्रदर्शन भी किया.