रायपुर : डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (DKS Super Specialty Hospital) में जल्द स्किन बैंक की सुविधा शुरू होने जा रही है. डीकेएस हॉस्पिटल मध्य भारत का पहला ऐसा शासकीय अस्पताल होगा. जहां स्किन बैंक की सुविधा जल्द लोगों को मिलने वाली है. स्किन बैंक बर्न केसेस में मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. स्किन बैंक को लेकर ईटीवी भारत ने डीकेएस अस्पताल के डिप्युटी मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ हेमंत शर्मा (Deputy Medical Superintendent Dr Hemant Sharma) से बातचीत की.
स्किन बैंक मरीजों के लिए साबित होगा वरदान : डीकेएस के डेप्युटी मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ हेमंत शर्मा ने बताया " स्किन बैंक बनाने की अनुमति डीकेएस अस्पताल को मिल चुकी है. जल्दी यह बनकर तैयार हो जाएगा. मरीजों को इस स्क्रीन बैंक से काफी सुविधा मिलेगी.45 % से ज्यादा बर्न मरीजों को स्किन की जरूरत होती है. मरीज आयुष्मान कार्ड के माध्यम से सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. जिस तरह किसी अन्य मरीज को शरीर के किसी अंग को लेने की प्रक्रिया की जाती है उसी तरह मरीज स्किन बैंक से स्किन लेने की प्रक्रिया पूरी कर सकते (Central India first skin bank at Raipur ) हैं."
क्या है स्किन लेने की प्रोसेस : स्किन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कृष्णानंद ध्रुव ने बताया " स्किन बैंक के लिए जो परमिशन मिली है वह फिलहाल मृत शरीर से स्किन लेने की है. मृत व्यक्ति से स्किन लेने के समय यह ध्यान रखने वाली बात है कि मौत के 6 घंटे के भीतर अगर स्किन लिया जाता है. तो वह अच्छा रहता है. 6 से 12 घंटे के बीच भी स्किन ले सकते हैं. लेकिन 12 घंटे के बाद स्किन किसी भी मृत व्यक्ति से नहीं लिया जा सकता. वहीं स्किन को 5 साल स्किन बैंक में ज्यादा से ज्यादा 5 साल तक रखा जा सकता है."
स्किन डोनेट करने की क्या है प्रक्रिया? : स्किन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कृष्णानंद ध्रुव ने बताया " स्किन बैंक एक तरीके का कोल्ड स्टोरेज है जहां स्किन प्रिजर्व रखने के लिए दो से 4 डिग्री तक का सुरक्षित तापमान निर्धारित करना होगा. इस तापमान में स्किन 5 साल तक स्किन बैंक में प्रिजर्व रखी जा सकती है. वहीं स्किन डोनेशन करने से पहले दानदार की पूरी जांच की जाती है. जिसमें कैंसर एचआईवी स्किन इनफेक्शन हेपिटाइटिस बी सी टीवी जैसी जांच हैं.अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है तभी स्किन लिया जा सकता है."