रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत 7 मार्च से होगी. यह सत्र 25 मार्च तक चलेगा. जिसमें कुल 13 बैठकें होंगी. सत्र के पहले दिन यानी 7 मार्च को सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होगी. जिसके बाद अभिभाषण पर सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्य चर्चा करेंगे. सत्र के शुरू होने से पहले कैबिनेट की बैठक होगी. जिसमें यह तय किया जाएगा कि सदन के अंदर बजट कब पेश किया जाए. जानकारों के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार अपना बजट 11 या 14 मार्च को पेश कर सकती है. इस सत्र के दौरान विधिकार्यों के साथ अन्य शासकीय कार्य भी पूरे किए जाएंगे
बजट पर टिकी लोगों की उम्मीदें, मिल सकती है कई सौगात
अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता ने बताया कि, राज्य सरकार के बजट में आम लोगों के लिए जो कल्याणकारी योजनाएं सरकार द्वारा संचालित की जा रही है उसमें सहूलियत बढ़ाई जा सकती हैं. जैसे सब्सिडी बढ़ाई जा सकती है ,लेकिन जीएसटी की वजह से टैक्स में कटौती की संभावना नहीं है. अब राज्य सरकार कल्याणकारी कार्यों पर ज्यादा जोर दे सकती है. समाज कार्य से बचे पैसों का उपयोग राज्य सरकार प्रदेश में अधोसंरचना के विकास के लिए भी कर सकती है. सरकार स्थानीय करों में परिवर्तन कर सकती है साथ ही सरकार अपने घोषणा पत्र के बचे हुए काम को भी पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान कर सकती है. रोजगार के लिए बचे हुए पदों पर भर्ती की जा सकती है और कृषकों के लिए कुछ नई योजनाएं संचालित की जा सकती हैं.
Chhattisgarh Budget Session 2022: विधायक प्रश्नों की सूचनाएं ऑनलाइन कर सकेंगे जमा, दी गई ट्रेनिंग
टैक्स में कमी या बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं -अर्थशास्त्री रविंद्र ब्रम्हे
प्रदेश के ख्यातिनाम अर्थशास्त्री रविंद्र ब्रम्हे का कहना है कि, इस बजट में राज्य सरकार कुछ नई योजनाओं के साथ-साथ मानदेय बढ़ाने , वंचितों - गरीबों के लिए स्वास्थ्य की योजनाएं चलाने जैसे कार्य को समाहित कर सकती है. जिसका प्रभाव सीधे - सीधे आम लोगों पर पड़ेगा. बजट में कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च किया जा सकता है. इस बजट में सरकार , निर्माण कार्य के लिए खासकर पूंजी निर्माण में सड़क , स्कूल बनाना , या अन्य अधोसंरचना विकास पर ज्यादा जोर दिया जा सकता है. इससे राज्य के विकास को बढ़ावा मिलता है , रोजगार बढ़ते हैं और आम आदमी की आय भी बढ़ती है. जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार भी होता है. ऐसे कामों को ही सरकार अपने बजट में समाहित कर सकती है. सरकार के यही दो बड़े खर्च होते हैं ,जो लोगों को सीधे प्रभावित करते हैं. रविन्द्र ब्रम्हे का कहना है कि, जीएसटी के बाद राज्य सरकारें टैक्स को कम या ज्यादा नहीं कर सकती. ना ही वस्तु और सेवाओं पर टैक्स में कोई छूट दे सकती है. लेकिन जिन वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. उनमें कमी या वृद्धि की जा सकती है.
बघेल का बही खाता: बजट से क्या बस्तर संभाग की उम्मीदें हुई पूरी ?
अर्थशास्त्री रविन्द्र ब्रम्हे ने कहा कि , राज्य सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट की संभावनाओं की बात करें तो, इस बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर जोर दिया जा सकता है. जिसमें कृषि और कृषि संबंधित अन्य क्रियाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रावधान हो सकते हैं. इस बार के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए भी सरकार ज्यादा जोर दे सकती है साथ ही सरकारी कर्मचारियों की पेंशन नियम में बदलाव कर , इस बजट में उन्हें बड़ा तोहफा दिए जाने की संभावना है