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Chhatrapati Shivaji Jayanti tithi 2023 : वीरता और पराक्रम के प्रणेता वीर शिवाजी - वीर छत्रपति शिवाजी

मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले वीर छत्रपति शिवाजी का इतिहास में सुनहरे पन्नों में दर्ज है. उनकी शौर्यगाथा और पराक्रम के किस्से आज भी लोगों के जुबान में चढ़े हुए हैं. कुशल नेतृत्व और वीरता की मिसाल थे वीर छत्रपति शिवाजी की.आज हम आपको बताएंगे शिवाजी के जीवन से जुड़े कुछ अनोखे तथ्य.

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti
छत्रपति शिवाजी जयंती
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Published : Mar 10, 2023, 1:12 PM IST

रायपुर /हैदराबाद : वीर शिवाजी का जन्म शिवनेरी किले में हुआ था. ये किला पुणे में स्थित है. बचपन से ही शौर्य और पराक्रम के लिए शिवाजी जाने जाते थे. पिता शाहजी राजे से शिवाजी ने पराक्रम सीखा तो माता जीजाबाई से संस्कार. जीजाबाई के धार्मिक संस्कार विरासत में मिले थे. जिसका असर शिवाजी पर भी दिखाई दिया. वो भी धर्म से काफी जुड़े रहे. अपने जीवन काल में शिवाजी ने छह शादियां की थी. उनकी पत्नियों के नाम सईबाई,सोयराबाई, काशीबाई,पुतलाबाई,सकवरबाई और सुगना बाई था.

वीर शिवाजी का इतिहास : वीर शिवाजी को साईबाई से पुत्र संभाजी, सोयराबाई से पुत्र राजाराम, और पुत्री दीपाबाई, सगुनाबाई से राज कुंवर बाई और सकवरबाई से पुत्री कमलाबाई प्राप्त हुई थी. वीर शिवाजी ने अपने शासन में कई तरह के ऐतिहासिक युद्ध लड़े. मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी.

कैसे हुई थी वीर शिवाजी की मृत्यु : वीर शिवाजी की मौत का रहस्य आज तक गहराया हुआ है. यदि इतिहास के पन्ने पलटे जाए तो उनकी मौत एक बीमारी की वजह से होना बताया जाता है . 3 अप्रैल 1680 का वो दिन था जब वीर शिवाजी को तेज बुखार हुआ. इसके बाद उन्हें दस्त पड़ने लगे. दस्त इतना हुआ कि शरीर में पानी की कमी होने लगी. शिवाजी को औषधियां दी जाने लगी. ऐसा लगा कि वो ठीक हो जाएंगे.लेकिन दस्त नहीं रुके. आखिरकार 52 साल की उम्र में वीर शिवाजी की मृत्यु हो गई.

हर धर्म को दिया सम्मान : शिवाजी काफी धार्मिक थे. शिवाजी ने हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्म के अनुयायियों को सामान इज्जत दी थी. उनकी फौज में मुसलमानों की भी कोई कमी ना थी. शिवाजी ने अपने शासन काल में संतों का जहां उत्थान किया वहीं फकीर और बाबाओं की भी व्यवस्था की.

ये भी पढ़ें- जानिए कौन थे संत तुकाराम महाराज

फादर ऑफ इंडियन नेवी थे शिवाजी : शिवाजी को फादर ऑफ इंडियन नेवी की उपाधि भी मिली है. नौसेना के बेड़े की परिकल्पना शिवाजी ने 3 सौ साल पहले ही कर ली थी. अंग्रेजों और मुगलों को कई बार पानी से आक्रमण के लिए तैयार रहते थे.इसलिए शिवाजी ने पानी में भी सेना की तैनाती की. इसलिए महाराष्ट्र में पुर्तगाली और अंग्रेज सीधे पानी के रास्ते आक्रमण करने से डरते थे.

रायपुर /हैदराबाद : वीर शिवाजी का जन्म शिवनेरी किले में हुआ था. ये किला पुणे में स्थित है. बचपन से ही शौर्य और पराक्रम के लिए शिवाजी जाने जाते थे. पिता शाहजी राजे से शिवाजी ने पराक्रम सीखा तो माता जीजाबाई से संस्कार. जीजाबाई के धार्मिक संस्कार विरासत में मिले थे. जिसका असर शिवाजी पर भी दिखाई दिया. वो भी धर्म से काफी जुड़े रहे. अपने जीवन काल में शिवाजी ने छह शादियां की थी. उनकी पत्नियों के नाम सईबाई,सोयराबाई, काशीबाई,पुतलाबाई,सकवरबाई और सुगना बाई था.

वीर शिवाजी का इतिहास : वीर शिवाजी को साईबाई से पुत्र संभाजी, सोयराबाई से पुत्र राजाराम, और पुत्री दीपाबाई, सगुनाबाई से राज कुंवर बाई और सकवरबाई से पुत्री कमलाबाई प्राप्त हुई थी. वीर शिवाजी ने अपने शासन में कई तरह के ऐतिहासिक युद्ध लड़े. मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी.

कैसे हुई थी वीर शिवाजी की मृत्यु : वीर शिवाजी की मौत का रहस्य आज तक गहराया हुआ है. यदि इतिहास के पन्ने पलटे जाए तो उनकी मौत एक बीमारी की वजह से होना बताया जाता है . 3 अप्रैल 1680 का वो दिन था जब वीर शिवाजी को तेज बुखार हुआ. इसके बाद उन्हें दस्त पड़ने लगे. दस्त इतना हुआ कि शरीर में पानी की कमी होने लगी. शिवाजी को औषधियां दी जाने लगी. ऐसा लगा कि वो ठीक हो जाएंगे.लेकिन दस्त नहीं रुके. आखिरकार 52 साल की उम्र में वीर शिवाजी की मृत्यु हो गई.

हर धर्म को दिया सम्मान : शिवाजी काफी धार्मिक थे. शिवाजी ने हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्म के अनुयायियों को सामान इज्जत दी थी. उनकी फौज में मुसलमानों की भी कोई कमी ना थी. शिवाजी ने अपने शासन काल में संतों का जहां उत्थान किया वहीं फकीर और बाबाओं की भी व्यवस्था की.

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फादर ऑफ इंडियन नेवी थे शिवाजी : शिवाजी को फादर ऑफ इंडियन नेवी की उपाधि भी मिली है. नौसेना के बेड़े की परिकल्पना शिवाजी ने 3 सौ साल पहले ही कर ली थी. अंग्रेजों और मुगलों को कई बार पानी से आक्रमण के लिए तैयार रहते थे.इसलिए शिवाजी ने पानी में भी सेना की तैनाती की. इसलिए महाराष्ट्र में पुर्तगाली और अंग्रेज सीधे पानी के रास्ते आक्रमण करने से डरते थे.

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