रायपुर: विश्व हिंदू परिषद ने 10 अप्रैल को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया. यह बंद बेमेतरा में हुई हत्या और सांप्रदायिक हिंसा के मामले के विरोध में था. लेकिन इस बंद को छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का समर्थन नहीं मिला. सोमवार को हुए छत्तीसगढ़ बंद के दौरान चेंबर ऑफ कॉमर्स में गुटबाजी नजर आई. चैंबर के एक धड़े ने नियमों का हवाला देते हुए बंद का समर्थन नहीं किया, जबकि दूसरे धड़े ने खुलेआम सड़कों पर उतरकर बंद को पूरा समर्थन दिया.
अध्यक्ष ने दिया चेंबर के प्रवधानों का हवाला: छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर परवानी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि "10 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद ने छत्तीसगढ़ बंद की अपील की है. लेकिन चेंबर के प्रावधान के अंतर्गत बंद के समर्थन के लिए कम से कम 72 घंटे के अंतर्गत पूर्व सूचना पर कार्यकारिणी और व्यापारी संगठनों के पदाधिकारियों की विशेष बैठक बुलाई जाती है. उसके बाद बंद का निर्णय लिया जाता है. विश्व हिंदू परिषद ने 24 घंटे से भी कम समय में बंद के लिए समर्थन मांगा है, इसलिए चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज अभी अनिर्णय की स्थिति में है. हालांकि घटना को दुखद बताते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग भी चेंबर ने की है."
चेंबर के कई सदस्य सड़कों पर दिखे: दूसरी ओर चेंबर के कुछ पूर्व पदाधिकारी और बीजेपी से जुड़े चेंबर के सदस्य सोमवार की सुबह से ही सड़कों पर उतर कर शहर बंद कराते दिखाई दिए. वे शहर के व्यापारिक प्रतिष्ठान, पेट्रोल पंप, शोरूम, दुकानें बंद कराकर छत्तीसगढ़ बंद को समर्थन देते नजर आए. चेंबर के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी, पूर्व चेयरमैन योगेश अग्रवाल, पूर्व उपाध्यक्ष राजकुमार राठी और राजेश वासवानी जैसे कई नेता शामिल थे.
यह भी पढ़ें: Raipur: रायपुर में दिखा छत्तीसगढ़ बंद का असर, वीएचपी ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की
पूर्व अध्यक्ष सुंदरानी ने कही ये बात: चेंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद को समर्थन न दिए जाने पर श्रीचंद सुंदरानी ने जोरदार हमला बोला है. सुंदरानी ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब प्रदेश में रमन सरकार थी, उस दौरान वे चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष थे. लेकिन जब भी जनहित के मामले सामने आए, तो उन्होंने खुलकर बंद का समर्थन किया. इस बंद को चेंबर ऑफ कॉमर्स का समर्थन ना देना अशोभनीय था."