रायपुर: भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए दायर याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने 3 हफ्ते का समय मांगा है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग की है.
रायपुर के रहने वाले नितिन सिंघवी ने भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर सरकार ने कोर्ट से 3 हफ्ते का समय मांगा है.
भोरमदेव पेंच-कान्हा अचानकमार भूमिक्षेत्र
नितिन सिंघवी ने ईटीवी भारत से कहा, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने बताया है कि भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य कान्हा नेशनल पार्क से बिल्कुल लगा हुआ है. भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य से बाघों के महाराष्ट्र के नवेगांव-नागझीरा टाइगर रिजर्व और वहां से तडोबा-अंधेरी टाइगर रिजर्व और इन्द्रावती टाइगर रिजर्व जाने-आने का कॉरीडोर है. सिंघवी ने कहा, भोरमदेव 'पेंच-कान्हा अचानकमार भूमिक्षेत्र' का आवश्यक अंग है.
छत्तीसगढ़ शासन ने मांगा 3 हफ्ते का समय
छत्तीसगढ़ शासन ने भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया है, जिसके जवाब में NTCA ने 7 जून 2018 को छत्तीसगढ़ के मुख्य वन्यजीव संरक्षक (CWLW) को सभी आवश्यक कार्यवाही करते हुए तत्काल भोरमदेव वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव भेजने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन उनके पत्र का कोई जवाब छत्तीसगढ़ सरकार ने नहीं दिया है. छत्तीसगढ़ शासन ने जवाब देने के लिए 3 हफ्ते का समय मांगा है.
टाइगर रिजर्व होने से अन्य वन्यजीवों का सरंक्षण
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि टाइगर रिजर्व बनाने से बाघ सहित अन्य वन्यजीवों और वनों के सरंक्षण के साथ विस्थापित किये जाने वाले ग्रामीणों को 5 एकड़ कृषि भूमि, 50 हजार नकद इन्सेन्टिव, 1 मकान, आधारभूत सुविधाऐं जैसे सड़क, स्कूल, बिजली-सिंचाई साधन, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, सामुदायिक भवन आदि प्रदान किया जाता है. शासन, जंगल के प्रत्येक गांव में यह सुविधा नहीं पहुंचा पाता है. ऐसे में इस टाइगर रिजर्व को संरक्षित रखना बेहद जरूरी है.