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SPECIAL: गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक उबाल

26 जनवरी को दिल्ली में हुई किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा देखने को मिली थी. लाल किले पर काफी उग्र प्रदर्शन किया गया था. छत्तीसगढ़ में इस घटना को लेकर सत्ता में बैठी कांग्रेस और विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. राज्य के किसान नेताओं ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है.

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छत्तीसगढ़ में दिख रहा राजनीतिक उबाल
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Published : Jan 28, 2021, 10:40 PM IST

रायपुर: देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के प्रदर्शन और लाल किले पर हुई घटना को लेकर छत्तीसगढ़ में भी राजनीतिक बयानबाजी का दौर चल रहा है. कांग्रेस ने किसान आंदोलन में हुई हिंसा को केंद्र सरकार की प्रायोजित घटना बताया है. इधर, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि किसानों के नाम पर पर्दे के पीछे से कांग्रेस और अन्य राजनीतिक संगठन इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. किसानों के आंदोलन को समर्थन की बात कांग्रेस के नेता पहले ही कह चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में दिख रहा राजनीतिक उबाल

2 महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का उग्र रूप देश की एकता और अखंडता के पर्व गणतंत्र दिवस पर देखने को मिला. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में किसान संगठनों ने ट्रैक्टर मार्च किया. प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहरा दिया. इस दौरान देश की राजधानी में हिंसा और उग्र प्रदर्शन देखने को मिला. अब छत्तीसगढ़ तक इस आग लपटें पहुंच गई है. घटना के बाद से राज्य के राजनीतिक गलियारे में उबाल है.

पढ़ें: खुशखबरी: सीएम ने की सरोना उपतहसील को तहसील बनाने की घोषणा

कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र पर साधा निशाना

छत्तीसगढ़ में इस घटना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने इस घटना को लेकर कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने इस तरह की घटना प्रायोजित तरीके से कराई है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 महीने से जो किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, उसे गणतंत्र दिवस के मौके पर हिंसक रूप दे दिया गया.

लाल किले पर साधारण दिनों में भी पहुंच पाना मुश्किल

कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि लाल किले में तो कोई सामान्य दिनों में भी नहीं घुस सकता है. लाल किला इतना सुरक्षित एरिया है. सुरक्षा की इतनी चाक चौबंद व्यवस्था होती है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, लेकिन गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय एकता के दिवस पर भी लाल किले तक घुसने की अनुमति किसके संरक्षण में दी गई, यह सबको समझ में आ रहा है. यह पूरी घटना सरकार की ओर से प्रायोजित है.

पढे़ं: किसान आंदोलन में हुई हिंसा केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित: रविंद्र चौबे

कांग्रेस ने खुलकर किया था आंदोलन को समर्थन

कांग्रेस की ओर से दिए गए बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि किसानों के आंदोलन के बहाने कांग्रेस और उनके साथी राजनीतिक संगठन लगातार राजनीति कर रहे हैं. पार्टी के मुखिया राहुल गांधी ने खुद कहा है कि इससे बड़ा मौका कहां मिलेगा. कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ से भी किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए ट्रक भरकर चावल भेजा गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी किसानों के आंदोलन को बढ़ावा देने का काम किया है. किसानों को भ्रम में डालकर भड़काने वाले नेता कौन हैं, इसका भी प्रमाण है. किसानों की आड़ में पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. पनाह देने वाले के तार कहां तक जुड़े हैं, इसकी जांच होनी चाहिए.

देखे्ं: नेता प्रतिपक्ष ने सीएम बघेल को सावरकर के बारे में पढ़ने की दी नसीहत

किसान संगठन ने जताया दुख

छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने दिल्ली में हुई घटना की निंदा की है. मोर्चा के संरक्षक जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि किसान पिछले 60 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. बावजूद मांगों पर केंद्र सरकार विचार नहीं कर रही है. ऐसे में शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा आंदोलन अचानक से इतना भयावह रूप कैसे ले सकता है? दिल्ली के लाल किले में हुई घटना दुखद है. सरकार को भी किसानों के हित में सोचना होगा. किसान नेता लालाराम वर्मा कहते हैं कि किसान को अपनी मेहनत का मेहनताना भी सही तरीके से नहीं मिल रहा है. औने-पौने दाम पर किसान अपने खून पसीने की कमाई को बेचने पर मजबूर हैं. उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है, ऐसे में इस तरह की घटना अप्रत्याशित लगती है.

दिल्ली में हुई घटना को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गया है. पक्ष और विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों ने आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है. किसान संगठनों ने भी अपनी मांगों को जायज ठहराया है. लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बाद भी हल ना निकालना और इस तरह से हिंसा करना कहीं ना कहीं पूरी घटना पर संदेह को जन्म देता है.

रायपुर: देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के प्रदर्शन और लाल किले पर हुई घटना को लेकर छत्तीसगढ़ में भी राजनीतिक बयानबाजी का दौर चल रहा है. कांग्रेस ने किसान आंदोलन में हुई हिंसा को केंद्र सरकार की प्रायोजित घटना बताया है. इधर, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि किसानों के नाम पर पर्दे के पीछे से कांग्रेस और अन्य राजनीतिक संगठन इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. किसानों के आंदोलन को समर्थन की बात कांग्रेस के नेता पहले ही कह चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में दिख रहा राजनीतिक उबाल

2 महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का उग्र रूप देश की एकता और अखंडता के पर्व गणतंत्र दिवस पर देखने को मिला. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में किसान संगठनों ने ट्रैक्टर मार्च किया. प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहरा दिया. इस दौरान देश की राजधानी में हिंसा और उग्र प्रदर्शन देखने को मिला. अब छत्तीसगढ़ तक इस आग लपटें पहुंच गई है. घटना के बाद से राज्य के राजनीतिक गलियारे में उबाल है.

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कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र पर साधा निशाना

छत्तीसगढ़ में इस घटना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने इस घटना को लेकर कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने इस तरह की घटना प्रायोजित तरीके से कराई है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 महीने से जो किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, उसे गणतंत्र दिवस के मौके पर हिंसक रूप दे दिया गया.

लाल किले पर साधारण दिनों में भी पहुंच पाना मुश्किल

कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि लाल किले में तो कोई सामान्य दिनों में भी नहीं घुस सकता है. लाल किला इतना सुरक्षित एरिया है. सुरक्षा की इतनी चाक चौबंद व्यवस्था होती है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, लेकिन गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय एकता के दिवस पर भी लाल किले तक घुसने की अनुमति किसके संरक्षण में दी गई, यह सबको समझ में आ रहा है. यह पूरी घटना सरकार की ओर से प्रायोजित है.

पढे़ं: किसान आंदोलन में हुई हिंसा केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित: रविंद्र चौबे

कांग्रेस ने खुलकर किया था आंदोलन को समर्थन

कांग्रेस की ओर से दिए गए बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि किसानों के आंदोलन के बहाने कांग्रेस और उनके साथी राजनीतिक संगठन लगातार राजनीति कर रहे हैं. पार्टी के मुखिया राहुल गांधी ने खुद कहा है कि इससे बड़ा मौका कहां मिलेगा. कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ से भी किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए ट्रक भरकर चावल भेजा गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी किसानों के आंदोलन को बढ़ावा देने का काम किया है. किसानों को भ्रम में डालकर भड़काने वाले नेता कौन हैं, इसका भी प्रमाण है. किसानों की आड़ में पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. पनाह देने वाले के तार कहां तक जुड़े हैं, इसकी जांच होनी चाहिए.

देखे्ं: नेता प्रतिपक्ष ने सीएम बघेल को सावरकर के बारे में पढ़ने की दी नसीहत

किसान संगठन ने जताया दुख

छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने दिल्ली में हुई घटना की निंदा की है. मोर्चा के संरक्षक जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि किसान पिछले 60 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. बावजूद मांगों पर केंद्र सरकार विचार नहीं कर रही है. ऐसे में शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा आंदोलन अचानक से इतना भयावह रूप कैसे ले सकता है? दिल्ली के लाल किले में हुई घटना दुखद है. सरकार को भी किसानों के हित में सोचना होगा. किसान नेता लालाराम वर्मा कहते हैं कि किसान को अपनी मेहनत का मेहनताना भी सही तरीके से नहीं मिल रहा है. औने-पौने दाम पर किसान अपने खून पसीने की कमाई को बेचने पर मजबूर हैं. उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है, ऐसे में इस तरह की घटना अप्रत्याशित लगती है.

दिल्ली में हुई घटना को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गया है. पक्ष और विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों ने आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है. किसान संगठनों ने भी अपनी मांगों को जायज ठहराया है. लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बाद भी हल ना निकालना और इस तरह से हिंसा करना कहीं ना कहीं पूरी घटना पर संदेह को जन्म देता है.

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