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श्रीलंका की महिलाओं को भाई छत्तीसगढ़ की कोसा सिल्क साड़ी, दोनों सरकार में हुआ करार - कोसा सिल्क साड़ी

दिल्ली में हुए अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला में छत्तीसगढ़ के कोसे की साड़ी को लेकर श्रीलंका की महिलाओं ने अपनी रुचि दिखाई है. यही वजह है कि हस्तशिल्प की मांग और लोकप्रियता को देखते हुये श्रीलंका की सरकार ने छत्तीसगढ़ से हैंडलूम उत्पादों को लेकर एक एमओयू किया है.

छत्तीसगढ़ और श्रीलंका के बीच हैंडलूम उत्पादो के लिए हुआ समझौता
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Published : Oct 14, 2019, 7:41 PM IST

Updated : Oct 14, 2019, 9:17 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क अब बहुत जल्द श्रीलंका में भी दिखाई देगा. जी हां छत्तीसगढ़ की संस्कृति अब दूसरे देशों में भी अपनी छाप छोड़ेगी. यहां के कोसे से बनी साड़ियां अब श्रीलंका के बाजारों तक पहुंचेंगी और यहां की महिलाओं की खूबसूरती में चार-चांद लगाएंगी.

दो साल के लिए हुआ है समझौता
13 अक्टूबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला में छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ बिलासा एंपोरियम और श्रीलंका के सहकारिता विकास विभाग की ओर से एक साझा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है. इस समझौते के तहत आपसी व्यापार और व्यवसाय को सहयोग और बढ़ावा दिया जाएगा. यह समझौता दो सालों के लिए किया गया है.

समझौते से दोनों देशों में बढ़ेंगे व्यापारिक संबंध
दोनों देशों के बीच हैंडलूम उत्पादों के संबंध में व्यापार और व्यवसाय की रुचि को समझकर, तकनीकों का आदान-प्रदान, अनुभवों और उद्देश्यों को समझा जाएगा. दोनों देशों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे अपने आइडिया और अनुभव एक दूसरे से साझा करेंगे. एक दूसरे के साथ व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देंगे और एक दूसरे को सुविधाएं देंगे. इस समझौते के बाद छत्तीसगढ़ और श्रीलंका के हैंडलूम उत्पाद आसानी से लोगों को अपने ही देशों में उपलब्ध हो सकेगा. बता दें कि पिछले दिनों कोसा साड़ियों के कुछ सैंपल श्रीलंका भेजे गए थे, जिसके बाद वहां की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ की सिल्क साड़ियों में रुचि दिखाई है.

यहां का कोसा लोगो को करता है आकर्षित
श्रीलंका के कोऑपरेटिव विभाग के असिस्टेंट कमिशनर नीलांगा डी सोमपाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क श्रीलंका में काफ़ी पसंद किया जाता है. यहां के कोसा सिल्क में गुणवत्ता और महीन बुनकरी का काम होता है जो बाज़ार में लोगों को काफ़ी आकर्षित करता है. उन्होंने बताया कि श्रीलंका से आए ग्राहकों का रुझान छत्तीसगढ़ के टसर सिल्क, घीचा सिल्क, लिनेन, रॉ सिल्क की ओर काफ़ी रहता है. आरी सिल्क और मटका टसर रेयर होने की वजह से श्रीलंका के लोग इसे काफी पसंद करते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क अब बहुत जल्द श्रीलंका में भी दिखाई देगा. जी हां छत्तीसगढ़ की संस्कृति अब दूसरे देशों में भी अपनी छाप छोड़ेगी. यहां के कोसे से बनी साड़ियां अब श्रीलंका के बाजारों तक पहुंचेंगी और यहां की महिलाओं की खूबसूरती में चार-चांद लगाएंगी.

दो साल के लिए हुआ है समझौता
13 अक्टूबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला में छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ बिलासा एंपोरियम और श्रीलंका के सहकारिता विकास विभाग की ओर से एक साझा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है. इस समझौते के तहत आपसी व्यापार और व्यवसाय को सहयोग और बढ़ावा दिया जाएगा. यह समझौता दो सालों के लिए किया गया है.

समझौते से दोनों देशों में बढ़ेंगे व्यापारिक संबंध
दोनों देशों के बीच हैंडलूम उत्पादों के संबंध में व्यापार और व्यवसाय की रुचि को समझकर, तकनीकों का आदान-प्रदान, अनुभवों और उद्देश्यों को समझा जाएगा. दोनों देशों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे अपने आइडिया और अनुभव एक दूसरे से साझा करेंगे. एक दूसरे के साथ व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देंगे और एक दूसरे को सुविधाएं देंगे. इस समझौते के बाद छत्तीसगढ़ और श्रीलंका के हैंडलूम उत्पाद आसानी से लोगों को अपने ही देशों में उपलब्ध हो सकेगा. बता दें कि पिछले दिनों कोसा साड़ियों के कुछ सैंपल श्रीलंका भेजे गए थे, जिसके बाद वहां की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ की सिल्क साड़ियों में रुचि दिखाई है.

यहां का कोसा लोगो को करता है आकर्षित
श्रीलंका के कोऑपरेटिव विभाग के असिस्टेंट कमिशनर नीलांगा डी सोमपाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क श्रीलंका में काफ़ी पसंद किया जाता है. यहां के कोसा सिल्क में गुणवत्ता और महीन बुनकरी का काम होता है जो बाज़ार में लोगों को काफ़ी आकर्षित करता है. उन्होंने बताया कि श्रीलंका से आए ग्राहकों का रुझान छत्तीसगढ़ के टसर सिल्क, घीचा सिल्क, लिनेन, रॉ सिल्क की ओर काफ़ी रहता है. आरी सिल्क और मटका टसर रेयर होने की वजह से श्रीलंका के लोग इसे काफी पसंद करते हैं.

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोसे की साड़ी को लेकर वहाँ की महिलाओं ने भी अपनी रुचि दिखाई है। यही वजह है कि हस्तशिल्प की मांग और लोकप्रियता को देखते हुये श्रीलंका की सरकार ने छत्तीसगढ़ से हैंडलूम उत्पादों को लेकर एक एमओयू किया है। छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बाज़ारों में जल्द दिखाई देगा। छत्तीसगढ़ के जाँजगीर, रायगढ़, बिलासपुर सहित कोरबा के कोसा सिल्क की आपूर्ति धीरे- धीरे श्रीलंका के अन्य शहरों में भी उपलब्ध करायी जाएगी। यहाँ के कोसा सिल्क साड़ी अब श्रीलंका की महिलाओं की भी खूबसूरती में चार चाँद लगाएगी। Body:13 अक्टुबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला में छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ बिलासा एम्पोरियम और श्रीलंका के सहकारिता विकास विभाग की ओर से एक साझा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसके तहत आपसी व्यापार और व्यवसाय को सहयोग और बढ़ावा दिया जाएगा। यह समझौता दो सालों के लिए किया गया है। इसके तहत दोनों देशों के बीच हैंडलूम उत्पादों के संबंध में व्यापार और व्यवसाय की रुचि को समझकर, तकनीकों का आदान प्रदान, अनुभवों और उद्देश्यों को समझा जाएगा। दोनों देशों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे अपने आइडिया और अनुभव एक दूसरे से साझा करेंगे। एक दूसरे के साथ व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देंगे और एक दूसरे को सुविधाएं प्रदान करेंगे। इस समझौते के बाद छत्तीसगढ़ और श्रीलंका के हैंडलूम उत्पाद आसानी से लोगों को अपने ही देशों में उपलब्ध हो सकेगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों कोसा साड़ियों के कुछ सैंपल श्रीलंका भेजे गए थे, जिसके बाद वहाँ की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ की सिल्क साड़ियों में रुचि दिखाई है।Conclusion:
श्रीलंका के कोआपरेटिव विभाग के असिस्टेंट कमिशनर नीलांगा डी सोमपाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क श्रीलंका में काफ़ी पसंद किया जाता है। यहाँ के कोसा सिल्क में उच्च गुणवत्ता और महीन बुनकरी का काम होता है वह बाज़ार में लोगों को काफ़ी आकर्षित करता है। उन्होंने ने बताया कि श्रीलंका से आए ग्राहकों का रुझान छत्तीसगढ़ के टसर सिल्क, घीचा सिल्क, लिनेन, रॉ सिल्क की ओर काफ़ी रहता है। आरी सिल्क और मटका टसर रेयर होने की वजह से श्रीलंका के लोग इसे काफी पसंद करते है

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Oct 14, 2019, 9:17 PM IST
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