रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. बजट सत्र के दौरान सरकार से धान खरीदी, धान समर्थन मूल्य, शराबबंदी, रेत माफिया, सीमेंट के बढ़े दाम, बिगड़ती कानून व्यवस्था, हाथियों का आतंक और नियमितीकरण सहित कई मुद्दों को लेकर विपक्ष सवाल-जवाब करेगा.
धान के बाद जो सबेस बड़ा मुद्दा है, वो है शराबबंदी का. नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि सरकार शराबबंदी की बात करती है लेकिन उनके मंत्री का बयान कुछ और कहता है. उनका इशारा आबकारी मंत्री कवासी लखमा की तरफ था. कौशिक ने ये भी कहा कि मंत्री के बयान से लगता है कि उनकी आय का जरिया ही शराब है. कौशिक ने कहा कि सरकार धान खरीदी पर ही सरकार आई लेकिन सोसायटी इनकी 5 बजे बंद हो जाएगी, शराब की दुकान 10 बजे तक खुली रहती है. ऐसा लगता है कि इनकी घर पहुंच सेवा शराब के लिए ही है.
'कांग्रेस आरएसएस की तर्ज पर नहीं चलती'
मंत्री कवासी लखमा ने एक, दो नहीं बल्कि कई बार शराब को लेकर विवादित बयान दिया है. इसी महीने की 6 तारीख को लखमा ने कहा कि उनकी पार्टी यानी कांग्रेस आरएएस की तर्ज पर नहीं चलती. शराबबंदी में 2 साल और लगेंगे. उन्होंने और वक्त लगने की बात कही. 10 फरवरी को महासमुंद में लखमा ने फिर कहा था कि सरकारी शराब की दुकानें बंद नहीं होंगी. लखमा ने कहा कि अच्छी क्वॉलिटी की शराब दुकानों में उपलब्ध कराई जाएंगी.
'बस्तर का काम पिलाने का है'
इससे पहले खाद्य मंत्री ने लखमा की चुटकी लेते हुए कहा था कि सरगुजा का काम खिलाने और बस्तर का पिलाने का है.
शराबबंदी की लिए समिति गठित
सरकार ने शराबबंदी की लिए समिति गठित की है. पिछले साल नवंबर में भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ शराब की खपत के मामले में देश में नंबर वन पर है यहां करीब 35.6% लोग शराब पीते हैं. यानी विपक्ष सरकार से यही कहेगा कि जो वादा किया था, वो निभाना पड़ेगा.