रायपुर: छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर लंबे समय से चल रहा है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के साथ ही नंबर वन और नंबर 2 के लिए प्रदेश के 2 बड़े कद्दावर नेताओं के बीच शीत युद्ध जैसे हालात बनते दिखे हैं. हाल के दिनों में यह विवाद और ज्यादा बढ़ते दिख रहा है. अब तो सार्वजनिक मंचों में भी इस बात की चर्चा गाहे-बगाहे दिखने लगी है. प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने प्रदेश के मुखिया को भी नसीहत दे दी है.
दरअसल, नवा रायपुर में नए विधानसभा भवन का भूमि पूजन का कार्यक्रम चल रहा था और इस आयोजन में प्रोटोकॉल के लिहाज से विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने बहुत ही सहज तरीके से अपना संदेश दिया. उन्होंने प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को बधाई देते हुए कहा कि उनकी परिकल्पना के अनुरूप ही सर्व सुविधा युक्त आधुनिक तकनीकों से लैस भव्य विधानसभा भवन की आधारशिला रखी गई है.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में चंद लोगों को ही छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करने का मौका मिल पाता है. अबतक प्रदेश में अजीत जोगी, रमन सिंह के बाद आपको महतारी की सेवा करने का मौका मिल रहा है. पूरी कोशिश होनी चाहिए कि समाज के अंतिम व्यक्ति, गरीबों, किसानों, मजदूरों, आदिवासियों और वंचितों की बेहतरी के लिए पूरी तरह समर्पित होकर काम करना चाहिए.
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यही नहीं उन्होंने पूर्वजन्म के अच्छे कर्मों के नतीजों का भी नुक्ता दे दिया है. महंत ने प्रदेश में चल रहे तमाम तरह के आपसी शीत युद्ध को लेकर इशारों-इशारों में बड़ी बात कह दी है. उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग जरूर रखें, मास्क पहनें, अपना ख्याल रखें, लेकिन दिलों के बीच दूरी न बढ़ाएं. आपस में चर्चा अवश्य होती रहे. छत्तीसगढ़ वास्तव में प्रेम की धरती है और हम सब प्रेम और सद्भाव का उदाहरण बने. इस तरह से उन्होंने इशारों इशारों में प्रदेश में चल रहे वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को लेकर बड़ी बात कह दी है.
देखी गई दूरियां
गौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के पहले तक प्रदेश के नंबर वन और नंबर दो नेता के रूप में भूपेश बघेल और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की जोड़ी को जय और वीरू की जोड़ी माना जाता रहा है. हालांकि, सरकार बनने के बाद सीएम की दावेदारी के दौरान से ही लगातार आपस में दूरियां बढ़ती देखी जा रही है. हाल के दिनों में सरकार के मंत्रिमंडल का प्रवक्ता बना कर दो मंत्रियों को नियुक्त करने के बाद इस विवाद ने और तूल पकड़ लिया है.
उनको प्रवक्ता न बनाने के बाद से लगातार वे सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाते देखे गए. विधानसभा परिसर में भी कांग्रेस के अन्य कैबिनेट मंत्रियों की तुलना में सीएम से दूर-दूर ही नजर आए. इन तमाम मसलों को वरिष्ठ राजनीतिज्ञ चरणदास महंत ने भांप लिया है और विधानसभा सत्र के दौरान के अपने तजुर्बे के आधार पर ही उन्होंने आज इस तरह की बातें सार्वजनिक मंच से कह दी है.