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CORONA EFFECT: कोरोना के खौफ में कैंसर का इलाज नहीं करा पाए मरीज - कैंसर मरीजों की परेशानी

एक तरफ कोरोना वायरस के संक्रमण का डर तो दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से यातायात ठप होने से कैंसर पेशेंट नियमित इलाज नहीं करा पाए, मेकाहारा कैंसर डिपार्टमेंट के मुताबिक सिर्फ 50 फीसदी कैंसर मरीज ही अपना इलाज कराने अस्पताल पहुंच सके.

stopping of traffic in lockdown increases cancer patients problems
लॉकडाउन में यातायात ठप होने से कैंसर मरीजों की परेशानी बढ़ी
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Published : Jun 10, 2020, 8:29 PM IST

रायपुर: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे मरीजों की मुसीबत कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने ज्यादा बढ़ा दी थी. लॉकडाउन के कारण करीब ढाई महीने तक यातायात पूरी तरह से बंद रहा, जिसके कारण कई कैंसर पेशेंट अस्पताल पहुंचकर अपना इलाज नहीं करा सके. राजधानी रायपुर स्थित मेकाहारा के कैंसर डिपार्टमेंट में न केवल प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों और जिलों के लोग भी इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन अचानक रेल और यातायात सेवाओं पर रोक लगने के चलते दूर-दराज से रायपुर के अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ा.

कोरोना का खौफ!

दूसरे राज्यों और जिलों से भी इलाज कराने पहुंचते है कैंसर पेशेंट

प्रदेश के गिने-चुने अस्पतालों में ही कैंसर का इलाज किया जाता है. जिसमें राजधानी रायपुर स्थित मेकाहारा प्रमुख है. पिछले कुछ सालों से यहां के कैसंर डिपार्टमेंट में न केवल प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों और जिलों के लोग भी इलाज कराने पहुंच रहे है. अचानक रेल और यातायात सेवाओं पर रोक लगने के चलते दूर दराज से रायपुर के अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ा. प्रदेश का बड़ा हिस्सा सड़क मार्ग पर ही निर्भर है. इस दौरान बसें नहीं चलने के कारण दूसरे जिलों से आने वाले लोग रायपुर पहुंचकर नियमित जांच नहीं करा सके. हर 15 दिन या महीने में नियमित जांच, सिंकाई और कीमो के लिए आने वाले मरीजों को बहुत ज्यादा मुसीबत उठानी पड़ी.

कम लोग पहुंचे अस्पताल

कैंसर डिपार्टमेंट के डॉक्टर भी बताते हैं कि पहले की तुलना में रोज आने वाले मरीजों की संख्या लगभग आधी रह गई है. मेकाहारा कैंसर डिपार्टमेंट के HOD विवेक चौधरी बताते हैं कि मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. लॉकडाउन से पहले जहां रोजाना 700 से 750 मरीज आते थे तो वहीं लॉकडाउन में ये आंकड़ा 300 से 315 मरीजों तक सिमट गया है. OPD में 100 से 150 कैंसर पेशेंट पहुंच रहे हैं. वहीं कीमो के लिए 50 मरीज आते हैं. कैंसर के चार वार्ड में 100 से 125 मरीज भर्ती हैं. साथ ही दिनभर में 3 से 4 कैंसर पेशेंट के ही ऑपरेशन हो रहे हैं.


कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता ने बढ़ाया खतरा
कैंसर के मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता पहले ही कम होती है. ऐसे में एक संक्रामक बीमारी के तौर पर पूरे विश्व को दहलाने वाले कोरोना ने कैंसर मरीजों को ज्यादा डरा दिया है. वैसे भी देखने में आया है कि गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों पर कोरोना ज्यादा घातक साबित हो रहा है. इससे भी बचने के लिए कैंसर पेशेंट अस्पताल जाने से बच रहे हैं.

ई पास बनवाने में हो रही दिक्कत
फिलहाल राज्य में ऑनलाइन पास की सुविधा हो गई है, लेकिन लॉकडाउन के शरुआती दौर में इसको लेकर कोई भी इंतजाम नहीं था. बहुत जरूरी स्थिति में प्रशासनिक अधिकारियों की अनुमति लेने के बाद ही सफर करने की इजाजत मिलती थी. इसके चलते भी दूरस्थ इलाकों के कैंसर मरीज रायपुर के सबसे बड़े कैंसर हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाए.

रायपुर: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे मरीजों की मुसीबत कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने ज्यादा बढ़ा दी थी. लॉकडाउन के कारण करीब ढाई महीने तक यातायात पूरी तरह से बंद रहा, जिसके कारण कई कैंसर पेशेंट अस्पताल पहुंचकर अपना इलाज नहीं करा सके. राजधानी रायपुर स्थित मेकाहारा के कैंसर डिपार्टमेंट में न केवल प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों और जिलों के लोग भी इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन अचानक रेल और यातायात सेवाओं पर रोक लगने के चलते दूर-दराज से रायपुर के अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ा.

कोरोना का खौफ!

दूसरे राज्यों और जिलों से भी इलाज कराने पहुंचते है कैंसर पेशेंट

प्रदेश के गिने-चुने अस्पतालों में ही कैंसर का इलाज किया जाता है. जिसमें राजधानी रायपुर स्थित मेकाहारा प्रमुख है. पिछले कुछ सालों से यहां के कैसंर डिपार्टमेंट में न केवल प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों और जिलों के लोग भी इलाज कराने पहुंच रहे है. अचानक रेल और यातायात सेवाओं पर रोक लगने के चलते दूर दराज से रायपुर के अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ा. प्रदेश का बड़ा हिस्सा सड़क मार्ग पर ही निर्भर है. इस दौरान बसें नहीं चलने के कारण दूसरे जिलों से आने वाले लोग रायपुर पहुंचकर नियमित जांच नहीं करा सके. हर 15 दिन या महीने में नियमित जांच, सिंकाई और कीमो के लिए आने वाले मरीजों को बहुत ज्यादा मुसीबत उठानी पड़ी.

कम लोग पहुंचे अस्पताल

कैंसर डिपार्टमेंट के डॉक्टर भी बताते हैं कि पहले की तुलना में रोज आने वाले मरीजों की संख्या लगभग आधी रह गई है. मेकाहारा कैंसर डिपार्टमेंट के HOD विवेक चौधरी बताते हैं कि मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. लॉकडाउन से पहले जहां रोजाना 700 से 750 मरीज आते थे तो वहीं लॉकडाउन में ये आंकड़ा 300 से 315 मरीजों तक सिमट गया है. OPD में 100 से 150 कैंसर पेशेंट पहुंच रहे हैं. वहीं कीमो के लिए 50 मरीज आते हैं. कैंसर के चार वार्ड में 100 से 125 मरीज भर्ती हैं. साथ ही दिनभर में 3 से 4 कैंसर पेशेंट के ही ऑपरेशन हो रहे हैं.


कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता ने बढ़ाया खतरा
कैंसर के मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता पहले ही कम होती है. ऐसे में एक संक्रामक बीमारी के तौर पर पूरे विश्व को दहलाने वाले कोरोना ने कैंसर मरीजों को ज्यादा डरा दिया है. वैसे भी देखने में आया है कि गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों पर कोरोना ज्यादा घातक साबित हो रहा है. इससे भी बचने के लिए कैंसर पेशेंट अस्पताल जाने से बच रहे हैं.

ई पास बनवाने में हो रही दिक्कत
फिलहाल राज्य में ऑनलाइन पास की सुविधा हो गई है, लेकिन लॉकडाउन के शरुआती दौर में इसको लेकर कोई भी इंतजाम नहीं था. बहुत जरूरी स्थिति में प्रशासनिक अधिकारियों की अनुमति लेने के बाद ही सफर करने की इजाजत मिलती थी. इसके चलते भी दूरस्थ इलाकों के कैंसर मरीज रायपुर के सबसे बड़े कैंसर हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाए.

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