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SPECIAL: अंग्रेजी हुकूमत में बनी ऐतिहासिक धरोहर आज बन गई केनाल लिंकिंग रोड - chhattisgarh updated news

रायपुर को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए कई ऐतिहासिक धरोहरों को मिटा दिया जा रहा है. ऐसी ही 100 साल पुरानी एक खास धरोहर को ध्वस्त कर केनाल लिंकिंग रोड बना दिया गया है.

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अंग्रेजी हुकूमत में बनी ऐतिहासिक धरोहर आज बन गई केनाल लिंकिंग रोड
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Published : Nov 6, 2020, 4:48 PM IST

रायपुर: ETV भारत लगातार प्रदेश की ध्वस्त होती धरोहरों को लेकर अभियान चला रहा है. इसी कड़ी में रायपुर के केनाल लिंकिंग रोड के बारे में आपको जानकारी दे रहे है, जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बनी नहर थी. समय के साथ इस ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त कर केनाल लिंकिंग रोड बना दी गई. जहां से आज प्रदेश के हर जिले के लिए वाहन गुजर रहे हैं.

अंग्रेजी हुकूमत में बनी ऐतिहासिक धरोहर आज बन गई केनाल लिंकिंग रोड

नहर से केनाल लिंकिंग रोड का सफर

अंग्रेजी रियासत के समय धमतरी के पास रुद्री में माडम सिल्ली बांध बनाया गया था.जो आज भी अद्भुत वास्तुकला का नमूना है. अपने निर्माण और साइफन सिस्टम से चलने वाला यह बांध आज भी अपने उच्च स्तरीय निर्माण कला के लिए जाना जाता है. यहां से रायपुर तक पानी पहुंचाने के लिए नहर बनाई गई. इस नहर के जरिए पानी दूरदराज के गांवों के साथ ही रायपुर के लिए भी जीवनदायिनी का काम करता रहा है. वहां के बैराज से रायपुर शहर के वीआईपी गलियारों जिनमें लालपुर से होकर राजेंद्र नगर होते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री निवास, मंत्रियों के निवास जैसे शंकर नगर, पंडरी, रामसागर पारा, देवेंद्र नगर, रेलवे स्टेशन जैसे क्षेत्रों से होकर यह नहर गुजरती रही है. समय के साथ इस नहर को पिछली सरकार ने पाटकर केनाल लिंकिंग रोड बना दिया. जिससे शहर की ऐतिहासिक धरोहर का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है.

पढ़ें: SPECIAL: ब्रिटिशकालीन इमारतों का अद्भुत नमूना 'महाकौशल कला वीथिका', संरक्षण की दरकार

कंडेल नहर सत्याग्रह में महात्मा गांधी हुए थे शामिल

इतिहासकार डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि राजधानी रायपुर के लिए यह नहर बेहद महत्वपूर्ण रही है. इस नहर से न केवल 60 किलोमीटर दूर से पानी की सप्लाई रायपुर के आधे शहर को होती थी बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से ये बेहद महत्वपूर्ण है. ETV भारत से चर्चा में उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक कंडेल नहर का सत्याग्रह 100 साल पहले हुआ था.जिसमें शामिल होने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार दक्षिण कौशल पहुंचे थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल श्रीवास्तव के गृह ग्राम कंडेल में पदयात्रा का आयोजन हुआ था. इस पदयात्रा में खुद गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हल्ला बोला था.दरअसल माडमसिल्ली बांध के नहर से पानी चुराने का आरोप लगाकर कंडेल के ग्रामीणों पर भारी भरकम टैक्स अंग्रेजी हुकूमत की ओर से लगाया गया था. इसके विरोध में छोटे लाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मोर्चा खोला. महात्मा गांधी का धमतरी आगमन यहां के लोगों को न्याय दिलाने और स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने के लिए मील का पत्थर था. मिश्र ने कहा कि यह नहर रुद्री बांध से जुड़ी ऐतिहासिक नहर रही है, जिसे सहेजा जाना जरूरी था.

ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की कोशिश

वरिष्ठ पत्रकार समीर दीवान कहते हैं कि शहर के विकास के लिए योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने की जरूरत है लेकिन फिर भी धरोहरों को सहेजने की भी प्लानिंग होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वॉटर बॉडी के साथ कभी भी छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि कैनाल रोड बनने से रायपुर में बढ़ती आबादी और ट्रैफिक के प्रेशर को काफी हद तक कम करने में सफलता मिली है.

वाटर बॉडी के लिए बड़े काम की थी नहर

शहर के कई इलाकों से नहर गुजरने के कारण बड़ा इलाका अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल के लिए रीचार्ज होता रहता था. अब यहां सड़क बन जाने के चलते शहर के बड़े हिस्से का अंडर ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है.

रायपुर: ETV भारत लगातार प्रदेश की ध्वस्त होती धरोहरों को लेकर अभियान चला रहा है. इसी कड़ी में रायपुर के केनाल लिंकिंग रोड के बारे में आपको जानकारी दे रहे है, जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बनी नहर थी. समय के साथ इस ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त कर केनाल लिंकिंग रोड बना दी गई. जहां से आज प्रदेश के हर जिले के लिए वाहन गुजर रहे हैं.

अंग्रेजी हुकूमत में बनी ऐतिहासिक धरोहर आज बन गई केनाल लिंकिंग रोड

नहर से केनाल लिंकिंग रोड का सफर

अंग्रेजी रियासत के समय धमतरी के पास रुद्री में माडम सिल्ली बांध बनाया गया था.जो आज भी अद्भुत वास्तुकला का नमूना है. अपने निर्माण और साइफन सिस्टम से चलने वाला यह बांध आज भी अपने उच्च स्तरीय निर्माण कला के लिए जाना जाता है. यहां से रायपुर तक पानी पहुंचाने के लिए नहर बनाई गई. इस नहर के जरिए पानी दूरदराज के गांवों के साथ ही रायपुर के लिए भी जीवनदायिनी का काम करता रहा है. वहां के बैराज से रायपुर शहर के वीआईपी गलियारों जिनमें लालपुर से होकर राजेंद्र नगर होते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री निवास, मंत्रियों के निवास जैसे शंकर नगर, पंडरी, रामसागर पारा, देवेंद्र नगर, रेलवे स्टेशन जैसे क्षेत्रों से होकर यह नहर गुजरती रही है. समय के साथ इस नहर को पिछली सरकार ने पाटकर केनाल लिंकिंग रोड बना दिया. जिससे शहर की ऐतिहासिक धरोहर का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है.

पढ़ें: SPECIAL: ब्रिटिशकालीन इमारतों का अद्भुत नमूना 'महाकौशल कला वीथिका', संरक्षण की दरकार

कंडेल नहर सत्याग्रह में महात्मा गांधी हुए थे शामिल

इतिहासकार डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि राजधानी रायपुर के लिए यह नहर बेहद महत्वपूर्ण रही है. इस नहर से न केवल 60 किलोमीटर दूर से पानी की सप्लाई रायपुर के आधे शहर को होती थी बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से ये बेहद महत्वपूर्ण है. ETV भारत से चर्चा में उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक कंडेल नहर का सत्याग्रह 100 साल पहले हुआ था.जिसमें शामिल होने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार दक्षिण कौशल पहुंचे थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल श्रीवास्तव के गृह ग्राम कंडेल में पदयात्रा का आयोजन हुआ था. इस पदयात्रा में खुद गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हल्ला बोला था.दरअसल माडमसिल्ली बांध के नहर से पानी चुराने का आरोप लगाकर कंडेल के ग्रामीणों पर भारी भरकम टैक्स अंग्रेजी हुकूमत की ओर से लगाया गया था. इसके विरोध में छोटे लाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मोर्चा खोला. महात्मा गांधी का धमतरी आगमन यहां के लोगों को न्याय दिलाने और स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने के लिए मील का पत्थर था. मिश्र ने कहा कि यह नहर रुद्री बांध से जुड़ी ऐतिहासिक नहर रही है, जिसे सहेजा जाना जरूरी था.

ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की कोशिश

वरिष्ठ पत्रकार समीर दीवान कहते हैं कि शहर के विकास के लिए योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने की जरूरत है लेकिन फिर भी धरोहरों को सहेजने की भी प्लानिंग होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वॉटर बॉडी के साथ कभी भी छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि कैनाल रोड बनने से रायपुर में बढ़ती आबादी और ट्रैफिक के प्रेशर को काफी हद तक कम करने में सफलता मिली है.

वाटर बॉडी के लिए बड़े काम की थी नहर

शहर के कई इलाकों से नहर गुजरने के कारण बड़ा इलाका अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल के लिए रीचार्ज होता रहता था. अब यहां सड़क बन जाने के चलते शहर के बड़े हिस्से का अंडर ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है.

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