रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा हाल ही में पेश किए गए बजट में शिक्षित बेरोजगारों को ₹2500 महंगाई भत्ता दिए जाने का ऐलान किया है. राज्य सरकार के द्वारा शिक्षित बेरोजगार भत्ता देने के लिए नवीन योजना शुरू जाएगी. जिसके तहत रोजगार एवं पंजीयन केंद्र में पंजीकृत कक्षा 12वीं पास 18 से 35 वर्ष आयु के युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. यह बेरोजगारी भत्ता, जिनके परिवार की वार्षिक आय 250000 से कम होगी, उन्हें दिया जाएगा. यह भत्ता अधिकतम 2 वर्ष तक ₹2500 प्रति माह की दर से दिया जाएगा. इसके लिए बजट में ₹250 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
रसोइयों के साथ अन्याय का आरोप: रसोइयों संघ की बात की जाए तो राज्य सरकार ने उनके मानदेय में भी बढ़ोतरी किया है. राज्य सरकार के द्वारा उनके मानदेय में ₹300 की बढ़ोतरी की गई है. पूर्व में रसोइयों को ₹1500 मानदेय दिया जाता था. बजट में प्रावधान के बाद इन्हें अट्ठारह सौ रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा. लेकिन यह बढ़ोतरी कहीं ना कहीं रसोइया संघ को नागवार गुजर रही है.
"भगवान हमारे कका को सद्बुद्धि दे": रसोईया संघ की प्रदेश अध्यक्ष नीलू ओगरे का कहना है कि "आज हम लोग पूरे महीने काम करते हैं, पूरे महीने खाना बनाते हैं. हम लोगों को मात्र 1800 रुपये मिलते हैं. जो बेरोजगार हैं, जो गली में घूम रहे हैं, उन लोगों को 2500 रुपये दिए जा रहा है. भगवान हमारे कका को सद्बुद्धि दे.
"केवल बेरोजगार होने के कारण 2500 रुपये मिल रहे": वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "रसोइयों को 1800 रिवाये दिए जाना और बेरोजगारों को 2500 दिए जाना दोनों अलग-अलग बातें हैं. इनको इस तरह से मिलाया जाए कि जब काम नहीं कर रहे हैं, उसको केवल बेरोजगार होने के कारण 2500 रुपये मिल रहे हैं, तो काम करने वाले को केवल महीने का 1800 रुपये क्यों मिलना चाहिए. उस हिसाब से यह बहुत जायज सवाल है. मुझे लगता है कि मध्यान भोजन महीने में यदि 24 दिन भी बनता है. तो 24 दिन की दृष्टि से यदि आप रसोइयों को देखेंगे तो 75 रुपये प्रतिदिन उनको रोजी मिलती है. इसलिए मैं मानता हूं कि रसोइयों की ये बढ़ोतरी के लिए बहुत कम है."
"रसोइयों को भी ₹2500 न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए": वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "यदि सरकार को लगता है कि से चुनावी लाभ होगा, तो मुझे लगता है कि रसोईया के मामले में उन्हें चुनावी लाभ मिलेगा. कुछ रसोइये इस बढ़ोतरी से भले ही खुश हो सकते हैं, लेकिन चुनाव की दृष्टि से फायदा नहीं होने वाला. यदि हम बेरोजगारों को दिया 2500 रूपये दे रहे. तो रसोइयों को भी ₹2500 न्यूनतम वेतन मानते हुए उनको भी ₹2500 देना चाहिए."
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गौरीशंकर का कांग्रेस सरकार पर हमला: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि "राज्य सरकार ने लगभग 100 से ज्यादा संगठनों को छला है. बहुत सारे ऐसे संगठन है, जो बहुत ही गरीबी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं, उसमें से एक रसोईया संघ है. जिसको ₹50 का दैनिक वेतनमान मिलता है. राज्य सरकार ने मासिक 100 से ₹200 की वृद्धि करके मुंह चिढ़ाने का काम किया है. यह बात पूरी तरह शाश्वत सत्य है कि यदि ₹2500 बेरोजगारी भत्ता सरकार दे रही है, तो ₹1800 मानदेय में क्यों काम किया जाएगा."
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि "राज्य सरकार को बहुत बड़ा आईना दिखाने का मामला है. इस बात से समझा जा सकता है कि यह मामला कितना गंभीर है. रसोईया संघ से लेकर होमगार्ड के लोग, अंशकालिक ठेका कर्मचारी, प्लेसमेंट वाले आज भी सम्मान पूर्वक मानदेय प्राप्त नहीं कर रहे. राज्य सरकार महज 100 और ₹200 बढ़ाकर अपने बजट को जन स्पर्शी सर्व स्पर्शी बता रही है. इससे बड़ा भद्दा मजाक इस प्रदेश के लिए कुछ नहीं हो सकता."
"रसोईया संघ की मांग भूपेश सरकार ने पूरा किया": कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि "रसोईया संघ की बरसो पुरानी मांग थी, जिसे भूपेश सरकार ने पूरा किया है. यदि आप उनके मानदेय को देखते हुए सोचेंगे तो लग रहा होगा कि गलत किया गया है, लेकिन सरकार सभी वर्गों का ख्याल रखती है. कोई भी वर्ग हो, सबकी चिंता करने वाली ये सरकार है. तुलनात्मक किसी के साथ भी किसी की तुलना करना उचित नहीं है."
"दोनों की एक बराबर तुलना करना उचित नहीं": वही बेरोजगारी भत्ता से कम मानदेय मिलने के सवाल पर घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि "बेरोजगारी भत्ते की अवधि सीमित है. जबकि मानदेय जब तक आप काम करेंगे, तब तक दिया जाएगा. दोनों की एक बराबर तुलना करना उचित नहीं है. यदि तुलना करनी है, तो सभी तरीके से तुलना करनी चाहिए."