ETV Bharat / state

छठ महापर्व का आज दूसरा दिन, दुर्ग में छठव्रती बना रही हैं खरना का प्रसाद

Chhath Puja 2023 आस्था का महापर्व छठ दुर्ग में भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है. शहर की जिस गली से गुजरें शारदा सिन्हा के गाए छठ के गीत आपके कदमों को रोक लेंगे. कहीं प्रसाद बनाने के साथ साथ महिलाएं छठ पूजा के गीत गुनगुना रहीं हैं, कहीं घाटों पर साफ सफाई चल रही है. मन श्रद्धा से खुद झुक जाएगा.

chhath puja 2023
आस्था का महापर्व छठ
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 18, 2023, 5:55 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 8:23 PM IST

आस्था का महापर्व छठ

दुर्ग: प्रकृति और आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. दुर्ग में रहने वाले उत्तर भारतीय दिवाली के बाद से ही छठ पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं. छठ पूजा को लेकर जितनी श्रद्धा उत्तर भारतीय के मन में होती है. उतनी ही श्रद्धा दूसरे राज्यों के लोगों के मन भी है. छठ पूजा की खरीदारी के चलते बाजारों में अलग ही रौनक देखी जा रही है. पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. नहाय खाय के दिन घर में सात्विक भोजन बनता है जिसे प्रसाद भी कहा जाता है.

खरना का प्रसाद: नहाय खाय के दूसरे दिन शनिवार को खरना का प्रसाद छठ व्रतियों के घर बनता है. मिट्टी के चूल्हे पर खीर और रोटी बनाई जाती है जिसमें शुद्ध गाय के घी का इस्तेमाल होता है. खरना का प्रसाद सबसे पहले छठ व्रती महिला खाती हैं फिर प्रसाद घर वालों और रिश्तेदारों को दिया जाता है. गेहूं के आटे से ही ठेकुआ बनाया जाता है छठ में मुख्य प्रसाद के तौर पर माना जाता है. खरना के बाद रविवार के दिन शाम नदी और तालाब के घाटों पर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है.

डूबते और उगते सूर्य को देते हैं अर्घ्य: शाम का अर्घ्य हो जाने के बाद अगले दिन सोमवार को उगते सूरज का छठ व्रती महिलाएं अर्घ्य देती हैं. सुबह का अर्घ्य हो जाने के बाद लोगों के बीच ठेकुआ और फल का प्रसाद बांटा जाता है. प्रसाद खाने से पहले लोग छठ व्रती का आशीर्वाद भी लेते हैं. तीन दिनों के कठीन व्रत के बाद पारण कर लोग पूजा का समापन करते हैं. दुर्ग के सेक्टर 2 से लेकर सेक्टर 7 तक शहर के तमाम तालाबों और घाटों पर रविवार की शाम से जो रौनक रहेगी वो देखते ही बनेगी.

छठ महापर्व की छठा, जानिए क्यों कहते हैं प्रकृति की उपासना का पर्व
क्रिकेट वर्ल्डकप 2023: फाइनल मुकाबले को लेकर बस्तर के युवाओं का जोश हाई, भारतीय टीम की जीत का बेसब्री से इंतजार
लोकतंत्र के महापर्व का महारंग, तस्वीरों में देखिए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की झलकियां

आस्था का अदभुत रंग: आस्था के इस लोकपर्व का रंग कुछ ऐसा है कि जो भी इसमें शामिल होता है श्रद्धा और भक्ति में डूब जाता है. डॉक्टर और वैज्ञानिक भी ये मानते हैं कि कठीन व्रत से शरीर शुद्ध और मन पवित्र हो जाता है. शरीर पूरी तरह से डिटॉक्स हो जाता है. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पहले से ज्यादा हो जाती है.

आस्था का महापर्व छठ

दुर्ग: प्रकृति और आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. दुर्ग में रहने वाले उत्तर भारतीय दिवाली के बाद से ही छठ पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं. छठ पूजा को लेकर जितनी श्रद्धा उत्तर भारतीय के मन में होती है. उतनी ही श्रद्धा दूसरे राज्यों के लोगों के मन भी है. छठ पूजा की खरीदारी के चलते बाजारों में अलग ही रौनक देखी जा रही है. पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. नहाय खाय के दिन घर में सात्विक भोजन बनता है जिसे प्रसाद भी कहा जाता है.

खरना का प्रसाद: नहाय खाय के दूसरे दिन शनिवार को खरना का प्रसाद छठ व्रतियों के घर बनता है. मिट्टी के चूल्हे पर खीर और रोटी बनाई जाती है जिसमें शुद्ध गाय के घी का इस्तेमाल होता है. खरना का प्रसाद सबसे पहले छठ व्रती महिला खाती हैं फिर प्रसाद घर वालों और रिश्तेदारों को दिया जाता है. गेहूं के आटे से ही ठेकुआ बनाया जाता है छठ में मुख्य प्रसाद के तौर पर माना जाता है. खरना के बाद रविवार के दिन शाम नदी और तालाब के घाटों पर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है.

डूबते और उगते सूर्य को देते हैं अर्घ्य: शाम का अर्घ्य हो जाने के बाद अगले दिन सोमवार को उगते सूरज का छठ व्रती महिलाएं अर्घ्य देती हैं. सुबह का अर्घ्य हो जाने के बाद लोगों के बीच ठेकुआ और फल का प्रसाद बांटा जाता है. प्रसाद खाने से पहले लोग छठ व्रती का आशीर्वाद भी लेते हैं. तीन दिनों के कठीन व्रत के बाद पारण कर लोग पूजा का समापन करते हैं. दुर्ग के सेक्टर 2 से लेकर सेक्टर 7 तक शहर के तमाम तालाबों और घाटों पर रविवार की शाम से जो रौनक रहेगी वो देखते ही बनेगी.

छठ महापर्व की छठा, जानिए क्यों कहते हैं प्रकृति की उपासना का पर्व
क्रिकेट वर्ल्डकप 2023: फाइनल मुकाबले को लेकर बस्तर के युवाओं का जोश हाई, भारतीय टीम की जीत का बेसब्री से इंतजार
लोकतंत्र के महापर्व का महारंग, तस्वीरों में देखिए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की झलकियां

आस्था का अदभुत रंग: आस्था के इस लोकपर्व का रंग कुछ ऐसा है कि जो भी इसमें शामिल होता है श्रद्धा और भक्ति में डूब जाता है. डॉक्टर और वैज्ञानिक भी ये मानते हैं कि कठीन व्रत से शरीर शुद्ध और मन पवित्र हो जाता है. शरीर पूरी तरह से डिटॉक्स हो जाता है. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पहले से ज्यादा हो जाती है.

Last Updated : Nov 18, 2023, 8:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.