कोरबा: हर साल चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन चेटीचंड जयंती या फिर झूलेलाल जयंती मनाई जाती है. यह त्यौहार सिंधी समाज का सबसे प्रमुख त्यौहार है. पौराणिक मान्यताओं की माने तो सिंधी नववर्ष चेटीचंड, उगादी या फिर गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मनाया जाता है. सिंधी समाज की मान्यता है कि संत झूलेलाल भगवान वरुण देव के ही अवतार हैं.
कई तरह के आयोजन भी किए जाएंगे: सिंधी समाज की रैली में सिंधी पंचायत कोरबा के सांस्कृतिक प्रभारी रवि लालवानी ने बताया कि "चेटीचंद जयंती के मौके पर खास आयोजन किया जा रहा है. इस खास मौके पर हम रैली का आयोजन कर रहे हैं. पूरे कोरबा में आज के दिन इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाएगा. रैली के अलावा और भी कई तरह के आयोजन हम करेंगे. जहां जिले भर के सिंधी समाज के लोग आएंगे."
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ऐसी है मान्यता: सिंधी समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापारिक पृष्ठभूमि से आते हैं. पौराणिक मान्यताओं की मानें तो प्राचीन काल में दूसरे देशों की यात्रा करने के दौरान मुख्य रूप से सिंधी समुदाय के लोग समुद्र से काफी डरते थे. ऐसे ही व्यापारिक यात्रा के दौरान समुद्र में मिलने वाले संकटों और लूटपाट से बचने के लिए वे लोग वरुण देव से प्रार्थना करते थे. यही वजह है कि चेटीचंड को भगवान वरुण का अवतार भी माना जाता है. चेटीचंड भगवान को लेकर सिंधी समाज में गहरी आस्था है.
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