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Chath puja special: इसलिए छठ पूजा के समय ही गाया जाता है छठ गीत

छठ पूजा (Chath puja) में छठ (Chath) से पहले ही रौनक लाने का काम करता है छठ गीत(Chath song). इन गीतों की धुन में हर कोई मस्त हो जाता है और भक्ति में डूब कर छठ पर्व (Chath fastival) की तैयारियां करने लगता है.

Chath puja special
छठ के गीतों की महिमा
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Published : Oct 17, 2021, 3:32 PM IST

रायपुरः छठ (Chath) यानी कि भगवान सूर्य (Surya) की आराधना. ये एक ऐसा पर्व है जिसमें प्रकृति की पूजा (Worship of nature) प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा की जाती है. नवरात्र (Navratri) खत्म होने के बाद से ही हर घर में छठ के गीत (Chath song) बजने लगते हैं. छठ गीत के धुन हर किसी को मंत्रमुग्ध करने वाला होता है. नियमों के अनुसार छठ पूजा (Chath puja) के समय ही छठ के गीत सुनने चाहिए. यही कारण है कि हमेशा लोग छठ के गीत नहीं सुने जाते.

छठ के पौराणिक गीतों में को सुनकर हम ये जान पाते हैं कि कैसे लोग अभावग्रस्त होने के बावजूद भी छठ की पूजा और व्रत को बरकरार रखते थे. छठ में गंगा के घाट (Ganga Ghat) का एक अलग ही महत्व होता है. कहते हैं कि गंगा मैया भगवान सूर्य की बहन हैं. बहन के पास जाकर छठ में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. मां गंगा और भगवान सूर्य दोनों ही साक्षात देव हैं.

छठ को उर्जा का पर्व भी कहा जाता है, यही कारण है कि चार दिनों के कठीन व्रत में भी व्रती को उर्जा प्राप्त हो ही जाती है और वो कठिन व्रत का संकल्प पूरा करती हैं.

छठ में व्रत रखकर ही छठी मैय्या का प्रसाद बनाने की परंपरा होती है. इसपर एक गाना भी है जो इस पर्व की पवित्रता और शुद्धता का वर्णन करता है.

मारबो रे सुगवा धनुख से

सुगा गिरे मुरझाए

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से

आदित होई ना सहाय

इस गीत का अर्थ है कि, एक बार सुगवा यानी कि तोता छठ पूजा के प्रसाद के तौर पर लाए गए नारियल को जूठा कर देता है. जिसे देख लोगों को क्रोध आ जाता है. जिसके बाद लोग सुगवा को धनुष से मारते हैं. जिसके बाद सुगनी यानी कि तोते की पत्नी छठ व्रत रखती हैं और छठी मैय्या से तोते को दोबारा जीवित करने की विनती करती हैं. मां व्रत से प्रसन्न होकर उसे दोबारा जीवित कर देती है. इस गाने में छठ पूजा की पवित्रता का वर्णन है.

वहीं, छठ में घाट पर पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है. दरअसल छठ पूजा घाट पर ही शोभा देता है. यही कारण है कि लोग पहले से घाट को छेक लेते हैं. क्योंकि व्रतियों की संख्या अधिक होने पर घाट पर जगह की कमी होती है. हर कोई बेहतर और साफ सुथरे घाट पर जाकर छठ पूजा करना चाहता है. इस पर भी एक गीत है.

पटना के घाट पर

हमहु अरगिया देवई हे छठी मैया

हम ना जाएब दूसर घाट

देखब ए छठी मैया

ये गीत शारदा सिन्हा सहित कई गायिकाओं ने गाया है. इस गीत से साफ समझ में आता है कि छठ पूजा में घाट का कितना और क्या महत्व होता है.

रायपुरः छठ (Chath) यानी कि भगवान सूर्य (Surya) की आराधना. ये एक ऐसा पर्व है जिसमें प्रकृति की पूजा (Worship of nature) प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा की जाती है. नवरात्र (Navratri) खत्म होने के बाद से ही हर घर में छठ के गीत (Chath song) बजने लगते हैं. छठ गीत के धुन हर किसी को मंत्रमुग्ध करने वाला होता है. नियमों के अनुसार छठ पूजा (Chath puja) के समय ही छठ के गीत सुनने चाहिए. यही कारण है कि हमेशा लोग छठ के गीत नहीं सुने जाते.

छठ के पौराणिक गीतों में को सुनकर हम ये जान पाते हैं कि कैसे लोग अभावग्रस्त होने के बावजूद भी छठ की पूजा और व्रत को बरकरार रखते थे. छठ में गंगा के घाट (Ganga Ghat) का एक अलग ही महत्व होता है. कहते हैं कि गंगा मैया भगवान सूर्य की बहन हैं. बहन के पास जाकर छठ में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. मां गंगा और भगवान सूर्य दोनों ही साक्षात देव हैं.

छठ को उर्जा का पर्व भी कहा जाता है, यही कारण है कि चार दिनों के कठीन व्रत में भी व्रती को उर्जा प्राप्त हो ही जाती है और वो कठिन व्रत का संकल्प पूरा करती हैं.

छठ में व्रत रखकर ही छठी मैय्या का प्रसाद बनाने की परंपरा होती है. इसपर एक गाना भी है जो इस पर्व की पवित्रता और शुद्धता का वर्णन करता है.

मारबो रे सुगवा धनुख से

सुगा गिरे मुरझाए

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से

आदित होई ना सहाय

इस गीत का अर्थ है कि, एक बार सुगवा यानी कि तोता छठ पूजा के प्रसाद के तौर पर लाए गए नारियल को जूठा कर देता है. जिसे देख लोगों को क्रोध आ जाता है. जिसके बाद लोग सुगवा को धनुष से मारते हैं. जिसके बाद सुगनी यानी कि तोते की पत्नी छठ व्रत रखती हैं और छठी मैय्या से तोते को दोबारा जीवित करने की विनती करती हैं. मां व्रत से प्रसन्न होकर उसे दोबारा जीवित कर देती है. इस गाने में छठ पूजा की पवित्रता का वर्णन है.

वहीं, छठ में घाट पर पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है. दरअसल छठ पूजा घाट पर ही शोभा देता है. यही कारण है कि लोग पहले से घाट को छेक लेते हैं. क्योंकि व्रतियों की संख्या अधिक होने पर घाट पर जगह की कमी होती है. हर कोई बेहतर और साफ सुथरे घाट पर जाकर छठ पूजा करना चाहता है. इस पर भी एक गीत है.

पटना के घाट पर

हमहु अरगिया देवई हे छठी मैया

हम ना जाएब दूसर घाट

देखब ए छठी मैया

ये गीत शारदा सिन्हा सहित कई गायिकाओं ने गाया है. इस गीत से साफ समझ में आता है कि छठ पूजा में घाट का कितना और क्या महत्व होता है.

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