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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

Worship of Maa Brahmacharini चैत्र नवरात्रि 2023 का दूसरा दिन चैत्र शुक्ल द्वितीया के रूप में जाना जाता है. इस नवरात्रि में रेवती नक्षत्र, ब्रह्म योग बालव और कौलव करण के शुभ संयोग में माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. गुरुवार तैतिल करण मेष राशि का सुंदर संयोग इस दिन बन रहा है.

Worship of Maa Brahmacharini
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
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Published : Mar 21, 2023, 8:15 PM IST

Updated : Mar 23, 2023, 6:18 AM IST

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूरी होगी मनोकामना

रायपुर: माता ब्रह्मचारिणी तपस्वी मानी जाती है. माता ने ब्रह्मचारिणी रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक व्रत और कठिन तपस्या की थी. माता ने जंगल-जंगल भटकते हुए वृक्षों के पत्तों को खाकर इस उपवास को किया था. इस महान तपस्या के फलस्वरूप भगवान शंकर, माता से प्रसन्न होकर उन्हें वर के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया था.


ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूरी होगी मनोकामना: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "किसी भी कुंवारी कन्या जिसके विवाह में बाधा आ रही हो, उन्हें इस पूजन को निश्चित तौर पर करना चाहिए. माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, साधना और आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और माता का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही शिव जैसे वर की प्राप्ति होती है. आज के शुभ दिन निराहार, एकाशना अथवा फलाहार रहते हुए उपवास करना चाहिए. कठिन उपवास से माता प्रसन्न होती है."

माता को प्रसन्न करने के लिए करें यह उपाय: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "माता को श्वेत फूल, श्वेत मिठाइयां, दूध, दही, पंचामृत आदि का भोग लगाया जाना चाहिए. आज के दिन, श्वेत कमल, श्वेत पुष्प, श्वेत पुष्पों की माला माता को अर्पित की जाती है. जिससे माता प्रसन्न होती है. भगवती को श्वेत चमकीली धवल वस्त्र पहनाने की भी परंपरा है.

यह भी पढें: Navaratri Ghat Sthapana : चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और महत्व जानिए

क्या है पौराणिक मान्यता: पौराणिक मान्यता है कि, शिव की प्राप्ति के लिए माता पार्वती ने ब्रह्मचारिणी रूप में अथक तपस्या की. इस तपस्या के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि लक्ष्य के प्रति हमें अथक प्रयास करना चाहिए. लगातार प्रयासों से ही जीवन में सफलता मिलती है. समस्त मातृशक्ति को यह कहानी बहुत ही प्रेरित करती आई है. माता पार्वती कि इस महान तपस्या से संपूर्ण मानव समाज को दृढ़ संकल्प होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए."

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूरी होगी मनोकामना

रायपुर: माता ब्रह्मचारिणी तपस्वी मानी जाती है. माता ने ब्रह्मचारिणी रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक व्रत और कठिन तपस्या की थी. माता ने जंगल-जंगल भटकते हुए वृक्षों के पत्तों को खाकर इस उपवास को किया था. इस महान तपस्या के फलस्वरूप भगवान शंकर, माता से प्रसन्न होकर उन्हें वर के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया था.


ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूरी होगी मनोकामना: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "किसी भी कुंवारी कन्या जिसके विवाह में बाधा आ रही हो, उन्हें इस पूजन को निश्चित तौर पर करना चाहिए. माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, साधना और आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और माता का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही शिव जैसे वर की प्राप्ति होती है. आज के शुभ दिन निराहार, एकाशना अथवा फलाहार रहते हुए उपवास करना चाहिए. कठिन उपवास से माता प्रसन्न होती है."

माता को प्रसन्न करने के लिए करें यह उपाय: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "माता को श्वेत फूल, श्वेत मिठाइयां, दूध, दही, पंचामृत आदि का भोग लगाया जाना चाहिए. आज के दिन, श्वेत कमल, श्वेत पुष्प, श्वेत पुष्पों की माला माता को अर्पित की जाती है. जिससे माता प्रसन्न होती है. भगवती को श्वेत चमकीली धवल वस्त्र पहनाने की भी परंपरा है.

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क्या है पौराणिक मान्यता: पौराणिक मान्यता है कि, शिव की प्राप्ति के लिए माता पार्वती ने ब्रह्मचारिणी रूप में अथक तपस्या की. इस तपस्या के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि लक्ष्य के प्रति हमें अथक प्रयास करना चाहिए. लगातार प्रयासों से ही जीवन में सफलता मिलती है. समस्त मातृशक्ति को यह कहानी बहुत ही प्रेरित करती आई है. माता पार्वती कि इस महान तपस्या से संपूर्ण मानव समाज को दृढ़ संकल्प होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए."

Last Updated : Mar 23, 2023, 6:18 AM IST
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