रायपुर: अनब्रांडेड प्रीपैक्ड खाद्यान्नों जैसे आटा,पोहा इत्यादि पर 5% की दर से जीएसटी का प्रावधान किया गया है. इस नई व्यवस्था के लागू होने से केवल पुरानी व्यवस्थाओं में बदलाव ही नहीं हुआ बल्कि मध्यम वर्गीय व्यापारी के सामने एकाउंटिंग में उलझ जाने की समस्या पैदा हो गई है. ऐसा होने से पूरे छत्तीसगढ़ के मध्यमवर्गीय परिवार पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स (CG Chamber of Commerce ) ने राज्य और केंद्र सरकार से अनब्रांडेड प्रीपैक्ड खाद्यान्नों को जीएसटी से मुक्त (demands to exempt unbranded prepackaged food grains from GST) करने की मांग की है.
व्यापारियों को होगी परेशानी: पूरे छत्तीसगढ़ में सामान्यतः मध्यमवर्गीय परिवार के व्यापारी ही व्यापार करते हैं. वर्तमान में प्रदेश में छोटे–बड़े सभी को मिलाकर 3 से 4 लाख तक खाद्य पदार्थ व्यवसायी हैं. जिनमे से 70 से 80% व्यवसायियों का टर्नओवर 40 लाख तक है जो बही खातों से अनभिज्ञ हैं एवं जीएसटी में पंजीकृत (chhattisgarh chamber of commerce news) नहीं हैं. ऐसे में उन्हें परेशानी होगी.
जीएसटी में छूट की मांग: छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि "रविवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में अनब्रांडेड प्रीपैक्ड खाद्यान्नों जैसे आटा,पोहा इत्यादि पर 5% की दर से जीएसटी का प्रावधान किया गया है. जिसके लिए कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और जीएसटी काउंसिल के सदस्य प्रवीण खंडेलवाल को जीएसटी से छूट के सम्बन्ध में पत्र भेजा गया. विगत कुछ वर्ष में महामारी के समय व्यापारियों का पूरा व्यवसाय बंद पड़ा था. महामारी समाप्त होते ही ये व्यवसायी अपने जीवन और व्यवसाय को सही दिशा में लाने हेतु प्रयास कर रहे हैं. इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए"
छत्तीसगढ़ में बिजनेस होगा प्रभावित: चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी ने बताया कि "यदि अनब्रांडेड प्रीपैक्ड खाद्यान्नों पर 5% टैक्स लगाया जाता है तो अपने व्यवसाय में व्यस्त रहने वाले छोटे-मंझोले व्यवसायियों के लिए प्रक्रिया जटिल हो जाएगी. जिसके परिणाम स्वरुप ये व्यवसायी केवल बही खातों में ही उलझकर रह जाएंगे. बड़ी संख्या में रोजगार देने वाले ये व्यापारी स्वयं ही बेरोजगार हो जाएंगे और छत्तीसगढ़ का व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित होगा."